चीन के बिना शर्त समर्थन से रूस को हो सकती है परेशानी

Chinas unconditional support may cause trouble for Russia
चीन के बिना शर्त समर्थन से रूस को हो सकती है परेशानी
रूस-यूक्रेन विवाद चीन के बिना शर्त समर्थन से रूस को हो सकती है परेशानी
हाईलाइट
  • रूसी राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन का बचाव कर चीन खुद को असहज मान रहा है

डिजिटल डेस्क, मॉस्को। रूस के यूक्रेन पर हमले के बाद संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में शुक्रवार रात चर्चा के अंत में कराए गए मतदान में चीन के हिस्सा नहीं लेने से पश्चिमी देशों में एक प्रकार से हताशा का माहौल हो सकता है, लेकिन चीन के बिना शर्त के इस समर्थन से रूस को भी परेशानी हो सकती है। द गार्जियन ने यह जानकारी दी है।  इस बात के संकेत भी आ रहे हैं कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन का बचाव कर चीन खुद को असहज मान रहा है और इसने एक तरह से वैश्विक अर्थव्यवस्था को काफी परेशानी में डालने की शुरूआत कर दी है। अनेक देशों ने रूस पर आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए हैं और रूस के कारोबार पर भी प्रतिबंध लगा दिए हैं।

रिपोर्ट में कहा गया कि ऐसा भी हो सकता है कि शीतकालीन ओलंपिक के बाद तक आक्रमण में देरी करके पुतिन ने चीन के प्रति अपना सम्मान दिखाया हो, लेकिन इस आक्रमण के बारे में चीन से सलाह नहीं ली गई थी। चीनी राजनयिकों ने इस तरह के आक्रमण की भविष्यवाणी का पहले मजाक उड़ाया था और अपने अनेक नागरिकों को यूक्रेन में उनके हालात पर छोड़ दिया था।

बीजिंग शीतकालीन ओलंपिक के शुरूआती दिन 4 फरवरी को रूस के साथ एक प्रगाढ़ साझेदारी समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे लेकिन उस दौरान भी यूक्रेेन के आक्रमण के बारे में कोई चर्चा नहीं हुई थी। चीन मौजूदा विश्व व्यवस्था से लाभान्वित हो रहा था लेकिन अब जो आर्थिक हालात हैं वे उसे परेशान कर सकते हैं। द गार्जियन ने बताया कि स्विफ्ट भुगतान प्रणाली से रूस के कटने से चीनी प्रयासों को एक विकल्प बनाने में फायदा हो सकता है लेकिन अल्पकालिक व्यवधान उसके लिए चिंताजनक है।

यह ध्यान देने योग्य था कि पुतिन और राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच बातचीत के बाद रूस ने मिन्स्क में यूक्रेन के साथ अस्वीकार्य शर्तों पर उच्च स्तरीय वार्ता की पेशकश की थी। लेकिन भले ही चीन पुतिन के कार्यों को एक आक्रमण के रूप में कहने से खुद को नियंत्रित कर रहा है मगर वह रूस के साथ उसी दायरे में चला गया है जहां विश्व स्तर में दोनों की आलोचना होने की आशंका है।

चीन ने हालांकि शुक्रवार को इस बात पर जोर देते हुए कहा था यह बिल्कुल जरूरी है कि यूक्रेन में स्थिति को बिगड़ने या नियंत्रण से बाहर होने से रोकने के लिए सभी पक्ष आवश्यक संयम बरतें। आम लोगों के जीवन और संपत्तियों की सुरक्षा प्रभावी ढंग से की जानी चाहिए, और विशेष रूप से, बड़े पैमाने पर मानवीय संकटों को रोकना होगा। चीन ने यह भी कहा था कि यूक्रेन को पूर्व और पश्चिम के बीच संचार का एक माध्यम बनना चाहिए, न कि प्रमुख देशों के बीच टकराव की अग्रिम पंक्ति। रिपोर्ट में कहा गया है कि इसका अर्थ यह है कि चीन यूक्रेन का एक तटस्थ राज्य होने का पक्ष लेगा।

रूस के लिए जोखिम यह है कि वह इस हमले के बाद विश्व की नजरों में निम्नतम हो जाएगा तो वह चीन के साथ भविष्य के भागीदार के बजाय एक निवेदक के रूप में ही रह जाएगा। यूरोप 10 वर्षों में खुद को रूसी गैस और तेल पर निर्भरता से मुक्त कर लेगा और रोम और बर्लिन में यह तत्काल अनिवार्यता का विषय बन गया है। द गार्जियन ने बताया कि ऐसे में रूस एक ग्राहक के रूप में चीन पर निर्भर होगा। रूस के लिए एक और खतरा यह भी है कि चीन को अफ्रीका में अपने प्रभाव पर गर्व है। सुरक्षा परिषद के सभी अफ्रीकी प्रतिनिधियों ने शुक्रवार को रूस के खिलाफ मतदान किया था।

(आईएएनएस)

Created On :   27 Feb 2022 4:00 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story