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Amravati News: कोट रियासतों के वंशजों पर भुखमरी की नौबत, सड़क पर गिट्टी फोड़ने का काम करने विवश
- रोजगार की तलाश में पलायन कर यवतमाल में खाक छान रहे
- तीन रियासतों पर किसी जमाने पर पोहार राजा का बड़ा प्रभाव था
Amrawati News आठवीं सदी से तेरहवीं सदी तक मेलघाट के कोट रियासतों पर राज कर चुके राजपूत घराने के शूरवीर दिवंगत राजा मदन मोहनसिंह पोहार (पवार) के वंशजों को सरकार ने लावारिस छोड़ दिए जाने से इस परिवार पर भुखमरी की नौबत आन पड़ी है। फलस्वरूप आज इस राजपूत राजा के वंशजों को रोजगार के लिए पलायन करना पड़ रहा है। पोहार राजा के वंशज काम की तलाश में अपना पुश्तैनी मकान छोड़कर यवतमाल जिले में खाक छानने विवश हैं। इनके वंशज लोकनिर्माण विभाग अंतर्गत सड़कों के निर्माण के दौरान गिट्टी फोड़ते देखे जा रहे हैं। सुर्सदा, लाकटू और कोट इन तीन रियासतों पर किसी जमाने पर पोहार राजा का बड़ा प्रभाव था। अपने जमाने में शाही अंदाज में जीवन यापन करने वाले राजाओं ने कभी सोचा भी नहीं था कि उनकी नई पीढ़ी को दर-दर की ठोकरे खानी पड़ेंगी।
शासन से सिर्फ 9 हजार मानदेय : हैरत की बात यह भी है कि इन राजाओं का अस्तित्व भी इतिहास के पन्नों से नदारद हो चुका है। वर्तमान में पोहार राजघराने की ऐतिहासिक धरोहर कोट का किला भी खंडहर में तब्दील होकर अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है। ब्रिटिश शासन काल में टोपु सीट के आधार पर राजा मदन मोहनसिंग पोहार के वंशजों को खेतों से सागौन लकड़ी काटने की अनुमति तो दी, लेकिन राजा पोहार के घराने को खेतों का अधिकार नहीं दिया था। सिर्फ सागौन लकड़ी काटने तक ही अनुमति सीमित थी।
आज भी उनके वंशजों को सरकार की ओर से सिर्फ 9 हजार मानदेय दिया जाता है। वर्तमान स्थिति में राजा के नातिन धीरेंद्रसिंह योगेंद्रसिंह पवार और सुसर्दा के वंशज आनंद सिंग बाबूसिंग कच्छवार को दो जून रोटी के लिए रोजगार की तलाश में दर-दर भटकना पड़ रहा है। आज यह वंशज लोक निर्माण विभाग में सड़कों पर गिट्टी फोड़ते देखे जा रहे हैंं।
Created On :   18 Dec 2024 1:36 PM IST