बीजिंग में हुआ भव्य दशहरा मेले का आयोजन, रामलीला रही विशेष आकर्षण
डिजिटल डेस्क, बीजिंग। भगवान राम की विजय का पर्व दशहरा उस दिन की याद दिलाता है जब श्रीराम ने अत्याचारी रावण को मार इस धरती को पाप से मुक्त करवाया था। दशहरा मनाने की परंपरा सदियों से भारत में चली आ रही है। इसी परंपरा को कायम रखते हुए बीजिंग में स्थित भारतीय दूतावास ने 10 अक्तूबर को दशहरे के उपलक्ष्य में एक भव्य दशहरा मेला का आयोजन किया।
इस दशहरा मेले का विशेष आकर्षण रही रामलीला, जो कि चीन में पहली बार आयोजित की गई। रामायण के सभी मुख्य ²श्यों को समेटकर एक संक्षिप्त रामायण का प्रदर्शन लोगों के दिलों को छू गया। लगभग आधे घंटे के इस रामायण मंचन में सीता स्वयंवर, राम वनवास, रावण की शिव भक्ति, राम-हनुमान मिलन, राम-रावण युद्ध आदि अंशों को एक कहानी के रूप में पिरोकर प्रस्तुत की गई रामलीला ने समा बांध दिया। इस दशहरा मेले में शिरकत करने वाले अनेक देशों के राजदूतों व दूतावास अधिकारियों को रामलीला ने मनमोहित कर दिया। इसके अलावा, रामलीला में दीया डांस भी शामिल किया गया, जिसमें सभी आगंतुकों को भी दीया जलाकर डांस में शामिल होने का मौका मिला। सभी ने दीया जलाकर दशहरा के पर्व को मिलजुल कर हर्षोल्लास के साथ मनाया।
रामायण मंचन के बाद भारतीय दूतावास द्वारा रावण के पुतले को जलाकर और आतिशबाजी कर लोगों ने बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाया। पटाखों की गड़गड़ाहट से पूरा दूतावास गूंज उठा। अंत में रामलीला के पात्रों से प्रभावित होकर सभी ने उनके साथ फोटो भी खिंचवाई। बता दें कि दशहरा उत्सव मनाने के लिए भारतीय दूतावास द्वारा आयोजित इस सांस्कृतिक उत्सव में बड़ी संख्या में बीजिंग स्थित राजनयिकों, चीनी और भारतीय प्रवासी सदस्यों सहित 1,800 से अधिक लोगों ने भाग लिया। दशहरा मेला सुबह से रात तक चला जिसमें लगभग 28 स्टॉल लगाए गए। विभिन्न भारतीय कलाकृतियों, भोजन-मिठाई, हाथ से बनी मोमबत्तियों जैसे स्टॉल पर सुबह से ही लोगों की भीड़ उमड़ती रही। पूरा नजारा ऐसा लग रहा था मानो असल में किसी भारतीय बाजार में आ गए हों। रंग-बिरंगे स्टॉल, घी में बनती ताजा मिठाइयों की खुशबू, मसालों की भीनी-भीनी महक ने सभी को खूब आकर्षित किया।
इन स्टॉल्स को भारतीय राजनयिकों के परिवारों और बड़ी संख्या में भारतीय प्रवासियों ने मिलकर लगाया। भारतीय राजदूत विक्रम मिश्री की पत्नी डॉली मिश्री ने कहा कि दूतावास के स्पाउस क्लब द्वारा घर में बनाई गई मोमबत्तियों से कमाई गई धनराशि दान में दी जाएगी। इस मेले में भरतनाट्यम, कथक, कुचिपुड़ी, राजस्थानी लोक नृत्य, तमिल लोक गीत, गरबा डांस, बॉलीवुड डांस आदि का प्रदर्शन हुआ। इसके अलावा, स्थानीय भारतीय योग विद्यालयों के छात्रों ने अनेक योग मुद्राओं का प्रदर्शन भी किया।
(आईएएनएस)
Created On :   11 Oct 2021 7:30 PM IST