Amravati News: गर्मी दस्तक देने लगी, वन्यजीव प्यासे, सूखने लगे जलाशय

गर्मी दस्तक देने लगी, वन्यजीव प्यासे, सूखने लगे जलाशय
  • शहर की ओर कूच कर रहे वन्यजीव
  • शहरी श्वानों का समूह जंगली जानवरों पर टूट पड़ता है
  • 600 से अधिक नैसर्गिक जलकुंभों का निर्माण

Amravati News मेलघाट टाइगर प्रोजेक्ट के जंगलों से बाहर निकलकर वन्यजीव शहर और देहातों की और रूख कर रहे है। वन्यजीवों का शहर और गांव की ओर कूच करने के कई कारण बताए जा रहे हैं। वन क्षेत्र के जलाशय अब धीरे-धीरे रितने लगे हैं। नतीजतन, वन्यजीव शहर की ओर आने पर मजबूर हो रहे हैं। शहर में पहुंचते ही शहरी श्वानों का समूह इन जंगली जानवरों पर टूट पड़ता है।

जनवरी खत्म भी नहीं हुआ कि ग्रीष्मकाल का एहसास होने लगा है। जलाशयों का तेजी से घटते जलस्तर के बाद पानी की तलाश में जंगली जानवर अब शहर की ओर रुख करने लगे है। वैसे टाइगर प्रोजेक्ट ने जंगल में जंगली जानवरों की प्यास बुझाने केे लिए 600 से अधिक नैसर्गिक जलकुंभों का निर्माण किया है जबकि 350 से अधिक सीमेंट के जलकुंभ भी बनाए गए हैं। मई महीने में पूरी तरफ पानी खत्म हो जाता है। इन जलकुंभों में टैंकर की मदद से टॉइगर प्रोजेक्ट पानी का इंतजाम करता है।

वन विभाग जुटा मरम्मत में : टाइगर प्रोजेक्ट का वन विभाग वनक्षेत्र में मौजूद जलाशयों की मरम्मत के लिए जुट गया है। शिकारी जलाशयों में यूरिया या जहर मिलाकर वन्यजीवों का शिकार न कर सकें, इसके लिए एहतियात बरते जा रहे हैं। महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश के सीमा से बहनेवाली तापी नदी मंेे प्यास बुझाने वन्यजीव पहुंच रहे हंै। इसके अलावा नए कृत्रिम जलाशयों का भी निर्माण किया जा रहा है।

क्षेत्र के रायपुर, हतरू, चौराकुंड, हरिसाल, तारूबांदा, धारगड, सेमाडोह और ढाकणा आठ रेंज का कुछ भूभाग टाइगर प्रोजेक्ट के मेलघाट टॉयगर प्रोजेक्ट के गाभा क्षेत्र में आता है। इस क्षेत्र में वन्यजीवों की संख्या अधिक है। टाइगर प्रोजेक्ट के जंगल से बहनेवाली गडगा, सिपना, खंडू, खापरा जैसी नदियों मे पानी रोकने के लिए कोई बांध का निर्माण नहीं किया गया है। पूरे टॉइगर प्रोजेक्ट में हरिसाल के सिपना नदी पर एकमेव कोल्हापुरी बांध में बारह महीने पानी उपलब्ध रहता है।

Created On :   31 Jan 2025 3:24 PM IST

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