हवा में झूलते हैं इस मंदिर के खंभे, तस्वीरें देख आप भी चौंक जाएंगे

The pillars of this temple swing in the air, you will also be shocked to see pictures
हवा में झूलते हैं इस मंदिर के खंभे, तस्वीरें देख आप भी चौंक जाएंगे
अजब- गजब हवा में झूलते हैं इस मंदिर के खंभे, तस्वीरें देख आप भी चौंक जाएंगे

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत में करोड़ों मंदिर हैं, यहां किसी भी शहर के गली-मोहल्ले में एक ना एक मंदिर तो जरूर होता है। इनमें से कई बहुत अधिक प्रसिद्ध होते हैं और कई ऐसे जिन्हें देखकर विश्वास करना मुश्किल होता है। ऐसा ही एक मंदिर है, 16वीं शताब्दी का वीरभद्र मंदिर। इस मंदिर को लेपाक्षी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।

यह मंदिर भारत के आंध्र प्रदेश के अनंतपुर जिले में लेपाक्षी के छोटे से एक गांव में स्थित है, बैंगलोर से करीबन 120 किमी उत्तर में स्थित है। इस मंदिर को विजयनगर वास्तुकला की शैली में बनाया गया है। क्या कुछ खास है इस मंदिर में आइए जानते हैं...

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क्या है मंदिर की खासियत
मंदिर काफी खूबसूरत है इसमें देवी-देवताओं, नर्तकियों और संगीतकारों की कई सुंदर मूर्तियां हैं और इसके दीवारों, स्तंभों और छत पर सैकड़ों पेंटिंग लगी हैं। इनमें महाभारत, रामायण और महाकाव्यों की कहानियों को दर्शाया गया है। ऐसा बताया जाता है कि इसकी छत पर भगवान शिव द्वारा बनाया गया उग्र देवता वीरभद्र का एक चित्र है।

यह भारत में अब तक का किसी भी एक आकृति में बनाया गया सबसे बड़ा भित्ति चित्र है। मंदिर के सामने एक बड़ा नंदी और शिव का पर्वत मौजूद है, इसे पत्थर के एक ही खंड से उकेरा गया है, और माना जाता है कि यह दुनिया में इस तरह का सबसे बड़ा पत्थर है।

क्या है मंदिर का रहस्य?
वीरभद्र मंदिर एक आश्चर्य के लिए जाना जाता है। इस मंदिर में 70 पत्थर के खंभें हैं जिन में से एक खंभा छत से लटका हुआ है। स्तंभ का निचला हिस्सा मुश्किल से जमीन को छूता है इसके नीचे से कागज की पतली शीट या कपड़े के टुकड़ों एक तरफ से दूसरी तरफ ले जाना संभव है। 

लोगों का कहना है कि जब एक ब्रिटिश इंजीनियर ने इसके के पीछे छुपे रहस्य को जानने का प्रयास और इसे हिलाने की कोशिश की तो स्तंभ अपनी मूल स्थान से थोड़ा हट गया। इस मंदिर का निर्माण दो भाई वीराना और विरुपन्ना ने मिल कर किया था। दोनों भाई राजा अच्युतराय के शासनकाल में विजयनगर साम्राज्य के राज्यपाल थे।

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भारतीय महाकाव्य रामायण में महत्वपूर्ण स्थान रखता है लेपाक्षी गाँव। कहा जाता है रावण द्वारा घायल हुआ पक्षी जटायु यहीं गिरा था। जब भगवान राम ने उन्हें वहां देखा तो उन्होंने उनसे दया भाव से कहा, "ले पाक्षी" जिसे तेलुगू में "उठो, पक्षी" कहते हैं इसलिए इस स्थान का नाम लेपाक्षी मंदिर है।

Created On :   13 Sept 2021 4:30 PM IST

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