Bhandara News: अंतत: नरभक्षी बाघ वन विभाग के पिंजरे में कैद ,लोगों को मिली राहत

अंतत: नरभक्षी बाघ वन विभाग के पिंजरे में कैद ,लोगों को मिली राहत
  • दो दिन से बाघ को पकड़ने में जुटा था वन विभाग ‌
  • शावक ने किया था किसान का शिकार

Bhandara News मक्का फसलों की सिंचाई के लिए खेत गए किसान पर बाघ ने 30 मार्च की रात को हमला कर किसान को मौत के घाट उतार दिया था। इस घटना के बाद आक्रोशित नागरिकों ने नरभक्षी बाघ को तुरंत पकड़ने की मांग की थी। जिसके बाद वन विभाग की टीम ने बाघ को 2 अप्रैल की रात को पकड़ा। इस कार्रवाई से तहसील के नागरिकों ने राहत की सांस ली है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार 30 मार्च को टी-75 नामक बाघिन के 2 वर्षीय शावक ने तहसील के खैरी / पट निवासी डाकराम देशमुख (40) नामक किसान का शिकार किया था। इस घटना से परिसर में दहशत फैली हुई थी। इस मामले में स्थानीय खैरी / पट के ग्रामीणों समेत परिसर के विभिन्न गावों के किसान एवं नागरिकों ने नरभक्षी बाघ को पकड़ने की मांग की थी। जिसके बाद जिला उपवन संरक्षक राहुल गंवई के मार्गदर्शन में साकोली के सहायक वन संरक्षक संजय मेंढे, भंडारा के सहायक वन संरक्षक नीलख, लाखनी के सहायक वन संरक्षक भोंगाडे व लाखांदुर के वन परिक्षेत्र अधिकारी प्रदीप चन्ने के नेतृत्व एवं मार्गदर्शन में बाघ प्रतिबंधित क्षेत्र में सैकड़ों वनकर्मियों के गश्त सहित 15 ट्रैप कैमरे, 1 ड्रोन कैमरा, 4 मचान एवं 4 शार्प शूटर नियुक्त किए गए थे। चार मचानों के परिसर में चार मवेशियों को बांधे गए थे। जिसकी शिकार करने आए बाघ को शार्पशूटर ने डार्ट लगाकर बेहोश कर पिंजरे में कैद कर दिया। देर रात के दौरान की गई इस कार्रवाई के तहत 2 विभिन्न पशुवैद्यकीय अधिकारियों के मार्गदर्शन में पिंजरे में कैद बाघ को नागपुर के गोरेवाड़ा स्थित राष्ट्रीय व्याघ्र प्रकल्प के भेजा गया।

नागरिकों को मिली राहत : 30 मार्च को शाम के दौरान बाघ के हमले में किसान की मौत हुई थी। वनकर्मियों ने कुल 2 दिनों तक बाघ को पकड़ने के लिए कड़ी मेहनत कर आखिरकार कैद कर लिया। इस कार्रवाई से चौरास क्षेत्र के किसान एवं नागरिकों ने संतोष व्यक्त कर राहत की सांस लेने की चर्चा है।

क्षेत्र हुआ बाघ से भयमुक्त : तहसील के चौरास क्षेत्र में जंगल नहीं होने के बावजूद पिछले एक महीने पूर्व अंतर जिले के घने जंगल से टी-75 नामक बाघिन के 2 शावक चौरास क्षेत्र में घुसे थे। जिसमें से 1 शावक का गवराला, डांभेविरली, टेंभरी आदि गांवों के खेत क्षेत्र में मुक्त संचार देखा गया था। जबकि अन्य शावक का खैरी / पट, आसोला, सावरगांव, मांदेड़ के खेत क्षेत्र में मुक्त संचार देखा गया था। हालांकि उक्त दोनों शावकों से पिछले कुछ दिनों में विभिन्न गावों के मवेशियों सहित कुछ वन्य प्राणियों के शिकार की घटना भी सामने आयी थी। इस मामले में स्थानीय लाखांदुर के वन अधिकारी कर्मियों ने पहल कर दोनों शावकों के बंदोबस्त के लिए नियमित गश्त भी लगाई थी। इस गश्त के तहत गवराला, डांभेविरली, टेंभरी आदि गावों के खेत क्षेत्र में देखा गया बाघ का शावक पूर्ववत रूप से अंतर जिले के घने जंगल में लौटने की जानकारी मिली है। जबकि तहसील के खैरी / पट के किसान का शिकार करनेवाले नरभक्षी शावक को कैद किए जाने से चौरास क्षेत्र बाघ की दहशत से मुक्त होने की चर्चा जारी है।

Created On :   4 April 2025 9:28 AM

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