मिट्टी बचाओ अभियान के तहत 27 देशों की यात्रा पर निकले सद्गुरु यूएई पहुंचे

Sadhguru reached UAE on a 27-nation tour as part of Save the soil campaign
मिट्टी बचाओ अभियान के तहत 27 देशों की यात्रा पर निकले सद्गुरु यूएई पहुंचे
नई दिल्ली मिट्टी बचाओ अभियान के तहत 27 देशों की यात्रा पर निकले सद्गुरु यूएई पहुंचे
हाईलाइट
  • नेताओं का समर्थन

डिजिटल डेस्क, अबू धाबी। सद्गुरु की अबू धाबी यात्रा उनके अभियान, जर्नी टू सेव सॉयल का हिस्सा है, जो लंदन से भारत के दक्षिणी सिरे तक 100 दिनों, 30,000 किलोमीटर और 27 देशों में फैली हुई है।

अपनी एकल मोटरसाइकिल यात्रा के माध्यम से मिट्टी बचाओ अभियान के तहत उनका उद्देश्य मिट्टी के स्वास्थ्य (बेहतर और उपजाऊ मृदा) के लिए खड़े होने के लिए दुनिया भर के लोगों को एक साथ लाना और मिट्टी को बचाने के लिए राष्ट्रीय नीतियों को विकसित करने और लागू करने में नेताओं का समर्थन करना है।

जाने-माने भारतीय धर्मगुरु और पर्यावरणविद् सद्गुरु ने मार्च में लंदन में अपने जर्नी टू सेव सॉयल अभियान की शुरुआत की थी। वह मिट्टी के संरक्षण के कारण दुनिया के सामने उभरने वाले खतरे के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए 100 दिनों की मोटरसाइकिल यात्रा पर अकेली ही निकले हैं, जो कि 27 देशों से गुजरेगी। सद्गुरु की यात्रा के यूएई चरण का समापन शुक्रवार (20 मई) को दुबई वल्र्ड ट्रेड सेंटर में एक बड़े पैमाने पर सार्वजनिक कार्यक्रम के साथ होगा, जिसमें 10,000 लोगों के आने की उम्मीद है।

सद्गुरु की अबू धाबी में जुबैल मैंग्रोव पार्क की यात्रा के दौरान, इंटरनेशनल सेंटर फॉर बायोसैलिन एग्रीकल्चर (आईसीबीए) और कॉन्शियस प्लैनेट मूवमेंट टू सेव सॉयल (कॉन्शियस प्लैनेट) ने खाद्य-उत्पादक कृषि मिट्टी की सुरक्षा में सहयोग शुरू करने के लिए एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए। यूएई में खाद्य-उत्पादक कृषि मिट्टी को क्षरण से बचाने के लिए यह सहयोग किया गया है। जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण मंत्री मरियम बिन्त मोहम्मद अलमहेरी की उपस्थिति में समझौते पर हस्ताक्षर किए गए।

समझौता ज्ञापन के महत्व पर प्रकाश डालते हुए, मरियम अलमहेरी ने कहा, संयुक्त अरब अमीरात में कठोर पर्यावरणीय परिस्थितियां, जिनमें उच्च तापमान, उच्च वाष्पीकरण दर, सीमित और अनियमित वर्षा और मिट्टी की नाजुक संरचना तथा कम प्राकृतिक उर्वरता शामिल हैं, मिट्टी के क्षरण के प्राकृतिक चालक (नेचुरल ड्राइवर्स) हैं। हमारे देश के 80 प्रतिशत से अधिक भूभाग पर मरुस्थल है, जो हमें अपनी मिट्टी और इसके द्वारा प्रदान की जाने वाली महत्वपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र (इकोसिस्टम) सेवाओं को संरक्षित करने के लिए और अधिक सतर्क बनाता है।

इस दौरान सद्गुरु ने कहा, वह बारिश नहीं है, जो हरियाली लाती है, बल्कि यह हरियाली ही है, जो बारिश को जन्म देती है। जहां भी धूप होती है, थोड़े से प्रयास से हम भूमि को जीवित और उत्पादक मिट्टी में बदल सकते हैं। यूएई अपने दूरदर्शी और दृढ़ नेतृत्व के साथ इसे संभव बना सकता है और उसे ऐसा करना चाहिए।

कॉन्शियस प्लैनेट एक वैश्विक अभियान है, जिसकी स्थापना सद्गुरु ने दुनिया की मिट्टी को बचाने के लिए एक जागरूक दृष्टिकोण को प्रेरित करने के लिए की है। इसका उद्देश्य 3.5 अरब से अधिक लोगों के समर्थन को सक्रिय करना और नीतियों को तैयार करने में सरकारों की सहायता करना है, जो मिट्टी के स्वास्थ्य पर काम करेंगे और मिट्टी की लगातार कम हो रही उपजाऊ क्षमता को रोकने के साथ कृषि गतिविधि को और अधिक मिट्टी के अनुकूल बनाने का काम करेंगे। आंदोलन की प्राथमिक सिफारिश दुनिया भर की सरकारों के लिए ऐसी नीतियों को अपनाने के लिए है, जो अपने देशों में सभी कृषि मिट्टी में न्यूनतम 3-6 प्रतिशत जैविक सामग्री को अनिवार्य करेगी।

 

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Created On :   19 May 2022 10:00 PM IST

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