कॉलेज प्राचार्यो के चयन में अनियमितता के आरोप में कलकत्ता हाईकोर्ट में याचिका
- इनकार कर दिया है।
कोलकाता। पश्चिम बंगाल में सरकारी स्कूलों में शैक्षणिक और गैर-शैक्षणिक कर्मचारियों की भर्ती में कथित नकदी के बदले नौकरी घोटाले को लेकर बढ़ते राजनीतिक विवाद के बीच कलकत्ता उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की गई है जिसमें राज्य में कॉलेज प्राचार्यों के चयन में अनियमितताओं का आरोप लगाया गया है। असिस्टेंट प्रोफेसर तंद्रिमा चौधरी ने अपनी याचिका में आरोप लगाया है कि कॉलेज सेवा आयोग (सीएससी) के शीर्ष अधिकारियों के विश्वासपात्रों को अनैतिक रूप से कॉलेज प्राचार्यों के चयन की प्रक्रिया में योग्य उम्मीदवार से वंचित करने वाले टॉपरों में रखा गया है। चौधरी ने इन टॉपर्स को मामले में पक्षकार बनाया है। मामले में इसी सप्ताह सुनवाई होने की उम्मीद है।
याचिका में सहायक प्रोफेसर ने आरोप लगाया कि जिस तरह पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (डब्ल्यूबीएसएससी) द्वारा सभी मानदंडों का उल्लंघन करते हुए भर्तियां की गईं, उसी तरह सीसीएस द्वारा प्रधानाचार्यों के चयन में भी ऐसा ही हुआ था। याचिकाकर्ता ने यह भी आरोप लगाया है कि यहां तक कि एक संविदा कॉलेज शिक्षक भी टॉपरों की सूची में है जो, उनके अनुसार, पूरी तरह से अवैध है क्योंकि कॉलेज प्रिंसिपल के पद के लिए चयन के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के नियमों के अनुसार संविदा पर नियुक्त किसी व्यक्ति को प्राचार्य नहीं बनाया जा सकता है।
सीसीएस अधिकारियों ने, हालांकि, दायर याचिका का विवरण जानने तक मीडिया में किसी भी टिप्पणी से इनकार कर दिया है। पता चला है कि शैक्षणिक प्रदर्शन सूचकांक के अलावा, प्राचार्यो के पद के लिए किसी भी कॉलेज शिक्षक पर विचार करने के लिए अन्य मानदंड हैं। पहला यह है कि कॉलेज प्रिंसिपल के पद के लिए आवेदन करने वाले को कॉलेज शिक्षक के रूप में 10 साल पूरे करने होंगे। अकादमिक योग्यता और रिपोर्ट किए गए शोध प्रकाशनों में प्रकाशित पेपर, कॉलेज शिक्षकों के पद के लिए पात्र होने की अन्य शर्तों में से हैं।
(आईएएनएस)
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Created On :   3 May 2023 4:30 PM IST