प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट: शीर्ष कोर्ट की सीजेआई बेंच में सुनवाई, मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद में नया मोड़

शीर्ष कोर्ट की सीजेआई बेंच में सुनवाई,  मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद में नया मोड़
  • प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट के लागू न होने की बात पर सुको ने टोका
  • HC से हिंदू पक्ष को केस में संशोधन की अनुमति देना प्रथम दृष्टया सही-SC
  • मुस्लिम पक्ष ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को शीर्ष कोर्ट में दी चुनौती

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। देश की सर्वोच्च अदालत ने श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद में हिंदू पक्ष को केंद्र और एएसआई को पक्षकार बनाने की मांग वाले हाईकोर्ट के फैसले को सही बताया है। इस पर अगली सुनवाई 8 अप्रैल को होगी। प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट, 1991 के अनुसार 15 अगस्त, 1947 से पहले अस्तित्व में आए किसी भी धर्म के पूजा स्थल को किसी दूसरे धर्म के पूजा स्थल में नहीं बदला जा सकता है। हाईकोर्ट में एएसआई को पार्टी बनाने और वाद में संशोधन के लिए अपील की थी। हिंदू पक्ष का कहना है कि साल 1920 में जब उत्तर प्रदेश ब्रिटिश हुकूमत में यूनाइटेड प्रोविंस था, तब उसके लेफ्टिनेंट गवर्नर ने इस मस्जिद को एएसआई स्मारक घोषित किया था।

सुप्रीम कोर्ट में आज शुक्रवार 4 अप्रैल, 2025 सुनवाई के दौरान मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह विवाद में नया टर्न ले लिया है। आज सुनवाई के दौरान हिंदू पक्ष के अधिवक्ता ने जैसे ही विवादित ढांचा को एक एएसआई संरक्षित स्मारक बताया, साथ ही उन्होंने इस पर प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट लागू न होने की बात कही। इसे सुनते ही सर्वोच्च अदालत के सीजेआई संजीव खन्ना ने टोकते हुए कहा- नो नो... ये मुद्दा हमारे पास लंबित है। आपको बता दें इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को मुस्लिम पक्ष ने चुनौती दी है, जिसमें हिंदू पक्ष को उनके मुकदमे में संशोधन करने और एएसआई को भी पार्टी बनाने की अनुमति दी गई है।

बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक सीजेआई संजीव खन्ना और जस्टिस पीवी संजय कुमार की बेंच ने हिंदू पक्ष को नोटिस जारी किया है। टॉप कोर्ट में हिंदू पक्ष की ओर से पेश हुए एडवोकेट विष्णु जैन ने कहा कि ये एएसआई संरक्षित स्मारक है इसलिए यहां वर्शिप एक्ट लागू नहीं होता। सुनवाई पूरी होने तक मस्जिद के तौर पर इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है। इस पर सीजेआई ने उन्हें टोकते हुए केस के लंबित होने की बात कही। शीर्ष कोर्ट ने कहा कि उच्च न्यायालय की ओर से हिंदू पक्ष को मुकदमे में संशोधन की अनुमति देना प्रथम दृष्टया सही होना प्रतीत होता है।

आपक बता दें हिंदू पक्ष ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में दिए आवेदन में कहा है कि एएसआई संरक्षित स्मारक का उपयोग मस्जिद के तौर पर नमाज के लिए नहीं किया जा सकता है और ऐसे स्थानों पर प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट लागू नहीं होता है। इस पर कोर्ट ने हिंदू पक्ष को वाद में संशोधन करने और पार्टियों को पक्षकार बदलने का अधिकार है। हिंदू पक्ष अपने वाद में ये मांग कर सकता है कि विवादित स्थल पर वर्शिप एक्ट लागू होगा या नहीं, इस पर उच्च न्यायालय का आदेश सही प्रतीत हो रहा है। अब अगली सुनवाई 8 अप्रैल को होगी।

Created On :   4 April 2025 6:10 PM IST

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