महाराष्ट्र सियासत: उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे के एक साथ आने से कितना बदलेगा महाराष्ट्र का सियासी समीकरण? समझें सबकुछ

उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे के एक साथ आने से कितना बदलेगा महाराष्ट्र का सियासी समीकरण? समझें सबकुछ
  • जल्द साथ आ सकते हैं उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे
  • महाराष्ट्र की सियासत में देखने को मिल सकता है बड़ा बदलाव
  • दोनों नेताओं के साथ आने से महायुति को हो सकता है नुकसान

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। महाराष्ट्र की राजनीति में बड़ा उलटफेर देखने को मिल सकता है। जल्द ही शिवसेना-यूबीटी नेता उद्धव ठाकरे और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के नेता राज ठाकरे एक साथ आ सकते हैं। दोनों ही नेताओं ने इस बात के संकेत दिए हैं। हाल ही में राज ठाकरे ने फिल्म निर्देशक महेश मांजरेकर को इंटरव्यू दिया। जिसमें उन्होंने कहा कि उनके और उद्धव के बीच के मतभेद महाराष्ट्र के हितों के आगे बेहद छोटे हैं।

इधर, उद्धव ठाकरे ने भी राज ठाकरे के बयान पर सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है। राजधानी मुंबई एक सार्वजनिक कार्यक्रम में बोलते हुए उद्धव ठाकरे ने कहा कि महाराष्ट्र के हितों को प्राथमिकता देने के लिए वे एक साथ आने को तैयार हैं। लेकिन यह तैयारी पूरी तरह बिना शर्त नहीं होगी। दोनों नेताओं के एक साथ आने की खबर ने हर किसी को चौंका दिया है। बता दें कि, दोनों नेताओं के साथ आने की खबर से उद्धव खेमे के नेता खुश दिखाई दे रहे हैं। वहीं, राज ठाकरे की पार्टी के कुछ नेता नाराज भी दिखाई दे रहे हैं।

दोनों नेताओं के साथ आने की खबरें पहले भी सुर्खियों में रही हैं। हालांकि, ठोस नतीजा नहीं निकला। बालासाहेब के जाने के बाद दोनों भाई एक साथ आते हैं, तो महाराष्ट्र की राजनीति में इसका असर देखने को मिल सकता है।

मराठी वोटों कितना असर?

साल 2011 की जनगणना के अनुसार, महाराष्ट्र में लगभग 69.93 फीसदी मराठी भाषी लोग हैं। यानी राज्य में लगभग 7.74 करोड़ लोग मराठी भाषी लोग रहते हैं। इस वक्त यह वोट बीजेपी, एकनाथ शिंदे की शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस में बंटा हुआ है। अगर उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे एक साथ आते हैं, तो यह वोट बैंक काफी हद तक उनके साथ जुड़ सकता है। बता दें कि, मुंबई जैसे बड़े शहरों में मराठी भाषा बोलने वालों की संख्या केवल 25-26 फीसदी है।

महायुति को कितना होगा नुकसान

ठाकरे भाईयों के गठबंधन से बीजेपी, शिंदे गुट और अजित पवार की एनसीपी गुट को झटका लग सकता है। बालासाहेब के बड़े समर्थक के तौर पर हिंदू रहे हैं। आज भी शिवसेना-यूबीटी को हिंदू वोट काफी मिलते हैं। ऐसे में अगर दोनों भाई साथ आते हैं, तो मुंबई, ठाणे और नाशिक जैसे बड़े शहरी क्षेत्रों में यह गठबंधन बीजेपी को कड़ी टक्कर दे सकते हैं। ठाकरे परिवार ने साल 1966 में शिवसेना की स्थापना की है। इसके बाद से ही महाराष्ट्र की राजनीति में बालासाहेब ठाकरे केंद्र बिंदु रहे हैं। जिसके चलते अन्य दलों को नुकसान उठाना पड़ सकता है।

शिवसेना-यूबीटी को साल 2024 के लोकसभा चुनाव और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के दौरान मुस्लिम और दलित वोटों का भी अच्छा समर्थन देखने को मिला। अगर राज ठाकरे के साथ गठबंधन होता है, तो यह समुदाय नाराज हो सकता है। हालांकि, उनका यह वोट बैंक कांग्रेस और एनसीपी के खाते में जा सकता है।

राज ठाकरे ने शुरुआती दौर में बेहतरीन प्रदर्शन किया। हालांकि, 2014 के बाद से उनकी पार्टी का ग्राफ लगातार गिरता जा रहा है। अब मुंबई महानगरपालिका का चुनाव होने वाला है। अगर, राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे एक साथ आते हैं, तो नगरपालिका चुनाव में बीजेपी गठबंधन को चुनौती मिल सकती है।

Created On :   21 April 2025 7:31 PM IST

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