विदिशा जिले की राजनीति में बीजेपी के वर्चस्व को चुनौती दे पाएंगी विरोधी पार्टियां
- विदिशा में 5 विधानसभा सीट
- 1 पर कांग्रेस, 4 पर भाजपा
- जातियों में वर्चस्व की लड़ाईयां
डिजिटल डेस्क,नई दिल्ली। मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव का शोरगुल शुरू हो गया है। भोपाल संभाग में आने वाले विदिशा जिले में 5 विधानसभा सीट विदिशा,बासौदा,कुरवाई,सिरोंज,शमशाबाद आती है। 5 में से 4 सीट अनारक्षित है, जबकि एक सीट कुरवाई अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। 5 में चार सीटों पर बीजेपी का कब्जा है, केवल एक आरक्षित सीट कुरवाई पर भी बीजेपी का कब्जा । वहीं कांग्रेस के खाते में एक मात्र विधानसभा सीट विदिशा है। विदिशा जिले की राजनीति में बीजेपी का वर्चस्व कई सालों से बरकरार है।
विदिशा विधानसभा चुनाव
विदिशा विधानसभा सीट पर बीजेपी का वर्चस्व है, जो पिछले विधानसभा चुनाव में फीका पड़ गया था। 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी ने जीत हासिल कर बीजेपी के विजयी रथ को रोक दिया। विदिशा सीट पर जातीय समीकरण काफी मायने रखते है। विदिशा सीट पर अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वोटरों की संख्या सर्वाधिक है। ओबीसी वर्ग के मतदाताओं की संख्या अधिक है, ओबीसी में कुशवाह और दांगी समुदाय के करीब करीब 20 हजार से अधिक मतदाता है।
2018 में कांग्रेस के शशांक भार्गव
2014 उपचुनाव में बीजेपी के कल्याण सिंह दांगी
2013 में बीजेपी के शिवराज सिंह चौहान
2008 में बीजेपी के राघव
2003 में बीजेपी के गुरुचरन सिंह
1998 में बीजेपी के सुशीला देवी ठाकुर
1993 में कांग्रेस के गुरुमुख सिंह होरा
1990 में बीजेपी के मोहर सिंह ठाकुर
1985 में कांग्रेस के भुलेश्वरी दीपा साहू
1980 में कांग्रेस के चंद्रहास
1977 में जेएनपी के नरसिंहदास गोयल
बासौदा विधानसभा चुनाव
विश्वभर में पत्थर से पहचान रखने वाला गंजबासौदा क्षेत्र से निकलने वाले पत्थर का निर्यात देश के साथ साथ विदेशों में भी होता है। गंजबासौदा की कृषि मंडी प्रदेश की दूसरी सबसे बड़ी मंडी है। दस साल से यहां जैन समाज का विधायक है, वहीं इससे पहले करीब डेढ़ दशक से रघुवंशी समाज का विधायक रहा। चुनावों में भी यहां समुदाय संघर्ष साफ साफ दिखाई देता है।
आपको बता दें बासौदा विधानसभा के अधिकतर मतदाता ग्रामीण क्षेत्र से आते है, जिनकी आजीविका भी कृषि पर आधारित है। बासौदा में शिक्षा और बेरोजगारी दोनों अहम मुद्दे माने जाते है।
2018 में बीजेपी के लीला जैन
2013 में कांग्रेस के निशंक
2008 में बीजेपी के हरि सिंह रघुवंशी
2003 में बीजेपी के हरि सिंह रघुवंशी
1998 में कांग्रेस के वीर सिंह रघुवंशी
1993 में कांग्रेस के रामनारायण
1990 में बीजेपी के अजय सिंह रघुवंशी
1985 में कांग्रेस के जयाबेन
1980 में कांग्रेस की जयाबेन
1977 में जेएनपी के जामना प्रसाद बेहहरलाल
कुरवाई विधानसभा सीट
