जानिए क्या है नेशनल हेराल्ड का मामला, जिसके चलते ईडी के शिकंजे में जकड़े जा रहे हैं सोनिया और राहुल गांधी
- नेशनल हेराल्ड आजादी के बाद कांग्रेस पार्टी का मुखपत्र बन गया था
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। प्रवर्तन निदेशालय ने नेशनल हेराल्ड मामले में कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी व सांसद राहुल गांधी को समन जारी किया है। जिसके बाद से कांग्रेस के बड़े नेता बीजेपी पर हमलावर दिख रहे है। मामले में ईडी की तरफ से पूछताछ के लिए राहुल व सोनिया को बुलाया गया है। जिसको लेकर गांधी परिवार की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। आइए जानते हैं कि क्या है नेशनल हेराल्ड मामला?
जानें नेशनल हेराल्ड मामला
गौरतलब है कि देश के पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के साथ-साथ अन्य स्वतंत्रता सेनानियों ने वर्ष 1938 में नेशनल हेराल्ड के नाम से समाचार पत्र की स्थापना की थी। इस समाचार पत्र का मुख्य उद्देश्य भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में लिबरल ब्रिगेड की चिंताओं को आवाज देना था। एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) द्वारा प्रकाशित, यह अखबार देश की आजादी के बाद कांग्रेस पार्टी का मुखपत्र बन गया था। एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड ने दो अन्य समाचार पत्र भी प्रकाशित किए, एक हिंदी और दूसरा उर्दू में था। हालांकि बाद में वर्ष 2008 में पेपर 90 करोड़ रुपये से अधिक के कर्ज से लद गया। जिसकी वजह से इसे बंद करना पड़ा। नेशनल हेराल्ड मामले में तीन प्रमुख नाम शामिल है। जिसमें एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड, यंग इंडिया लिमिटेड और कांग्रेस है।
क्या है एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड?
बताया जाता है कि एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड जवाहरलाल नेहरू के दिमाग की उपज थी। वर्ष 1937 में नेहरू ने शेयरधारकों के रूप में 5 हजार अन्य स्वतंत्रता सेनानियों को एकजुट कर इस फर्म की शुरूआत की थी। हालांकि कंपनी विशेष रूप से किसी एक व्यक्ति से संबंधित नहीं थी। गौरतलब है कि वर्ष 2010 में कंपनी के 1,057 शेयरधारक थे। बाद में घाटा होने पर वर्ष 2011 में इसकी होल्डिंग यंग इंडिया को हस्तांतरित कर दी गई। एसोसिएटेड जर्नल्स ने वर्ष 2008 में हिंदी में नवजीवन, अंग्रेजी में नेशनल हेराल्ड अखबार और उर्दू में कौमी आवाज प्रकाशित किया था। दोबारा साल 21 जनवरी 2016 को एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड ने इन तीन दैनिक समाचार पत्रों को फिर से शुरू करने का फैसला लिया था।
सुब्रमण्यम स्वामी ने की थी शिकायत
नेशलन हेराल्ड मामले में साल 2012 में बीजेपी नेता और अधिवक्ता सुब्रमण्यम स्वामी ने एक निचली अदालत के समक्ष अर्जी दी थी। जिसमें आरोप लगाया गया था कि यंग इंडियन लिमिटेड द्वारा एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड के अधिग्रहण में कुछ कांग्रेस के नेता धोखाधड़ी और विश्वासघात में शामिल थे। सुब्रमण्यम ने कांग्रेस पर गभीर आरोप लगाया था कि यंग इंडियन लिमिटेड ने नेशनल हेराल्ड की संपत्ति को दुर्भावनापूर्ण तरीके से हड़प लिया था। इस मामले में स्वामी ने सोनिया गांधी, राहुल गांधी, मोतीलाल वोरा, ऑस्कर फर्नांडीस, पत्रकार सुमन दुबे और टेक्नोक्रेट सैम पित्रोदा को नामजद किया है।
सुब्रमण्यम स्वामी का दावा
गौरतलब है कि बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने दावा किया है कि यंग इंडिया लिमिटेड ने 2 हजार करोड़ रूपए से अधिक संपत्ति और लाभ हासिल करने के लिए खराब प्रिंट मीडिया आउटलेट की संपत्ति को अवैध तरीके से अधिग्रहित किया। स्वामी ने यह भी आरोप लगाया है कि यंग इंडिया लिमिटेड 90.25 करोड़ रुपये की वसूली के अधिकार हासिल करने के लिए सिर्फ 50 लाख रुपये का भुगतान किया था। जो एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड पर कांग्रेस पार्टी का बकाया था। उन्होंने बताया कि यह राशि अखबार शुरू करने के लिए कर्ज के रूप में दी गई थी। उन्होंने आरोप लगाया कि एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड को दिया गया कर्ज अवैध था, क्योंकि यह फंड से लिया गया था। इन्हीं आरोपों को मद्देनजर रखते हुए वर्ष 2014 में प्रवर्तन निदेशालय ने यह देखने के लिए जांच शुरू की थी कि क्या इस मामले में मनी लॉन्ड्रिंग हुई है? हालांकि 18 सितंबर 2015 को
कांग्रेस ने दी प्रतिक्रिया
कांग्रेस पार्टी ने स्वामी के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि पार्टी ने यंग इंडिया लिमिटेड को दान के उद्देश्य से बनाया था न कि किसी लाभ के लिए। कांग्रेस ने बताया कि लेन-देन में किसी भी तरह की कोई अनियमितता की गई है। क्योंकि यह कंपनी के शेयरों को स्थानांतरित करने के लिए केवल एक कॉमर्शियल लेनदेन था। पार्टी ने स्वामी द्वारा दायर की गई शिकायत पर भी आपत्ति जताई, इसे राजनीति से प्रेरित करार दिया। कांग्रेस ने साफ कर दिया है कि यह सब बीजेपी के इशारे पर किया जा रहा है।
— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) June 1, 2022
सोनिया और राहुल जमानत पर रिहा
गौरतलब है कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उनके बेटे राहुल गांधी को 19 दिसंबर, 2015 को निचली अदालत ने इस मामले में जमानत दे दी थी। वर्ष 2016 में, सुप्रीम कोर्ट ने उनके खिलाफ कार्रवाई रद्द करने से इनकार करते हुए मामले के सभी पांच आरोपियों (सोनिया, राहुल गांधी, मोतीलाल वोरा, ऑस्कर फर्नांडीस और सुमन दुबे) को व्यक्तिगत उपस्थिति से छूट दी थी।
Created On :   1 Jun 2022 5:24 PM IST