पूर्वोत्तर में हिंदुत्व एजेंडे को सफलतापूर्वक प्रसारित कर रही भाजपा

BJP successfully propagating Hindutva agenda in Northeast
पूर्वोत्तर में हिंदुत्व एजेंडे को सफलतापूर्वक प्रसारित कर रही भाजपा
राजनीति पूर्वोत्तर में हिंदुत्व एजेंडे को सफलतापूर्वक प्रसारित कर रही भाजपा

डिजिटल डेस्क,अगरतला। पूर्वोत्तर भारत के चार राज्यों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सत्तासीन है और शेष चार में इसके सहयोगी दलों का शासन है।  विशेषज्ञों और राजनीतिज्ञों का कहना है कि विभिन्न धर्मो के लोग इस क्षेत्र में रहते हैं लेकिन भाजपा ने इसके बावजूद बड़ी चतुराई के साथ हिंदुत्व एजेंडे को यहां फैलाया है। पूर्वोत्तर क्षेत्र में आठ राज्य हैं और 2011 की जनगणना के अनुसार, यहां की आबादी 4.56 करोड़ है, जिनमें से 28 प्रतिशत आदिवासी हैं।

भाजपा ने 2016 में असम और अरुणाचल प्रदेश में , 2017 में मणिपुर में और 2018 में त्रिपुरा में सरकार बनाई है। भाजपा के इन चार राज्यों में सरकार बनाने से कई दशक पहले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने यहां पदार्पण किया था। अब संघ प्रचारक बड़ी शांति के साथ पूरे क्षेत्र में हिंदुत्व के एजेंडे का प्रसार करने में जुटे हैं।

कई संगठनों के नाम की आड़ में संघ के लोग बाढ़ और प्राकृतिक आपदाओं के समय में लोगों को राहत पहुंचाने का काम करते हैं, कई प्रकार की सामाजिक सेवा करते हैं और शिक्षा तथा जागरुकता संबंधी गतिविधियों का आयोजन करते हैं।विश्व हिंदु परिषद और सेवा भारती दोनों आरएसएस से संबद्ध हैं और ये प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से शिक्षा मुहैया करा रहे हैं। इसके अलावा ये आदिवासी बहुल इलाके में निशुल्क स्वास्थ्य सेवा और वोकेशनल ट्रेनिंग मुहैया करा रहे हैं।

नेता, बुद्धिजीवी और विश्लेषक पूर्वोत्तर में भाजपा के हिंदुत्व एजेंडे को चुनावी राजनीति करार देते हैं। माकपा नेता एवं वरिष्ठ आदिवासी नेता जितेंद्र चौधरी ने कहा कि भाजपा का हिंदुत्व एजेंडा अवसरवादी और अराजकतावादी है।जितेंद्र चौधरी ने आईएएनएस से कहा कि धर्म और जीवनशैली के कई मुद्दों पर भाजपा का एजेंडा पूर्वोत्तर क्षेत्र तथा अन्य राज्यों के लिए अलग-अलग है। भाजपा के मुस्लिम विरोधी रुख के कारण क्षेत्र की सांप्रदायिक एकता खत्म हो गई है।

तृणमूल कांग्रेस की राज्य सभा सदस्य एवं असम की नेता सुष्मिता देव ने आईएएनएस से कहा कि भारतीय स्वामी विवेकानंद के हिंदुत्व का अनुसरण करते हैं न कि मोहन भागवत के हिंदुत्व का।उन्होंने कहा,भाजपा देश को धार्मिक आधार पर बांटने की पूरी कोशिश कर रही है। धर्म किसी व्यक्ति का व्यक्तिगत पसंद है और इस मामले में किसी को दखल नहीं देना चाहिए।

प्रसिद्ध लेखक रामेश्वर भट्टाचार्य ने आईएएनएस से कहा कि सदियों से भारतीय धर्म में विश्वास करते हैं, जो सबके लिए कल्याणकरी है लेकिन भाजपा का हिंदुत्व एजेंडा चुनाव केंद्रित है।उन्होंने कहा,हमारा विश्वास समावेश में है, विभाजन में नहीं। भारत की ताकत अनेकता में एकता है और ऐसी ही विचारधारा भारत में मौजूद समाज को मजबूती दे सकती है।

मिजोरम, नागालैंड और मेघालय में छह करोड़ से अधिक ईसाई रहते हैं तथा मणिपुर, त्रिपुरा, असम, अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम में भी इनकी संख्या अच्छी-खासी है।मणिपुर की 34 फीसदी और अरुणाचल प्रदेश की 18.7 प्रतिशत आबादी ईसाई है।

साल 2011 की जनगणना के आंकड़ों के अनुसार, असम की कुल 3.12 करोड़ की आबादी में से 34.22 फीसदी जनसंख्या मुस्लिम है जबकि शेष हिंदु और अन्य धमोर्ं के हैं।असम की 126 सदस्यीय विधानसभा में 23 सीटें मुस्लिम बहुल हैं और सात अन्य सीटों पर भी मुस्लिमों मतदाताओं की भूमिका चुनाव की धारा तय करती है।

असम के 19 जिलों में 12 प्रतिशत और उससे अधिक आबादी मुस्लिमाों की है और छह अन्य जिलों में 50 फीसदी से अधिक आबादी मुस्लिम है।त्रिपुरा में अल्पसंख्यकों की संख्या 16.4 प्रतिशत है। यहां मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध और जैन रहते हैं।प्रसिद्ध मुस्लिम बुद्धिजीवी मोजाहिद रहमान ने आईएएनएस से कहा कि भारत में कई धर्म हैं इसी वजह से यहां एक धर्म का दबदबा नहीं हो सकता है।

उन्होंने कहा कि अगर देश में किसी एक धर्म के वर्चस्व के प्रयास किए गए तो इससे देश की एकता और सौहाद्र्र खतरे में पड़ जाएगा। धार्मिक स्वतंत्रता और सौहाद्र्र के मामले में भारत को शीर्ष पर रखने की कोशिश की जानी चाहिए।

 

डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ bhaskarhindi.com की टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.

Created On :   25 Jun 2022 3:01 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story