नमीबिया के इन रहस्यमयी गोलों को लेकर वैज्ञानिकों ने किया चौंकाने वाला खुलासा, बताई इनके निर्माण की वजह!

नमीबिया के इन रहस्यमयी गोलों को लेकर वैज्ञानिकों ने किया चौंकाने वाला खुलासा, बताई इनके निर्माण की वजह!
अजब-गजब नमीबिया के इन रहस्यमयी गोलों को लेकर वैज्ञानिकों ने किया चौंकाने वाला खुलासा, बताई इनके निर्माण की वजह!

डिजिटल डेस्क, भोपाल। नमीब रेगिस्तान जो कि नमीबिया तट से लगभग 100-150 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस इलाके के आसपास बहुत कम बारिश होती है। इतनी कम बारिश होने के बावजूद भी यहां की बंजर जमीन पर घास जमी रहती है। इतनी कम बारिश और कठोर जमीन होने के बाद भी इस जगह में घास को उगा देख वैज्ञानिक हैरत में पड़ जाते हैं। 

इस ऊबड़- खाबड़ जमीन में गोले- गोले बने हुए हैं, जिसके अंदर घास या कोई पौधे नही हैं।  दूर से देखने पर ये गोले पोल्का डॅाट पैर्टन जैसे दिखते हैं। इन गोलों को फेयरी सर्कल्स कहा जाता है। अपने अंदर कई रहस्य दवाए ये गोले दूर से देखने पर ये घेर के समान दिखाई देते हैं। इन गोलों की लंबाई 2 से 10 मीटर तक होती है। 

इस रहस्य को सुलझाने की वैज्ञानिक कर रहे लंबे समय से कोशिश

काफी समय से वैज्ञानिक इन गोलों के रहस्य को सुलझाने की कोशिश कर रहे हैं। वैज्ञानिकों द्वारा इन गोलों को दो तरह की थ्योरी दी गई हैं। पहली थ्योरी के मुताबिक इन गोलों का निर्माण जड़ो को खाने वाले दीमक के कारण हुआ है। वहीं दूसरी थ्योरी के अनुसार यह घास की उपलब्धता बनाने के लिए खुद को व्यवस्थित कर लेती हैं। इन दोनों ही थ्योरियों को लेकर वैज्ञानिक आश्वस्त थे। लेकिन पहली वाली थ्योरी पर विश्वास उस समय कम हो गया जब साल 2016 में ऑस्ट्रेलिया में भी इस तरह के गोले देख गए। जिस जगह पर यह गोले नजर आए वहां दीमक नहीं पाए गई। 

हाल ही में वैज्ञानिकों ने एक ऐसी रिसर्च की है जिससे दूसरी थ्योरी को मजबूती मिली है। जिसमें यह कहा गया है कि घास बारिश का लाभ उठाने के लिए ऐसे घेरों या गोलों का खुद से निर्माण कर लेती है।   

जर्मन वैज्ञानिक ने किया बड़ा खुलासा

साल 2020 में जर्मनी की गोएटिंगेन यूनिवर्सिटी में ईकोसिस्टम माडलिंग डिपार्टमेंट के स्टीफन गेटजिन ने एक रिसर्च किया था। जिसमें पानी की कमी वाले परिदृश्य का सपोर्ट किया गया है। इसे शोधकर्ताओं ने टयूरिंग पैर्टन का उदाहरण बताया था। शोधकर्ता गेटजिन और उनकी टीम ने नामीबिया जाकर इन रहस्यमयी गोलो पर शोध किया था। उन्होंने नामीब रेगिस्तान के लगभग 10 इलाकों में जाकर इन फेयरी सर्कल पर रिसर्च की। अपनी रिसर्च में उन्होंने बताया कि नमीब रेगिस्तान में बेहद कम बारिश होती है। उन्होंने बताया कि बारिश होने के तुरंत बाद इन गोलों में घास नजर आती है और जल्द ही सूख भी जाती है। लेकिन इन गोलों के किनारों की घास उगी हुई रहती है। 

रिसर्च में आगे यह पता चला कि बारिश होने के 10 दिनों के बाद गोले में कम घास उगी थी जो कि सूख रही थी। गोलों के अंदर वाले हिस्से में उगी हुई घास बारिश होने के 20 दिनों के बाद सूख गयी थी। वही बाहर की घासें हरी- भरी थी। शोधकर्ताओं के हाथ इस जगह पर दीमक लगने के कोई भी सबूत नहीं लगे। अपने रिसर्च रिपोर्ट में गेटजिन ने एक रोचक बात बताई। उन्होंने कहा कि इन फेयरी सर्कल के अंदर मे उगी घास का पानी खत्म हो रहा है जिसकी वजह से वह अपने जड़ों की तरफ की गीली मिट्टी के वैक्यूम या खाली जगह बनाती हैं जिससे वह पानी को अपनी ओर खींच लेती हैं।

Created On :   3 Nov 2022 5:21 PM IST

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