भारतीयों को बचाने सूडान पहुंचा आईएनएस सुमेधा, जाने क्या हैं इसकी खासियत 

INS Sumedha reached Sudan to save Indians, know what is its specialty
भारतीयों को बचाने सूडान पहुंचा आईएनएस सुमेधा, जाने क्या हैं इसकी खासियत 
सूडान रेस्क्यू भारतीयों को बचाने सूडान पहुंचा आईएनएस सुमेधा, जाने क्या हैं इसकी खासियत 

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सूडान में चल रहे गृह युद्ध में फंसे भारतीयों को सुरक्षित अपने देश लाने के लिए विदेश मंत्रालय ने प्रयास शुरू कर दिए हैं। ऑपरेशन "कावेरी" के तहत वायु सेना के दो सी-130 विमान और भारतीय नौसेना की ओर से आईएनएस सुमेधा सुडान पहुंच चुके हैं। जहां दो सी-130 को सऊदी अरब के जेद्दा में अलर्ट पर रखा है तो वही आईएनएस सुमेधा सुडान के बंदरगाह पहुंच गया है। भारत में स्वदेशी तकनीकों से निर्मित आईएनएस सुमेधा सरयु क्लास पेट्रोलिंग जहाज है। इसे भारतीय समुद्री सीमाओं की सुरक्षा और निगरानी के लिए रखा गया है। आईएनएस सुमेधा को भारत में ही गोवा शिपयार्ड लिमिटेड के द्वारा बनाया गया है और इसे 11 मार्च 2014 को भारतीय नौसेना में कमीशन किया  गया था। इसका वजन 2200 टन है जबकि इसकी लंबाई 105 मीटर (344 फीट) है। इसकी अधिकतम गति 25 नॉटस (46 किमी/घंटा) है।

इस जहाज को चलाने में कुल 8 ऑफिसर्स और 108 नौसैनिक लगते हैं। सुमेधा में 76एमएम की सुपर रैपिड गन माउंट (SRGM) के अलावा क्लोस इन वेपन सिस्टम लगा है। यह अपनी सरयु क्लास का तीसरा जहाज है। इसके अलावा सरयु क्लास में आईएनएस सुनयना और आईएनएस सुमित्रा भी शामिल है। इस जहाज को भारतीय नौसेना प्रमुखत: भारतीय समुद्री सीमा की निगरानी के अलावा फ्लीट सपोर्ट ऑपरेशन के लिए करती है। 

आखिर क्यों हो रहे हैं सूडान में हिंसक प्रदर्शन?

सूडान में जारी गृहयुद्ध का कारण वहां कि मिलिट्री और पैरामिलिट्री के बीच वर्चस्व की लड़ाई है। इसकी जड़े देश में तीन साल पहले हुए तख्तापलट से जुड़ी हुई हैं। साल 2019 में सूडान के तानाशाह राष्ट्रपति ओमर अल-बशीर को सत्ता से हटाने के लिए देश के नागरिकों ने जोरदार प्रदर्शन किया। जिसके बाद अप्रैल 2019 में सेना ने तख्तापलट कर राष्ट्रपति ओमर को पद से हटा दिया। लेकिन इसके बाद सूडान की जनता देश में लोकतांत्रिक शासन की मांग करने लगे। जिसके बाद सूडान में एक संयुक्त सरकार का गठन हुआ, जिसमें देश के नागरिक और मिलिट्री दोनों की भूमिका थी।

साल 2021 में सूडान में दोबारा तख्तापलट हुआ और सैन्य शासन की शुरूआत हुई। सेना प्रमुख जनरल अब्देल फतह अल-बुरहान देश के राष्ट्रपति और आरएसएफ रैपिड सपोर्ट फोर्स लीडर मोहम्मद हमदान डागालो उपराष्ट्रपति बन गए। इसके बाद से (आरएसएफ) और सेना के बीच संघर्ष जारी है। नागरिक शासन लागू करने के समझौते को लेकर सेना और आरएसएफ आमने-सामने हैं। दरअसल, आएएसएफ नागरिक शासन को देश में 10 साल बाद लागू करना चाहती है, वहीं सेना के मुताबिक अगले 2 सालों में ही देश में नागरिक शासन लागू होना चाहिए। इसके अलावा सेना का ऐसा मानना है कि आरएसएफ अर्धसैनिक बल के तहत आती है और उसे सेना में शामिल करना सही नहीं होगा। 


 

Created On :   24 April 2023 8:51 PM IST

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