Amravati News: सरकार की दोहरी नीति बनी दमनकारी ,चिंता में घिरे सोयाबीन उत्पादक

सरकार की दोहरी नीति बनी दमनकारी ,चिंता में घिरे सोयाबीन उत्पादक
  • किसानों को सोयाबीन की न्यूनतम कीमत नहीं मिल रही
  • निजी व्यापारियों को कम भाव में बेच रहे
  • खुले बाजार में किसानों की जमकर लूट

Amravati News एक ओर सरकार ने आधारभूत मूल्यों की घोषणा कर स्वयं की पीठ थपथपा ली वहीं दूसरी ओर खरीद नीति से किसानों को न्यूनतम मूल्य (एमएसपी) ही नहीं मिल पा रहा है। ऐसे में किसान खरीदी केंद्र पर सोयाबीन लाने से कतरा रहे हैं। सरकार के दोहरे-तिहरे मापदंडों के कारण किसान खुले बाजार में सोयाबीन बेचने पर मजबूर हो रहे है। खुले बाजार में किसानों की जमकर लूट हो रही है।

प्राकृतिक आपदा के कारण इस वर्ष सोयाबीन की गुणवत्ता एफएक्यू में नहीं बैठ पा रही है। जबकि सरकार किसानों से एफएक्यू गुणवत्ता वाले माल की उम्मीद कर रही है। साथ ही सोयाबीन में नमी की मात्रा 12 प्रतिशत से अधिक है। इससे अधिक नमी वाले सोयाबीन को सरकार वापस कर रही है। एफएक्यू, नमी, छलनी जैसे तिहरे मापदंड और नियम-शर्तों के कारण किसान सरकारी खरीद केंद्रों पर अपनी उपज की बिक्री नहीं कर पा रहे है। ऐसे में वे खुले बाजार में सोयाबीन की बिक्री कर रहे हैं। इस साल सरकार ने सोयाबीन के लिए 4 हजार 892 रुपये की गारंटी कीमत की घोषणा की है। तदनुसार खरीद शुरू हो गई है। न केवल अचलपुर तहसील में बल्कि अन्य तहसील में भी हजारों किसान ऐसे हैं जो दोनों मानदंडों पर खरे नहीं उतर पा रहे है।

फिलहाल सोयाबीन में नमी 12 से 15 प्रतिशत से ऊपर है। किसान इस डर से सोयाबीन बिक्री के लिए लाने की हिम्मत नहीं कर पाते रहे। अगर किसी ने केंद्र पर सोयाबीन ला लिया तो उसे अस्वीकार किया जा रहा है। इसलिए सरकारी खरीद केंद्र पर किसानों की ज्यादा चहल-पहल देखने को नहीं मिल रही है। इस साल प्राकृतिक आपदा के कारण सोयाबीन की गुणवत्ता में दो से तीन फीसदी की गिरावट आई है। ऐसे सोयाबीन को भी खरीद के लिए खारिज किया जा रहा है। इसके अलावा छलनी में 3 से 4 किलो सोयाबीन बच जाने से किसानों को इसकी मार पड़ रही है।

बिक्री के लिए फसल लाने के बाद किसानों को दोहरी ग्रेडिंग प्रणाली का सामना करना पड़ता है। पहले खरीद केंद्र पर और फिर दूसरी ग्रेडिंग। खरीदी केंद्र पर ग्रेडर के माध्यम से पास होने के बाद सोयाबीन की गिनती कर सरकारी गोदाम में भेजा जाता है। गौरतलब है कि सरकारी गोदाम पर भी ग्रेडिंग की जाती है। ऐसे भी मामले सामने आए हैं जिनमें सोयाबीन को सरकारी ग्रेडर्स द्वारा खरीद केंद्र पर अस्वीकार कर दिया गया है। इससे किसानों के मन में आक्रोश की भावना पैदा होने लगी है।

Created On :   27 Nov 2024 1:31 PM IST

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