तेजस ने क्लियर किया का एक और स्टेप, DRDO ने सफलतापूर्वक कराई अरेस्टेड लैंडिंग
- गोवा की तटीय टेस्ट फैसिलिटी में तेजस की सफलतापूर्वक अरेस्टेड लैंडिंग कराई गई
- अमेरिका
- फ्रांस
- रूस
- ब्रिटेन और चीन के बाद भारत के पास भी अब अरेस्ट लैंडिंग की तकनीक है
- अरेस्ट लैंडिंग करने वाला तेजस देश का पहला एयरक्राफ्ट है
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। गोवा की तटीय टेस्ट फैसिलिटी में शुक्रवार को देश में बने लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एलसीए) तेजस की सफलतापूर्वक अरेस्टेड लैंडिंग कराई गई। अरेस्ट लैंडिंग करने वाला तेजस देश का पहला एयरक्राफ्ट है। इस सफलता ने तेजस को एयरक्राफ्ट कैरियर आईएनएस विक्रमादित्य पर ऑपरेशनल बनाने की दिशा में एक और कदम बढ़ा दिया है।
#WATCH DRDO and the Aeronautical Development Agency successfully executed the first ever arrested landing of LCA Tejas (Navy) at the shore based test facility in Goa. This is a step towards the aircraft getting operational on aircraft carrier INS Vikramaditya. (video:DRDO) pic.twitter.com/LcsnIYTHPU
— ANI (@ANI) September 13, 2019
डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (डीआरडीओ) और एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी (एडीए) के अधिकारियों ने इस सफलता के बाद कहा, "यह पहली बार है जब किसी स्वदेशी फाइटल जेट ने भारत में अरेस्टेड लैंडिंग कराई है। यह एक गोल्डन लेटर डे है जिसने भारत को वर्ल्ड मैप पर एक ऐसे देश के रूप में स्थापित कर दिया है जिसके पास डेक लैंडिंग वाले जेट बनाने की तकनीक है।
अमेरिका, फ्रांस, रूस, ब्रिटेन और चीन के बाद अब भारत के पास भी अरेस्टेड लैंडिंग की तकनीक आ गई है। छोटे रनवे पर लैंड करने के लिए अरेस्टेड लैंडिंग की जरुरत पड़ती है। अरेस्टेड लैंडिंग के लिए प्लेन्स के पीछे के हिस्से में मजबूत स्टील के वायर से जोड़कर एक हुक लगाई जाती है। लैंडिंग के दौरान पायलट को यह हुक युद्धपोत या शिप में लगे स्टील के मजबूत केबल्स में फंसानी होती है, ताकि जैसे ही प्लेन डेक पर उतरे वैसे ही हुक तारों में पकड़कर उसे थोड़ी दूरी पर रोक ले।
अरेस्टेड लैंडिंग के साथ भारत ने भले ही एक और स्टेप को पार कर लिया हो, लेकिन नौसेना में शामिल करने के लिए तेजस को अभी भी कई सारे टेस्ट क्लीयर करना है। तेजस को अब एयरक्राफ्ट कैरियर आईएनएस विक्रमादित्य पर लैंडिंग करके दिखाना होगा। वर्तमान में, नौसेना आईएनएस विक्रमादित्य से 45 मिग-29 K फाइटर जेट ऑपरेट करती है। इसे 2 बिलियन डॉलर में रूस से अधिग्रहित किया गया है।
नौसेना ने इससे पहले सिंगल-इंजन तेजस को रिजेक्ट कर दिया था। नौसेना ने कहा था कि "ओवर-वेट" फाइटर जेट एयरक्राफ्ट कैरियर से बेहतर काम नहीं कर सकता है। दिसंबर 2016 में नौसेना के तत्कालीन प्रमुख एडमिरल सुनील लांबा ने कहा था कि "सिंगल इंजन वाला तेजस काफी भारी है और एयरक्राफ्ट कैरियर डेक से फुल टैंक ईंधन और आर्म लोड के साथ उड़ान भरने की जरूरतों पूरा करने में सक्षम नहीं है।"
Created On :   13 Sept 2019 9:10 PM IST