ISRO ने कहा- एक्सपेरिमेंट करता रहेगा ऑर्बिटर, लैंडर से क्यों टूटा संपर्क ?.. विश्लेषण जारी

Chandrayaan-2 Orbiter continues to perform scheduled science experiments says ISRO
ISRO ने कहा- एक्सपेरिमेंट करता रहेगा ऑर्बिटर, लैंडर से क्यों टूटा संपर्क ?.. विश्लेषण जारी
ISRO ने कहा- एक्सपेरिमेंट करता रहेगा ऑर्बिटर, लैंडर से क्यों टूटा संपर्क ?.. विश्लेषण जारी
हाईलाइट
  • ISRO ने कहा कि निर्धारित एक्सपेरिमेंट करता रहेगा चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर
  • एक्सपर्ट विक्रम लैंडर के साथ कम्यूनिकेशन टूटने के कारणों का विश्लेषण कर रहे हैं
  • समय गुजरने के साथ विक्रम लैंडर से संपर्क स्थापित करने की उम्मीदें टूटी

डिजिटल डेस्क, बेंगलुरु। चंद्रयान-2 के लैंडर विक्रम से भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) अभी तक संपर्क स्थापित नहीं कर पाया है। जैसे-जैसे समय गुजर रहा है ISRO की दोबारा संपर्क स्थापित करने की उम्मीदें भी टूटती दिखाई दे रही हैं। इस बीच गुरुवार को इसरो ने ट्वीट कर जानकारी दी कि चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर अपने निर्धारित एक्सपेरिमेंट करता रहेगा। जबकि नेशनल कमेटी ऑफ एकेडमिक्स और इसरो एक्सपर्ट विक्रम लैंडर के साथ कम्यूनिकेशन टूटने के कारणों का विश्लेषण कर रहे हैं।

 

 

इसरो ने कहा कि "ऑर्बिटर के सभी पेलोड ठीक हैं। पेलोड का शुरुआती परीक्षण सफलतापूर्वक पूरा हो कर लिया गया है। परीक्षण में सभी ऑर्बिटर पेलोड का प्रदर्शन संतोषजनक पाया गया है। अब ऑर्बिटर अपने निर्धारित विज्ञान प्रयोग करता रहेगा।" ऑर्बिटर पर आठ उन्नत पेलोड हैं जो चंद्रमा की थ्री डायमेंशनल मैपिंग करेंगे और चंद्रमा के ध्रुवीय क्षेत्र में पानी की बर्फ और खनिजों की तलाश करेंगे। इसरो ने कहा, शिक्षाविदों और इसरो विशेषज्ञों की राष्ट्रीय स्तर की समिति लैंडर के साथ संचार टूटने के कारणों का विश्लेषण कर रही है।" 

बता दें कि इसरो का विक्रम लैडंर के लैंडिंग से ठीक पहले संपर्क टूट गया था। इसके बाद से ही इसरो विक्रम की फ्रिक्वेंसी पर हर दिन अलग-अलग कमांड भेज रहा है। इसके अलावा ऑर्बिटर की मदद से भी लैंडर से संपर्क स्थापित करने का प्रयास कर रहा है। विक्रम पर तीन ट्रांसपोंडर और एक फेस्ड अरे एंटीना लगा हुआ है। लैंडर को सिग्नल रिसीव करने, इसे समझने और वापस भेजने के लिए इनका उपयोग करना होगा। विक्रम का ग्राउंड स्टेशन से संपर्क टूटे 12 दिनों से ज्यादा का वक्त हो गया है।

इसरो के प्री-लॉन्च अनुमानों के अनुसार, लैंडर केवल एक चंद्र दिन (पृथ्वी के 14 दिन) के लिए सूर्य का प्रकाश प्राप्त कर सकता है। इसलिए इसरो इन 14 दिनों (21 सितंबर) तक विक्रम से संपर्क की कोशिश करता रह सकता है। 14 दिनों के बाद ठंड की एक लंबी रात होगी, जिसके बाद लैंडर के सिस्टम के ठीक तरह से काम करने की संभावना ना के बराबर है।

Created On :   19 Sept 2019 5:43 PM IST

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