केरल में कांग्रेस नेतृत्व से सांसद के.मुरलीधरन खफा
डिजिटल डेस्क, कोच्चि। कांग्रेस के दिग्गज नेता के.करुणाकरण के बेटे के.मुरलीधरन ने गुरुवार को आयोजित वैकोम सत्याग्रह के शताब्दी समारोह में अपने साथ हुए व्यवहार पर निराशा व्यक्त की। एआईसीसी अध्यक्ष मलिकार्जुन खड़गे केरल प्रदेश कांग्रेस कमेटी (केपीसीसी) द्वारा आयोजित समारोह में मुख्य अतिथि थे। कोझिकोड जिले के बडागरा से लोकसभा सदस्य और केपीसीसी के पूर्व अध्यक्ष मुरलीधरन ने शुक्रवार को कहा कि समारोह में उन्हें दरकिनार कर दिया गया।
उन्होंने मीडियाकर्मियों से कहा, कार्यक्रम में केपीसीसी के तीन पूर्व अध्यक्ष मौजूद थे। एम.एम.हसन और रमेश चेन्निथला ने संबोधित किया, लेकिन मुझे बोलने का समय नहीं दिया गया। मेरा नाम पार्टी के अखबार से भी गायब था जिससे मुझे एहसास हुआ कि चीजें किस ओर जा रही हैं। मुरलीधरन ने कहा, करुणाकरन को भी पार्टी में काफी नुकसान उठाना पड़ा है। अगर पार्टी को मेरी जरूरत नहीं है, तो कोई बात नहीं। मैंने केपीसीसी अध्यक्ष के.सुधाकरन और एआईसीसी महासचिव के.सी.वेणुगोपाल को भी सूचित कर दिया है।
2001 में, मुरलीधरन को केपीसीसी का अध्यक्ष बनाया गया था, जब ए.के. एंटनी मुख्यमंत्री बने थे। बाद में, मतभेद होने पर पिता-पुत्र की जोड़ी ने एक नई पार्टी - डेमोक्रेटिक इंदिरा कांग्रेस (डीआईसी) बनाई और 2006 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ की सहयोगी थी और मुरलीधरन पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष थे। चुनावी हार के बाद डीआईसी का वाम सहयोगी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में विलय हो गया और यहां फिर से मुरलीधरन को पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया।
मुरलीधरन और तत्कालीन डीआईसी सदस्य फिर कांग्रेस में लौट आए और उन्होंने 2011 और 2016 के चुनावों में केरल विधानसभा के लिए कांग्रेस के टिकट पर जीत हासिल की। 2019 के लोकसभा चुनावों में, मुरलीधरन को बड़गरा लोकसभा सीट से मैदान में उतारा गया था और वे विजयी हुए। के.सुधाकरण के नए केपीसीसी अध्यक्ष के रूप में पदभार संभालने के बाद से मुरलीधरन बार-बार गर्मागर्मी कर रहे हैं। गुरुवार की घटना के बाद उन्होंने खुलकर अपनी नाराजगी जाहिर की है और अब सभी की निगाहें पार्टी की राष्ट्रीय इकाई पर टिकी हैं कि वे उनसे कैसे निपटते हैं।
(आईएएनएस)
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Created On :   31 March 2023 12:00 PM IST