पाक में तख्तापलट की तैयारी, आर्थिक हालात सुधारने कारोबारियों से मिले आर्मी चीफ
डिजिटल डेस्क, कराची। भू-गर्भ में जाती पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए सेना को आगे आना पड़ा है। सेना प्रमुख कमर जावेद बाजवा ने गुरुवार को देश के बड़े कारोबारियों के साथ निजी मीटिंग की और पाकिस्तान में रोजगार और व्यापार बढ़ाने के लिए सुझाव मांगे। वहीं इस मीटिंग से कयास लगाए जा रहे हैं कि पाक पीएम इमरान खान का वर्चस्व लगभग खत्म हो गया है और देश की कमान अब पाक सेना संभालेगी। या यूं कहें कि पाकिस्तान में तख्तापलट के हालात बन गए हैं।
पाक चीफ जनरल बाजवा ने व्यापारियों से कराची के सैन्य कार्यालय और रावलपिंडी स्थित सेना के हेडक्वार्टर में मुलाकात की, जहां बाजवा ने कारोबारियों से अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए सुझाव मांगे हैं। इमरान खान के कार्यकाल से खुश न होने पर ही बाजवा ने यह कदम उठाया है। इससे पहले इमरान खान की सरकार में कभी भी सेना ने आर्थिक हालात पर दखल नहीं दिया है।
जानकारी के अनुसार मीटिंग में इस पर चर्चा की गई कि निवेश बढ़ाने के लिए कौन से कदम उठाए जा सकते हैं। कुछ बैठकें ऐसी थीं, जिनमें तुरंत फैसले लेकर सरकार के टॉप अफसरों को निर्देश जारी किए गए। इन बैठकों से वाकिफ लोगों ने बताया कि जनरल बाजवा बिजनेस कम्युनिटी में भरोसा लौटाने को लेकर काफी चिंतित हैं। हालांकि सेना के प्रवक्ता ने इन बैठकों के बारे में कुछ बताने से इनकार कर दिया।
आर्थिक बदहाली का पाक मिलिट्री पर असर
पाकिस्तान की आर्थिक बदहाली का असर वहां की मिलिट्री पर साफ दिखाई दे रहा है। पिछले एक दशक में ऐसा पहली बार हुआ है, जब पाकिस्तान सरकार द्वारा 2020 का रक्षा बजट फ्रीज कर दिया गया है। ऐसा तब है जब पाकिस्तानी सैनिक अफगानिस्तान के आतंकियों और भारत के हालात के कारण हाई अलर्ट पर हैं।
कारोबारियों को इमरान से ज्यादा सेना पर भरोसा
पाकिस्तान के ज्यादातर बड़े कारोबारी इमरान सरकार से ज्यादा सेना पर भरोसा जता रहे हैं। उनका मानना है कि इमरान सरकार इस मामले से निपटने के लिए सक्षम नहीं है। हालांकि कुछ का कहना है कि इससे पाकिस्तान की डेमोक्रेसी और असैन्य संगठनों पर असर पड़ सकता है और सेना जल्द ही इमरान खान सरकार को हटाकर के खुद ही देश की कमान अपने हाथों में ले सकती है। ऐसा इसलिए क्योंकि इतिहास में कई बार सेना ने पाकिस्तान की निर्वाचित सरकार को हटाकर के खुद ही कमान संभाल ली है।
2.4% से भी कम की विकास दर का अनुमान
गौरतलब है कि चालू वित्त वर्ष में पाकिस्तान के आर्थिक विकास की अनुमानित दर 2.4% है, जो पिछले 10 साल में सबसे निचला स्तर है। राजकोषीय घाटा बढ़ने के कारण पाकिस्तान ने मई 2019 में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से 6 अरब डॉलर का कर्ज लिया था, ताकि इकॉनमी में स्थिरता लाई जा सके। इस वर्ष जून में खत्म हुए वित्त वर्ष में पाकिस्तान का बजट घाटा बढ़कर जीडीपी का 8.9% पर पहुंच गया था। रेकॉर्ड आयातों के चलते दो साल पहले विदेशी मुद्रा भंडार खस्ताहाल हो गया था।
चीन से 47 हजार करोड़ का कर्ज
कंगाली की दहलीज पर खड़े पाकिस्तान के ऊपर अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष से दोगुना चीन का कर्ज है। पाक पर चीन का कुल 47 हजार करोड़ का कर्ज है जिसे 2022 तक चुकाना होगा। लेकिन, वर्तमान आर्थिक स्थिति को देखते हुए इस कर्ज को चुका पाना पाकिस्तान के लिए फिलहाल नामुमकिन नजर आ रहा है। हाल में ही चीन के पाकिस्तान को कुछ और धनराशि जारी की है जिससे पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था को थोड़ी राहत मिलेगी। इसी दौरान चीन को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष का 20 हजार करोड़ के कर्ज का भी भुगतान करना है। ऐसे में आने वाले समय में चीन भी पाकिस्तान की मदद करने से अपने हाथ खड़े कर दे तो कोई बड़ी बात नहीं होगी।
Created On :   3 Oct 2019 6:10 PM IST