आजादी से अब तक 35 हजार पुलिसकर्मियो ने देश के लिए दी जान

Since independence, 35 thousand policemen have given their lives for the country
आजादी से अब तक 35 हजार पुलिसकर्मियो ने देश के लिए दी जान
आजादी से अब तक 35 हजार पुलिसकर्मियो ने देश के लिए दी जान

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पाकिस्तान की ओर से सीजफायर के उल्लंघन के बाद शनिवार को की गई गोलीबारी में दो भारतीय जवान शहीद हो गए। इनमें हवलदार पदम बहादुर श्रेष्ठ और राइफलमैन गामिल कुमार श्रेष्ठ को शहादत मिली। इसके बाद भारत की ओर से की गई जवाबी कार्रवाई में जैश-ए-मोहम्मद और हिजबुल मुजाहिदीन के करीब 10 आतंकियों सहित 10 पाकिस्तानी सेनिकों को मार गिराया है। वहीं देश की सुरक्षा की खातिर सितंबर-2018 से अगस्त-2019 तक 292 जवानों ने अपने प्राणों की आहूति दी है। इनमें सीआरपीएफ, बीएसएफ, अर्द्धसैनिक बलों और पुलिसकर्मी शामिल हैं। वहीं आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार आतंकवाद रोधी और अन्य अभियानों में आजादी से अब तक देश के लिए 35 हजार पुलिसकर्मी शहीद हुए हैं।

सितंबर 2018 से इस साल अगस्त तक शहीद होने वाले राज्य पुलिस और अर्धसैनिक बलों के जवानों में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के कर्मियों की संख्या सबसे अधिक 67 है। इनमें सीआरपीएफ के वे 40 जवान भी शामिल हैं, जो इस साल 14 फरवरी को कश्मीर के पुलवामा आतंकी हमले में शहीद हो गए थे। विभिन्न पुलिस बलों और संगठनों से प्राप्त आधिकारिक आंकड़ों का हवाला देते हुए एक आधिकारिक बयान में कहा कि एक साल की अवधि में शहीद होने वालों में सीमा सुरक्षाबल (बीएसएफ) के 41, भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के 23 और जम्मू कश्मीर पुलिस के 24 कर्मी शामिल हैं। 

सूची में महाराष्ट्र पुलिस के 20 कर्मियों के नाम भी शामिल हैं, जिनमें से 15 इस साल मई में गढ़चिरौली में माओवादियों द्वारा किए गए बारूदी सुरंग विस्फोट में शहीद हो गए थे। इस एक साल शहीद होने वालों में छत्तीसगढ़ पुलिस के 14, कर्नाटक पुलिस के 12, रेलवे रक्षा बल (आरपीएफ) के 11, दिल्ली पुलिस के 10, राजस्थान पुलिस के 10, बिहार पुलिस के सात और केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षाबल (सीआईएसएफ) के छह कर्मी शामिल हैं। इनके अलावा इस अवधि के दौरान झारखंड, उत्तराखंड, अरुणाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, सिक्किम, हिमाचल प्रदेश और त्रिपुरा के पुलिस बलों तथा सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी), राष्ट्रीय अपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) तथा असम राइफल्स के कर्मियों का नाम भी शहीद होने वालों की सूची में है। 

आंकड़ों के अनुसार अर्धसैनिक बलों के शहीद होने वाले जवानों में से ज्यादातर की जान नक्सलवाद और सीमा पार से चलाए जा रहे आतंकवाद के चलते गई। राज्य पुलिस बलों के कर्मियों की जान नक्सलियों, आतंकवादियों, शराब और बालू माफिया से निपटने तथा कानून व्यवस्था से जुड़े अन्य दायित्वों को निभाते समय गई। स्वतंत्रता से लेकर अगस्त 2019 तक कुल 35,136 पुलिसकर्मियों ने राष्ट्र की रक्षा और लोगों को सुरक्षा उपलब्ध कराते समय अपना बलिदान दिया। शहीद पुलिसकर्मियों के नाम सोमवार को पुलिस स्मृति दिवस के दौरान पढ़े जाएंगे। पुलिस स्मृति दिवस 1959 में चीनी सैनिकों की गोलीबारी में शहीद हुए 10 पुलिसकर्मियों को श्रद्धांजलि देने के लिए मनाया जाता है।

Created On :   20 Oct 2019 11:24 PM IST

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