बेगमों के शहर भोपाल में रोशन होगा रानी कमलापति का नाम, ऐसी थी वीर रानी कमलापति
- परिवहन विभाग ने दी केंद्रीय गृह मंत्रालय को नाम बदलने के लिए चिट्ठी
डिजिटल डेस्क,भोपाल। मध्यप्रदेश के हबीबगंज रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर रानी कमलापति कर दिया गया है। इस फैसले के बाद शिवराज सिंह चौहान ने पीएम मोदी का आभार जताया है और ट्वीट करते हुए कहा कि,"यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी को हबीबगंज रेलवे स्टेशन का नामकरण गोंड रानी कमलापति जी के नाम करने पर प्रदेश वासियों की तरफ से हृदय से आभार, अभिनंदन व्यक्त करता हूं. यह निर्णय गोंड वंश के गौरवशाली इतिहास, शौर्य और पराक्रम के प्रति सम्मान और सच्ची श्रद्धांजलि है।’"
बता दें कि, राज्य के परिवहन विभाग द्वारा केंद्र के गृह मंत्रालय ने स्टेशन का नाम बदलने के लिए चिट्ठी दी थी, जिसमें कहा गया था कि, हबीबगंज रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर रानी कमलापति रखा जाए। ये पहली बार नहीं है, जब स्टेशन का नाम बदलने की मांग की गई है। इससे पहले भोपाल से बीजेपी सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने हबीबगंज रेलवे स्टेशन बदलकर पूर्व पीएम अटल बिहारी बाजपेयी के नाम पर रखने की डिमांड की थी।
पीएम मोदी 15 नवंबर को भोपाल का 4 घंटे का दौरा करेंगे, जिस दौरान वो हबीबगंज, जो अब कमलापति रेलवे स्टेशन है उसके नए भवन का लोकार्पण भी करेंगे और भगवान बिरसामुंडा जनजातीय सम्मेलन में शामिल भी होंगे। पीएम का कार्यक्रम भोपाल के जंबूरी मैदान में आयोजित किया जाएगा।
कौन थी गोंड रानी कमलापति?
16वीं सदी में भोपाल स्थित देहलावाड़ी के पास गिन्नौरगढ़ का राज्य था। राजा थे सुराज सिंह शाह और पुत्र का नाम था निजाम शाह। निजाम शाह बेहद बहादुर राजा माने गए जिनका विवाह सलकनपुर के राजा कृपाल सिंह सिरौतिया की बेटी कमलापति से हुआ। रूप, गुण और साहस कमलापति हर विधा में दक्ष थीं। दोनों के पुत्र थे नवल शाह।
राजा निजामशाह का भतीजा चैन सिंह रानी कलमापति को पसंद करता था। अपने मंसूबों को पूरा करने के लिए चैन सिंह ने निजामशाह को भोजन पर आमंत्रिता किया। चैन सिंह ने खाने में जहर मिलाकर निजामशाह की धोखे से हत्या कर दी। रानी कमलापति को इस हादसे की खबर मिली तो वीर रानी अपने 12 साल के बेटे और विश्वासपात्रों के साथ भोपाल के सुरक्षित महल में आ गईं। ये महल सुरक्षा की दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण माना जाता रहा।
यहां सुरक्षित होने के कुछ दिन बाद रानी को इस्लाम नगर में रूके अफगानी सेना के सरदार दोस्त मोहम्मद खान के बारे में जानकारी मिली। दोस्त मोहम्मद खान रूपये लेकर किसी भी पक्ष से युद्ध लड़ने के लिए जाना जाता था। माना जाता है कि रानी ने दोस्त मोहम्मद खान को एक लाख मुहरें देकर चैनसिंह पर हमला करने के लिए कहा।
कुछ दिन भोपाल में समय बिताने के बाद रानी कमलापति को पता चला कि भोपाल की सीमा के पास कुछ अफगानी आकर रूके हुए हैं, जिन्होंने जगदीशपुर (इस्लाम नगर) पर आक्रमण कर उसे अपने कब्जे में ले लिया था। इन अफगानों का सरदार दोस्त मोहम्मद खान था, जो पैसा लेकर किसी की तरफ से भी युद्ध लड़ता था। लोक मान्यता है कि रानी कमलापति ने दोस्त मोहम्मद को एक लाख मुहरें देकर चैनसिंह पर हमला करने को कहा।
दोस्त मोहम्मद खान ने चैन सिंह को मार गिराया और किले को हड़प लिया। रानी का किला हड़पने के बाद दोस्त मोहम्मद खान रानी को अपने हरम में शामिल करने के लिए आगे बढ़ा। तब तक कमलापति का बेटा नवल शाह 14 साल का हो चुका था। मां की रक्षा के लिए बेटे ने तलवार उठााई। दोस्त मोहम्मद खान और नवलशाह के बीच युद्ध शुरू हुआ। कहा जाता है कि दोनों के बीच हुए युद्ध में इतन खून बहा कि युद्ध भूमि लाल हो गई। तब ही से उसका नाम लाल घाटी पड़ा। इस युद्ध में दोस्त मोहम्मद खान ने नवल शाह को मार गिराया।
बेटे की मृत्यु के बाद रानी ने भोपाल ताल पर बंधे बांध का रास्ता खुलवाया। जिससे छोटे तालाब का निर्माण हुआ। इस तालाब में रानी ने अपनी तमाम धन-संपत्ति, जेवर डाल दिए और खुद जल समाधि ले ली। जीते जी रानी ने दोस्त मोहम्मद खान के हाथ न अपनी धन संपदा लगने दी और न अपना सिर झुकाया। रानी कमलापति की मृत्यु के बाद ही भोपाल में नवाबों का और फिर बेगमों का दौर शुरु हुआ।
Created On :   13 Nov 2021 4:07 PM IST