व्हाइट हाउस का रहस्य: व्हाइट हाउस में ऐसी है एक जगह जहां किसी भी तरह के हमले का नहीं होता है कोई भी असर, जानें कहां है वो जगह?

व्हाइट हाउस में ऐसी है एक जगह जहां किसी भी तरह के हमले का नहीं होता है कोई भी असर, जानें कहां है वो जगह?
  • साल 1792 में रखी गई थी व्हाइट हाउस की नींव
  • 8 साल में बनकर तैयार हुआ था व्हाइट हाउस
  • 100 से भी ज्यादा हैं कमरे
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति के तौर पर शपथ ग्रहण कर ली है। डोनाल्ड ट्रंप ने 20 जनवरी को शपथ ली है। इसके बाद ही वो व्हाइट हाउस में अपने परिवार के साथ चार साल तक यहीं रहेंगे। उनसे पहले अमेरिका के 45 राष्ट्रपति व्हाइट हाउस में रह चुके हैं।

माना जाता है सबसे सुरक्षित घर

इस घर को दुनिया में सबसे ज्यादा सुरक्षित माना जाता है। यहां पर बुलेटप्रूफ खिड़कियां और दीवारें हैं। इसके अलावा एंटी मिसाइल सिस्टम और न्यूक्लियर अटैक से बचने के लिए खुफिया बंकर भी है। दावा किया जाता है कि, इस बंकर में किसी भी हमले का असर नहीं होता है। किसी भी इमरजेंसी परिस्थिति में प्रेसिडेंट को इसमें ही रहने के लिए कहा जाता है।

कब और किसने बनवाया व्हाइट हाउस?

13 अक्टूबर 1792 को जार्ज वॉशिंगटन ने व्हाइट हाउस की आधारशिला रखी थी। इसको बनाने में कुल 8 साल का समय लगा था। जिसमें 2.33 लाख डॉलर खर्च हुए थे। इसमें तीन फ्लोर हैं, जिसमें 100 से ज्यादा कमरे हैं। हालांकि, वॉशिंग्टन इसमें राष्ट्रपति के तौर पर कभी नहीं रहे। इस व्हाइट हाउस में साल 1800 में अमेरिका के दूसरे राष्ट्रपति जॉन एडम्स अपनी पत्नी के साथ रहने आए थे। साल 1814 में ब्रिटिशर्स ने व्हाइट हाउस को जला दिया था। साल 1815 में जेम्स होबन ने प्रेसीडेंट हाउस को दोबारा से बनवाने का काम शुरू करवाया और साल 1817 में जेम्स मैडिसन फिर से इसमें रहने आए थे। इसके बाद साल 1901 में तत्कालीन राष्ट्रपति थियोडोर रूजवेल्ट ने इसका नाम व्हाइट हाउस रखा दिया था।

व्हाइट हाउस में कितनी सुरंगे हैं?

दावा किया जाता है कि, व्हाइट हाउस में दो सुरंगे भी हैं। एक सुरंग ट्रेजरी बिल्डिंग की ओर जाती है और HW स्ट्रीट पर निकलती है। वहीं, दूसरी सुरंग साउथ लॉन में निकलती है, जहां से राष्ट्रपति अपने हेलिकॉप्टर तक पहुंच सकते हैं।

कितना सुरक्षित है व्हाइट हाउस का बंकर?

व्हाइट हाउस के ऑफिस के नीचे ही राष्ट्रपति का खुफिया बंकर भी है। यह सिक्योर और हाईटेक कमांड सेंटर के तौर पर काम करता है। इसमें देश से कम्यूनिकेट करने के लिए मॉर्डन कम्यूनिकेशन इक्विपमेंट्स हैं। PEOC कॉन्क्रीट और स्टील की मोटी दीवार से बना है। यह छोटे न्यूक्लियर अटैक, मिसाइल, रेडिएशन, केमिकल, बम विस्फोट, मिसाइल अटैक झेल सकता है।

Created On :   22 Jan 2025 5:02 PM IST

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