निर्भया कांड के आरोपियों के लिए तिहाड़ में फांसी-घर तैयार, मुजरिमों पर पाबंदियां बढ़ीं
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कानूनी फाइलों में बंद फांसी के फैसले पर अंतिम मुहर लगने में भले ही वक्त लग रहा हो, लेकिन तिहाड़ जेल के भीतर निर्भया कांड को लेकर शुरू हुई हलचल ने मुजरिमों के दिल की धड़कन बढ़ा दी है। धड़कन बढ़ने की प्रमुख वजहें ये है कि निर्भया के मुजरिम पवन कुमार गुप्ता को दिल्ली की मंडोली जेल से तिहाड़ जेल में बेहद गोपनीय तरीके से रातों-रात शिफ्ट किया गया। पवन के मंडोली जेल से तिहाड़ जेल में पहुंचते ही पहले से ही यहां (तिहाड़) कैद निर्भया के 3 अन्य हत्यारों (अक्षय कुमार सिंह, विनय कुमार शर्मा और मुकेश कुमार) पर अचानक सख्ती कर दी गई है।
तिहाड़ जेल के उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक, मंडोली जेल से पवन कुमार गुप्ता के तिहाड़ जेल पहुंचते ही इन चारों की आपस में बातचीत पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया है। इससे पहले तक तिहाड़ में बंद निर्भया के तीनों हत्यारे दिन के वक्त आपस में मिलने पर थोड़ी बहुत बातचीत कर लेते थे।
फिलहाल, इन चारों को फांसी पर लटकाने के फरमान पर अंतिम मुहर की फाइलें अदालतों में भटक रही हैं, लेकिन तिहाड़ जेल प्रशासन अपने स्तर से गुपचुप तरीके से तैयारियों में जुट गया है।
तिहाड़ जेल सूत्रों के मुताबिक, तिहाड़ जेल में मौजूद फांसी घर की युद्ध स्तर पर शुरू की गई साफ-सफाई प्रक्रिया को भी यूं ही नजरंदाज नहीं किया जा सकता। फांसी घर की साफ-सफाई के साथ ही उसके तख्तों (जिन पर मुजरिम को फांसी पर लटकाने से ठीक पहले ले जाकर खड़ा किया जाता है) की जेल के काबिल कैदी बढ़इयों द्वारा मरम्मत कराया जा रहा है। फांसी घर पर हलचल और उसकी सुरक्षा में जेल सुरक्षाकर्मियों की तादाद अचानक बढ़ा दिया जाना भी काफी कुछ इशारा कर रहा है।
अफजल गुरु को फांसी दिए जाने के बाद से फांसी घर एक-दो सुरक्षाकर्मियों के रहम-ओ-करम पर था, लेकिन अब उस पर तमिलनाडु स्पेशल पुलिस फोर्स के जवान तैनात किए जाने की चर्चा है। लेकिन इससे ज्यादा महत्वपूर्ण यह है कि तमिलनाडु स्पेशल पुलिस फोर्स के इन जवानों पर नजर रखने के लिए दिन-रात जेल अधिकारी खुद भी फांसी-घर के आसपास चक्कर काटते देखे जाते हैं।
तिहाड़ जेल के एक विश्वस्त सूत्र ने नाम उजागर न करने की शर्त पर शुक्रवार को बताया कि जेल के फांसी घर की रखवाली में अमूमन एक-दो सुरक्षाकर्मी ही 24 घंटे तैनात रहते हैं, वह भी फांसी घर के दरवाजे पर। फांसी घर के पास मौजूद ऊंचे वॉच-टावर के अंदर, तिहाड़ जेल फांसी घर के बाहर चंद दिनों से तमिलनाडु स्पेशल पुलिस फोर्स के हथियारबंद जवानों की अचानक की गई तैनाती जेहन में सवाल पैदा कर रही है।
सूत्रों ने यहां तक बताया कि तिहाड़ जेल के भीतर मौजूद फांसी घर के लीवर में मौजूद जंग को हटाने का काम भी पूरा हो चुका है। लीवर ठीक से काम कर रहा है या नहीं, इसकी भी पड़ताल की जा चुकी है। यह लीवर खींचते ही तख्ते पर खड़े मुजरिम का बदन फंदे के सहारे पांवों के नीचे के तख्ते हटते ही फांसी के कुंए में झूल जाता है।
तिहाड़ जेल सूत्रों के अनुसार, संसद हमले के मुख्य आरोपी अफजल गुरु को फंदे पर टांगे जाने के बाद से वीरान पड़े फांसी घर के अंदर मौजूद बंद या टूटी-फूटी लाइट्स को भी दुरुस्त कर दिया गया है। जेल में बंद और माली (बागबानी) का काम जानने वाले सजायाफ्ता मुजरिमों से फांसी घर के अंदर उग आई बड़ी घास, कंटीले छोटे-मोटे जंगली झाड़ों को भी काटकर साफ करा दिया गया है।
तिहाड़ जेल के पूर्व जेलर और सन् 2016 में तिहाड़ जेल के कानूनी सलाहकार पद से रिटायर हो चुके सुनील गुप्ता ने बताया कि कानून ने अगर निर्भया के कातिलों को सजा-ए-मौत अमल में लाए जाने के हुक्म पर अंतिम मुहर लगा दी, तो इस बार जेल में जल्लाद की मौजूदगी भी कानूनन जरूरी होगी। सुनील गुप्ता ने बताया कि सन् 2013 में संसद हमले के मुख्य षड्यंत्रकारी अफजल गुरु को फांसी पर लटकाए जाने तक यह जरूरी नहीं था कि जल्लाद ही लीवर खींचेगा। उस वक्त जल्लाद का इंतजाम न होने और कोई सख्त कानून या नियम न होने के चलते जेल के ही एक अनुभवी अधिकारी/कर्मचारी ने मुजरिम को मौत के फंदे पर झुला दिया था। सन् 2018 में आए नए दिल्ली जेल मैनुअल के हिसाब से अब हर कोई या फिर कोई भी जेल अधिकारी या कर्मचारी मुजरिम को फंदे पर नहीं लटका सकता है।
गुप्ता ने बताया कि नए जेल मैनुअल में साफ-साफ लिखा है कि सजा-ए-मौत के फरमान या हुक्म को अमल में लाने के लिए एक प्रशिक्षित और अनुभवी जल्लाद ही सिर-ए-अंजाम दे सकेगा। मुद्दा कानून से जुड़ा और बेहद संवेदनशील है। ऐसे में इस पर दिल्ली जेल (तिहाड़ जेल) प्रशासन का कोई भी अधिकारी कुछ भी बोलने को राजी नहीं है। हालांकि सूत्र बताते हैं कि तिहाड़ जेल प्रशासन ने नए दिल्ली जेल मैनुअल के नजरिए से ही हिंदुस्तान के उन तमाम राज्यों के जेल प्रशासन से गुपचुप संपर्क साधना शुरू कर दिया है, जिनके पास प्रशिक्षित जल्लाद उपलब्ध है।
तिहाड़ जेल के सूत्रों ने आईएएनएस को यह भी बताया कि निर्भया कांड में जिस तरह हर दिन उतार-चढ़ाव आ रहे हैं, ऐसे में तिहाड़ जेल में बंद चारों सजायाफ्ता मुजरिमों के दिल की धड़कनें बढ़ना स्वभाविक है। जेल प्रशासन इसलिए हलकान है कि चार में से कोई मुजरिम जेल परिसर में किसी हादसे या अनहोनी का शिकार न हो जाए।
Created On :   13 Dec 2019 9:18 PM IST