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Amravati News: हल्दी उत्पादन से अमरावती के शेंदुरजनाघाट के किसानों ने फेरा मुंह

- उचित भाव न मिलने से लागत निकालना मुश्किल हुआ
- दूसरी फसलों की ओर बढा किसानों का रूझान
Amravati News शेंदुरजना घाट हल्दी के उत्पादन के लिए प्रसिध्द था। पीढ़ियों से यहां हल्दी की फसल लेनेवाले किसान हैं। परिसर में कुछ वर्षों पहले हल्दी का बड़ी मात्रा में उत्पादन होता था। इस फसल की ओर लोग नकद फसल के रूप में देखते हैं। हल्दी खरीदी करने के लिए बाहरगांव से व्यापारी भी आते थे। अच्छा भाव मिल रहा था। किंतु आज किसानों ने हल्दी फसल की ओर मुंह फेर लिया है।
जानकारी के अनुसार 50 वर्ष पहले शेंदुरजना घाट में हर घर में हल्दी की फसल बड़ी मात्रा में ली जाती थी और इसी हल्दी से कुमकुम बनाने के कारखाने पूर्व के समय में शेंदुरजना घाट में थे, ऐसा कहा जाता है। पिछले कुछ वर्षों में हल्दी को भाव नहीं मिलने से और उत्पादन खर्च बढ़ने से और आय मात्र कम होने लगी। इसी कारण शेंदुरजना घाट की हल्दी का रंग फीका पड़ने लगा है। ऐसा दिखाई देता है। फिलहाल हल्दी फसल खोदने का काम निपट गया है। खोदी हुई हल्दी उबालकर उसे सुखाना और सुखाकर बिक्री के लिए तैयार करने का काम शुरू है। इस गांव में हल्दी बुआई करनेवाले किसान हैं।
किसान हल्दी का उत्पादन बड़ी मात्रा में लेते थे। किंतु जगह का अभाव व बाजार उपलब्ध न रहने से और हल्दी तैयार करने के लिए खर्चा बढ़ जाने से किसानों ने हल्दी की फसल लेना कम कर दिया है। क्योंकि उत्पादन खर्च की तुलना में हल्दी को मिलनेवाले भाव दिनों दिन कम होता गया। जिससे हल्दी का बुआई क्षेत्र अब काफी कम रहा है। गर्मी के दिनों में खेत को बुआई योग्य कर हल्दी की फसल लेनेवाले किसान बारिश की राह देखते थे। बारिश आते ही पहले हल्दी की बुआई की जाती है। हल्दी की फसल में ही अंतर्गत फसल भी ली जाती है। जिसमे ऐरंडी, मिर्च, भेंडी, टमाटर, काकडी आदि की फसल ली जाती है।
शेंदुरजना में हल्दी का रंग पड़ा फीका : हल्दी की फसल की जहां बुआई करनी है, उस जगह की सबसे पहले मरम्मत कर उसे बुआई योग्य तैयार किया जाता है। फिर बारिश की प्रतीक्षा की जाती है। मृग नक्षत्र में समाधानकारक बारिश होने पर हल्दी बुआई के खेत में कुदल मारकर वहां हल्दी के बीज बोए जाते है। यह बोते समय इस वर्ष बोया हुआ बीज आगामी वर्ष नहीं बोया जाता। अगर बीज नहीं उगा तो उसी जमीन पर दूसरा बीज तैयार किया जाता है। वह हल्दी खोदते समय अलग निकाला जाता है। जिससे किसान मोड़ करना कहते है। यह मोड़ा हुआ बीज जमीन में ही अलग जगह पर गड्ढ़ा खोदकर ढांक कर रखा जाता है। बारिश आने के बाद वह बीज निकालकर उसकी दुबारा बुआई की जाती है।
Created On :   19 April 2025 2:48 PM IST