कुरवाई सीट पर किस पार्टी के प्रत्याशी का कब्जा होगा, ये मुख्य रूप से एससी, एसटी और ओबीसी के मुस्लिम मदताताओं पर निर्भर होता है। जिनकी तादाद क्षेत्र में बहुत है। 2003 से कुरवाई सीट पर लगातार बीजेपी चुनाव जीत रही है।
2018 में बीजेपी के हरि सिंह सप्रे
2013 में बीजेपी के वीर सिंह पवार
2008 में बीजेपी के हरि सिंह सप्रे
2003 में बीजेपी के श्यामलाल
1998 में कांग्रेस के रघुवीर सिंह
1993 में बीजेपी के चिरोंजी लाल सोनकर
1990 में बीजेपी के श्यामलाल
1985 में कांग्रेस के गंगा पोटाई
1980 में कांग्रेस के गंगा पोटाई
1977 में जेएनपी के रामचरण लाल
सिरोंज विधानसभा सीट
सिरोंज विधानसभा सीट पर बीजेपी का दबदबा है। बीजेपी के दिवगंत नेता लक्ष्मीकांत शर्मा ने 1993 से लेकर 2008 तक इस सीट पर जीत दर्ज की थी। 2013 में ये सीट कांग्रेस के खाते में गई थी, 2018 में फिर से बीजेपी ने वापसी की थी। रोजगार और सिरोंज को जिला बनवाने का मुद्दा हर चुनाव में गूंजता है। सिरोंज में जातिगत समीकरण की बात की जाए तो 43 फीसदी एससी-एसटी और करीब 38 फीसदी ओबीसी मतदाता है। मुस्लिम मतदाता की हिस्सेदारी 17 फीसदी के करीब है। इसके अलावा यादव और कुशवाह समाज के वोटर भी काफी संख्या में मौजूद है, जो चुनावी नतीजों में निर्णायक भूमिका निभाते है। करीब दस हजार के आसपास ब्राह्मण वोटर है, जो एक मुश्त वोट करता है। यहीं वजह है कि शर्मा परिवार का यहां वर्चस्व बरकरार है।
2018 में बीजेपी के उमाकांत शर्मा
2013 में कांग्रेस के गोवर्धन लाल
2008 में बीजेपी के लक्ष्मीकांत शर्मा
2003 में बीजेपी के लक्ष्मीकांत शर्मा
1998 में बीजेपी के लक्ष्मीकांत शर्मा
1993 में बीजेपी के लक्ष्मीकांत शर्मा
1990 में बीजेपी के भवानी सिंह
1985 में कांग्रेस के श्यामाबाई ध्रुआ
1980 में निर्दलीय आत्माराम ध्रुवा
1977 में जेएनपी के शरीफ मास्टर
शमशाबाद विधानसभा सीट
शमशाबाद विधानसभा सीट पर भले ही यादव मतदाताओं की संख्या सबसे अधिक है। लेकिन दो बार से यादव समाज की प्रत्याशी हारने से ये कहना आसान है कि यादव समुदाय का वोटर निर्णायक भूमिका में नहीं रहता है। सीट पर ज्यादातर बीजेपी का कब्जा रहा है। अन्य समुदाय के वोटर यादव समाज के खिलाफ वोट करते है। यहां बनिया और साहू समाज भी चुनाव में प्रभावी भूमिका में नजर आते है। आपको बता दें शमशाबाद विधानसभा सीट सागर संसदीय क्षेत्र में आती है। जातिगत समीकरण की बात की जाए तो यादव, मीणा और साहू समाज के वोटर्स चुनावी फैसला करते है।
2018 में बीजेपी से राजश्री
2013 में बीजेपी से सूर्यप्रकाश
2008 में बीजेपी से सूर्यप्रकाश मीना
2003 में बीजेपी से राघवजी
1998 में एजेबीपी से रुद्रप्रताप सिंह
1993 में बीजेपी से प्रेम नारायण शर्मा
1990 में बीजेपी से प्रेम नारायण
1985 में कांग्रेस से शिवनेताम
1980 में कांग्रेस लम्बोदर बैलर
1977 में जेएनपी से गिरिसचंद रामसहाय
Created On :   4 July 2023 6:47 PM IST