पुणे: मिलर फिशर सिंड्रोम के मरीज को मिला जीवनदान, 10 लाख में एक को होती है दुर्लभ बीमारी

मिलर फिशर सिंड्रोम के मरीज को मिला जीवनदान, 10 लाख में एक को होती है दुर्लभ बीमारी
  • समय रहते उपचार मिलने से बची युवक की जान
  • मिलर फिशर सिंड्रोम का इलाज करना बहुत चुनौतीपूर्ण है

डिजिटल डेस्क, पुणे । 33 साल के एक स्वस्थ्य आदमी को अचानक पलकें खोलने और खाना निगलने में दिक्कत होने लगी। उनके हाथ-पैर भी सुन्न हो गए और उन्हें चलने में दिक्कत होने लगी। डॉक्टर ने युवक की जांच की तो पता चला कि उसे दुर्लभ 'मिलर फिशर' सिंड्रोम है। युवक का पुणे के एक अस्पताल में इलाज किया गया और उसे नया जीवन मिला। न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. श्रुति वाडके ने बताया कि, पलकों का झपकना बंद होने और निगलने में परेशानी होने पर परिजन उसे जब स्थानीय अस्पताल ले गए, तब वहां युवका का एमआरआई कराया गया, लेकिन जांच में कुछ नहीं मिला। इसके बाद परिजन मरीज को बाणेर के मणिपाल अस्पताल लेकर आए, जहां डॉक्टरों ने गहराई से जांच करने पर युवक में मिलर फिशर सिंड्रोम का प्रारंभिक लक्षण बताया। डॉ. श्रुति वाडके ने बताया कि, मरीज को इम्यूनोग्लोबुलिन दवा से इलाज की शुरुआत की गई। ये दवाएं प्रतिरक्षा प्रणाली को नियंत्रित करती हैं और रक्त में एंटीबॉडी को भी नियंत्रित करती हैं। समय पर निदान और उपचार मिलने से रोगी जल्दी ठीक हो गया और उसे बिना किसी विकलांगता के ठीक करके घर भेजा गया।

डॉ. श्रुति वाडके ने कहा कि मिलर फिशर सिंड्रोम का इलाज करना बहुत चुनौतीपूर्ण है। क्योंकि इसके लक्षण अलग-अलग बीमारियों से मिलते-जुलते हैं, इसलिए इसका गलत निदान भी हो सकता है। शीघ्र निदान और उपचार बहुत महत्वपूर्ण है। यदि समय पर निदान और उपचार न किया जाए तो रोग की जटिलताएँ बढ़ जाती हैं और भविष्य में विकलांगता हो सकती है।

क्या है मिलर फिशर सिंड्रोम?

मिलर फिशर सिंड्रोम (एमएफएस) एक दुर्लभ बीमारी है। यह बीमारी हर साल दस लाख में से केवल एक से दो लोगों को प्रभावित करती है। यह रोग वायरस के संपर्क में आने के लगभग चार सप्ताह की अवधि में होता है। यह रोग तंत्रिकाओं पर आक्रमण करता है। इससे आंखों की रक्त वाहिकाएं प्रभावित होती हैं और आंखों की पुतलियों को हिलाने में कठिनाई होती है। साथ ही जोड़ों का हिलना-डुलना भी मुश्किल हो जाता है और अस्थिरता आ जाती है। कभी-कभी निगलने में कठिनाई होती है और जोड़ों में कमजोरी भी आ जाती है। यदि समय पर इलाज नहीं किया जाता है, तो कुछ रोगियों में यह बीमारी तेजी से बढ़ती है, जिससे सांस लेने में कठिनाई होती है और वेंटिलेटर की आवश्यकता होती है।


Created On :   20 May 2024 4:02 PM GMT

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story