Nirbhaya Gang Rape: दोषियों के डेथ वारंट पर रोक के खिलाफ हाईकोर्ट पहुंचा गृह मंत्रालय, आज होगी विशेष सुनवाई
- दोषियों ने जानबूझकर देर से पुनर्विचार
- उपचारात्मक और दया याचिका दायर की
- फांसी की सजा को अधिक समय तक टालना चाह रहे हैं दोषी
- फांसी रद्द करने के खिलाफ गृह मंत्रालय ने हाईकोर्ट में लगाई याचिका
डिजिटल डेस्क, दिल्ली। निर्भया सामूहिक दुष्कर्म और हत्या के मामले में दोषियों का डेथ वारंट स्थगित किए जाने के निचली अदालत के फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर दिल्ली उच्च न्यायालय रविवार को विशेष सुनवाई करेगा। न्यायालय ने इसके लिए सभी पक्षों को शनिवार को नोटिस जारी किया है।
2012 Delhi gang-rape case hearing: Delhi High Court issues notice to Tihar jail authorities and the convicts. Hearing to be held tomorrow, 2nd February. https://t.co/ATWY27Ljve
— ANI (@ANI) February 1, 2020
बता दें कि इससे पहले मामले के चार दोषियों (अक्षय, पवन, मुकेश और विनय) को आज (1 फरवरी को) फांसी दी जानी थी, लेकिन फांसी के लगभग 12 घंटे पहले दिल्ली की एक अदालत ने शुक्रवार को तिहाड़ जेल प्रशासन से इन दोषियों को अगले आदेश तक फांसी नहीं देने को कहा था। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धर्मेद्र राणा ने आदेश पारित करते हुए कहा था कि फांसी को अगले आदेश तक के लिए स्थगित किया जाता है। अदालत ने शुक्रवार को तिहाड़ जेल अधिकारियों को दोषियों के खिलाफ जारी डेथ वारंट को निष्पादित नहीं करने का निर्देश दिया था।
फांसी रद्द करने के खिलाफ जेल प्रशासन व गृह मंत्रालय ने लगाई याचिका
बता दें कि तिहाड़ जेल प्रशासन व गृह मंत्रालय ने शनिवार को चारों दोषियों के खिलाफ जारी मौत के वारंट पर रोक लगाने वाली निचली अदालत के आदेश को चुनौती देते हुए दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका लगाई है। गृह मंत्रालय की दलील में कहा गया है कि उक्त चार दोषियों ने अपनी पुनर्विचार याचिका, उपचारात्मक (क्यूरेटिव) याचिका व दया याचिका को एक के बाद एक अलग-अलग दाखिल की है। इसका कारण यह है कि दोषी उन्हें मिली फांसी की सजा को अधिक समय तक टालना चाह रहे हैं। याचिका में कहा गया कि दोषियों ने जानबूझकर देरी करके अपनी पुनर्विचार/उपचारात्मक/दया याचिका दायर करने का फैसला किया है, ताकि मृत्यु के वारंट के निष्पादन में देरी हो सके।
2012 में पैरामेडिकल छात्रा के साथ चलती बस में किया था दुष्कर्म
उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय राजधानी के वसंत विहार इलाके में 16 दिसंबर, 2012 की रात 23 साल की पैरामेडिकल छात्रा निर्भया के साथ चलती बस में बहुत ही बर्बर तरीके से सामूहिक दुष्कर्म किया गया था। इस जघन्य घटना के बाद पीड़िता को इलाज के लिए सरकार सिंगापुर ले गई थी, जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई थी। इस मामले में दिल्ली पुलिस ने बस चालक सहित छह लोगों को गिरफ्तार किया था। इनमें एक नाबालिग भी शामिल था। इस मामले में नाबालिग को तीन साल तक सुधार गृह में रखने के बाद रिहा कर दिया गया। जबकि एक आरोपी राम सिंह ने जेल में खुदकुशी कर ली थी। फास्ट ट्रैक कोर्ट ने इस मामले में चार आरोपियों पवन, अक्षय, विनय और मुकेश को दोषी ठहराते हुए फांसी की सजा सुनाई थी। फास्ट ट्रैक कोर्ट के इस फैसले को हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने भी बरकरार रखा था।
Created On :   1 Feb 2020 8:44 PM IST