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Yavatmal News: 26 वर्ष से फरार नक्सली कमांडर तुलसी महतो को यवतमाल पुलिस ने किया गिरफ्तार
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- हत्या, हत्या का प्रयास, देशद्रोह, विस्फोट करने जैसे मामले हैं दर्ज
- 1993 से 1999 तक भितीया दलम के बारह नक्सलियों का विभागीय कमांडर था
- वर्षों से पहचान छिपाकर रह रहा था
Yavatmal News यवतमाल जिला पुलिस प्रशासन को गुप्त सूचना मिलने के बाद 7 गंभीर अपराधों में वांछित और 26 बरस से फरार नक्सली विभागीय कमांडर तुलसी उर्फ दिलीप जेठू महतो (47) को गिरफ्तार कर लिया। आरोपी पर सभी मामले झारखंड के हजारीबाग जिले के विविध थानों में दर्ज है। गत कई वर्षों से वह यवतमाल के लकड़गंज क्षेत्र में एक किराए का कमरा लेकर गुमनामी की जिंदगी जी रहा था। यह जानकारी एसपी कुमार चिंता ने एसपी ऑफिस में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में दी।
इस नक्सली की एक छोटी गलती के कारण उसका पूरा इतिहास, आपराधिक पृष्ठभूमि अचानक सामने आया और वह पुलिस के जाल मंे फंस गया। जब हजारीबाग के एसपी को यवतमाल पुलिस ने उसकी शिनाख्त करने के लिए टीम को भेजने कहा, तो वहां की टीम मंगलवार देर रात पहुंची थी। उन्होंने उसे पहचानने के बाद गिरफ्तारी की। उस पर गत कई दिनों से पैनी नजर रखी जा रही थी। आरोपी के खिलाफ हजारीबाग जिले के पुलिस थाना चौपरान में भादंवि की धारा 379, 411, 120(ब), 414, कोयला खान प्रतिबंधक अधिनियम की धारा 30(ii), दूसरा मामला पुलिस थाना विष्णुगड में भादंवि की धारा भादंवि की धारा 379, 411, 120(ब), कोयला खान प्रतिबंधक अधिनियम की धारा 30(ii) और भारतीय वन अधिकार प्रतिबंधक नियम की उपधारा 33, तीसरा मामला पुलिस थाना सदर भादंवि की धारा 379, 411, कोयला खान प्रतिबंधक अधिनियम की धारा 30(ii), और भारतीय वन अधिकार प्रतिबंधक नियम की उपधारा 33, चौथा मामला पुलिस थाना चर्चू भादंवि की धारा 216, सीएलए एक्ट की उपधारा 17, पांचवा मामला पुलिस थाना चर्चू भादंवि की धारा 302, 201, 120 (ब), 34, छठवां मामला पुलिस थाना मंडू भादंवि की धारा 307, 353, 435, 440, शस्त्र अधिनियम प्रतिबंधक की उपधारा 27 और विस्फोटक पदार्थ अधिनियम 3/4 में मामला दर्ज है।
6 वर्ष का नक्सली इतिहास : तुलसी उर्फ दिलीप जेठू महतो 1993 में झारखंड के नक्सली गुट में सदस्य के रूप में भर्ती हुआ। इस दौरान उसेे दी गई जिम्मेदारियां ठीक से निभाई जिसे देखते हुए मात्र 4 वर्षों बाद 1997 को उसे नक्सली से विभागीय कंमाडर बनाकर भितिया दलम का जिम्मा सौंपा गया और दल में 12 सशस्त्र नक्सलियों का मुखिया बनाया गयाा। वह सुरक्षा बलों पर हमला करने, रईसों से फिरौती वसूलने, सरकारी संपत्ति को क्षति पहुंचाने, हत्या करना, हत्या के प्रयास, सरकारी कामों में बाधा डालना, कोयला और जंगल संपत्ति की चोरियां करना आदि के साथ न्यायालय मे हाजिर न रहने का मामला समेत 7 गंभीर मामले में वह नामजद है। उसे लूटी गए राशि को रखने की जिम्मेदार सौंपी गई थी, मगर उस पैसों मे हेराफेरी करने के चलते उसे वहां से भागना पड़ा क्योंकि अन्य नक्सली उसकी जान लेने पर तुले हुए थे।
Created On :   20 Feb 2025 4:32 PM IST