बड़ा बयान: 'राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा भारत की सच्ची स्वतंत्रता', बोले आरएसएस चीफ मोहन भागवत

राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा भारत की सच्ची स्वतंत्रता, बोले आरएसएस चीफ मोहन भागवत
  • राम मंदिर को लेकर आरएसएस चीफ का बड़ा बयान
  • बताया देश की आजादी का प्रतीक
  • अहिल्या देवी पुरस्कार समारोह में शामिल होने इंदौर आए थे भागवत

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। अयोध्या में श्रीराम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा को एक वर्ष पूरा हो चुका है। इस बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि राम मंदिर का निर्माण भारत की सच्ची स्वातंत्रता है। इंदौर में आयोजित एक कार्यक्रम में भागवत ने कहा कि इस दिवस को प्रतिष्ठा द्वादशी के रूप में मनाया जाना चाहिए, जो सदियों तक बाहरी आक्रमण के बाद भारत की संप्रभुता की स्थापना का प्रतीक है।

बता दें कि बीते साल 22 जनवरी 2024 को अयोध्या में पीएम मोदी ने रामलला मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा की थी। हालांकि हिंदू पंचांग के मुताबिक इसकी तिथी 11 जनवरी 2025 को थी।

'राम मंदिर आंदोलन किसी का विरोध..'

इस दौरान आरएसएस चीफ ने कहा कि राम मंदिर आंदोलन किसी का विरोध करना नहीं था। बल्कि भारत के स्व को जगाने की कोशिश ती, जिससे भारत आजाद होकर खड़ा हो सके और दुनिया का मार्गदर्शन कर सके। कार्यक्रम के दौरान आरएसएस प्रमुख ने श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव और राम मंदिर के निर्माण में अहम भूमिका अदा करने वाले चंपत राय को प्रतिष्ठित राष्ट्रीय देवी अहिल्या पुरस्कार से सम्मानित किया।

वहीं पुरस्कार मिलने पर चंपत राय ने इसे राम मंदिर आंदोलन में जान गंवाने वाले लोगों को समर्पित किया। उन्होंने इस पुरस्कार को राष्ट्रीय गौरव बताते हुए कहा कि राम मंदिर भारत की प्रतिष्ठा है। चंपत राय ने इस दौरान मंदिर निर्माण में शामिल होने के लिए लोगों का आभार जताया।

बात करें राष्ट्रीय अहित्या देवी पुरस्कार की तो इस इंदौर की श्री अहिल्योत्सव समिति की ओर से प्रदान किया जाता है। विभिन्न सामाजिक क्षेत्रों में योगदान देने वाले व्यक्तियों को हर वर्ष यह पुरस्कार दिया जाता है। इस पुरस्कार से सम्मानित होने वालों में नानाजी देशमुख, विजया राजे सिंधिया, रघुनाथ अनंत माशेलकर और सुधा मूर्ति जैसे दिग्गज शामिल हैं।

Created On :   14 Jan 2025 2:50 AM IST

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