टूट गई सचिन पायलट की 'आखिरी' उम्मीद! अपनी ही सरकार से इस तरह सरेआम जताई निराशा

डिजिटल डेस्क, जयपुर। राजस्थान सीएम और नेता सचिन पायलट के बीच सियासी वर्चस्व की लड़ाई अब खुलकर सामने आ गई है। सचिन पायलट ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अशोक गहलोत के आरोपों का जवाब दिया। उन्होंने कहा, गहलोत का पिछला भाषण सुनने के बाद ऐसा लगा कि जैसे उनकी नेता सोनिया गांधी नहीं बल्कि वसुंधरा राजे हैं। पायलट ने आगे कहा, 'पहली बार देख रहा हूं कि कोई नेता अपनी ही पार्टी के सांसदों और विधायकों की आलोचना कर रहे हैं। भाजपा नेताओं का गुणगान और कांग्रेस नेताओं का अपमान मेरी समझ से बाहर है। यह सरासर गलत है।' उन्होंने कहा, 'अपने नेताओं को खुश करने के लिए बहुत सारे लोग बहुत सारी बातें करते हैं, चुगली करते हैं। ऐसी बातें मुझसे भी की जाती हैं, लेकिन मैं मंच से ये कहूं तो यह शोभा नहीं देता है।'
— ANI (@ANI) May 9, 2023
पायलट ने आगे कहा, धौलपुर में आयोजित सभा में अशोक गहलोत द्वारा हम पर आरोप लगाए गए कि हम अपनी पार्टी और सरकार की छवि को धूमिल करना चाहते थे। जबकि हम ऐसा कुछ भी नहीं चाहते थे। वह अपनी ही सरकार और विधायकों को बदनाम करने का काम कर रहे थे। हम सभी दिल्ली अपनी बात आलाकमान के सामने रखने के लिए गए थे। गहलोत उन लोगों पर आरोप लगा रहे हैं जो पब्लिक लाइफ में 30 से 40 साल से हैं। उन्होंने कहा, गहलोत के बयान सुनकर हमें आखिर पता चल ही गया कि वो क्यों वसुंधरा के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले में कार्रवाई नहीं कर रहे?
' मैं नाउम्मीद हूं, 11 से करूंगा पदयात्रा'
पूर्व उपमुख्यमंत्री पायलट ने कहा, 'हमने दिल्ली जाकर अपनी बात कही। वसुंधराजी के भ्रष्टाचार पर कई बार चिट्ठियां लिखीं। अनशन पर भी बैठा। अब भी जांच नहीं हुई। समझ में आ रहा है क्यों एक्शन नहीं लिया। अब मैं नाउम्मीद हूं। जनता ही भगवान है।' इस दौरान पायलट ने बड़ा ऐलान करते हुए कहा कि, वह 11 मई से 5 दिनों की पदयात्रा निकालेंगे। भ्रष्टाचार के खिलाफ होने वाली इस यात्रा का नाम 'जन संघर्ष यात्रा' होगा, जो कि अजमेर से शुरू होगी। पायलट ने मुताबिक, इस यात्रा के बाद वो कोई दूसरा बड़ा फैसला लेंगे।
गहलोत ने ये दिया था बयान
बता दें कि अशोक गहलोत ने हाल में धौलपुर में आयोजित महंगाई राहत कैंप की सभा में जुलाई 2020 की उस घटना का जिक्र किया था जिसमें सचिन पायलट के नेतृत्व में 18 विधायकों ने बगावत कर दी थी। अपने संबोधन में गहलोत ने कहा था कि 2020 में जब सचिन पायलट की अगुवाई में कांग्रेस के कुछ विधायकों ने बगावत की थी, तब वसुंधरा राजे और कैलाश मेघवाल ने उनकी सरकार बचाई थी। उन्होंने कहा, ''जब वे कांग्रेस के अध्यक्ष थे, तो उन्होंने राज्य में भैरोंसिंह शेखावत के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार को गिराने की कोशिश का समर्थन करने से इनकार कर दिया था। इसी तरह 2020 की बगावत के वक्त वसुंधरा राजे और मेघवाल ने कहा था, राजस्थान में चुनी हुई सरकार गिराने की कोई परंपरा नहीं है।''
इसके अलावा गहलोत ने पायलट खेमे पर बागी होते समय बीजेपी से करोड़ों रूपये लेने का आरोप दोहराया। उनहोंने कहा, 3 साल पहले जब पार्टी में बगावत हुई थी उस दौरान हमारे विधायकों को 10 से 20 करोड़ बांटा गया। वह पैसा अमित शाह को वापस लौटा देना चाहिए। अमित शाह, धर्मेंद्र प्रधान और गजेंद्र सिंह शेखावत इन सबने मिलकर हमारी सरकार को गिराने का षड्यंत्र किया। राजस्थान में विधायकों को पैसे बांट दिए। यह लोग पैसा वापस नहीं ले रहे हैं। मुझे चिंता लगी हुई है, ये वापस पैसा क्यों नहीं ले रहे हैं? यह पैसा वापस क्यों नहीं मांग रहे हैं? जबकि मैं कह रहा हूं कि जो पैसे विधायकों से खर्च हो गए है, उस पार्ट को मैं दे दूंगा, कांग्रेस पार्टी से दिला दूंगा। उनका पैसा मत रखो, पैसा अपने पास रखोगे तो हमेशा अमित शाह आप पर दबाव बनाएंगे, वो गृहमंत्री भी हैं। वो धमकाएंगे, डराएंगे, जैसे उन्होंने गुजरात और महाराष्ट्र में धमकाया है। शिवसेना के दो टुकड़े उन्होंने कर दिए।''
Created On :   9 May 2023 3:15 PM IST