भोपाल गैस त्रासदी: भोपाल में किसी के लिए आंसू बहाने और किसी के लिए बधाई गाने का दिन

भोपाल में किसी के लिए आंसू बहाने और किसी के लिए बधाई गाने का दिन
  • भोपाल में रविवार का दिन जिंदगी के दो पहलू को सामने दर्शाने वाला है
  • यह दिन किसी के लिए मायूस कर देने वाला, आंखों में आंसू ला देने वाला है
  • तो यही दिन किसी के लिए बधाई गीत गाने से लेकर उत्सव मनाने तक का है

डिजिटल डेस्क, भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के लोगों के लिए रविवार का दिन जिंदगी के दो पहलू को सामने दर्शाने वाला है। यह दिन किसी के लिए मायूस कर देने वाला है, आंखों में आंसू ला देने वाला है, तो यही दिन किसी के लिए बधाई गीत गाने से लेकर उत्सव मनाने तक का है।

भोपाल के लोगों के लिए रविवार या यूं कहें तीन दिसंबर की तारीख का बीते लगभग चार दशक से खास महत्व है। इस तारीख को हुए एक हादसे ने यहां की जिंदगी पर बड़ा असर डाला है। दो-तीन दिसंबर 1984 की रात को यूनियन कार्बाइड से निकली जहरीली गैस ने हजारों लोगों की जिंदगी को छीन लिया था।

इतना ही नहीं, बड़ी संख्या में ऐसे लोग हैं जिनके शरीर में बीमारियों ने बसेरा कर लिया, वे तिल-तिल कर मौत के करीब पहुंच रहे हैं। वहीं नई पीढ़ी भी इस गैस के असर से नहीं बच पाई है। शारीरिक तौर पर विकृत और कई बीमारियों की गिरफ्त में पैदा हो रही है नई पीढ़ी।

गैस पीड़ितों का अपने हक और सुविधाओं के लिए संघर्ष जारी है और तीन दिसंबर को यह लोग न केवल मातम मनाते हैं बल्कि दोषियों को सजा देने की मांग भी जोर-शोर से उठाते हैं। इस दिन पूरा भोपाल शहर न केवल गमगीन रहता है बल्कि उस रात को याद कर चैक जाता है जब यूनियन कार्बाइड से मिक गैस का रिसाव हुआ था।

उस हादसे के गवाह लोग जो कहानी सुनाते हैं वह रोंगटे खड़े कर देने वाली हैं। वे बताते हैं कि उस रात सड़कों पर लोगों के शव ऐसे बिखरे पड़े थे मानो पतझड़ में किसी पेड़ से गिरे हुए पत्ते हों। वहीं दूसरी ओर चीत्कार सुनाई दे रही थी और हर कोई अपनी जिंदगी बचाने के लिए भागे जा रहा था। इस हादसे का शिकार हुए लोग तीन दिसंबर को गमगीन तो होते ही हैं, साथ में अपनी हालत को बयां करने के लिए सड़क तक पर आ जाते है।

वहीं दूसरी ओर बात करें तो मध्य प्रदेश में हुए विधानसभा चुनाव की तो उसके नतीजे आ रहे हैं, जो किसी एक राजनीतिक दल को उत्सव बनाने का अवसर दे रहे हैं।

तीन दिसंबर को नतीजे आने पर बधाई गीत गाए जाएंगे, मिठाइयां बांटी जाएगी और नई सरकार के गठन से लेकर आगामी योजनाओं की खूब चर्चा होगी। सियासत करने वाले सियासी दलों और राजनेताओं के लिए इससे बड़ा दिन कोई दूसरा नहीं हो सकता।

जानकारों की मानें तो तीन दिसंबर को मतगणना की तारीख बदलने के प्रयास गैस पीड़ितों की ओर से किए गए थे। उनके लिए यह दिन मनहूस है, अशुभ है और वह अपने दर्द को याद करते हैं। मगर ऐसा हुआ नहीं। इस दिन जिंदगी के दो पहलू साफ तौर पर दिखेंगे। एक तरफ वे लोग हैं जो वर्षों से मुसीबत से घिरे हुए हैं तो दूसरी तरह वह पक्ष होगा जो अपने सियासी सबेरे का स्वागत कर रहा होगा।

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Created On :   3 Dec 2023 10:00 AM IST

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