Pune News: अब प्रशिक्षण लेकर रोजगार पाएंगे भिखारी, पुणे में खुला पहला रोजगार केंद्र

अब प्रशिक्षण लेकर रोजगार पाएंगे भिखारी, पुणे में खुला पहला रोजगार केंद्र
  • डॉक्टर फॉर बेगर्स के नाम से मशहूर डॉ. सोनवणे दंपति
  • पुणे में खुला पहला रोजगार केंद्र

Pune News. सड़कों पर भीख मांगने वाले भिखारी काफी दयनीय स्थिति में जीवन यापन करते हैं। दस्तावेजों की कमी के कारण, वे सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं उठा पाते। शिक्षित न होने एवं कौशल के अभाव के चलते वे नौकरी नहीं कर पाते। ऐसे लोगों की पीड़ा को समझते हुए मदद के लिए आगे आई एक डॉक्टर दंपति। डॉ. अभिजीत सोनवणे और डॉ. मनीषा सोनवणे ने ऐसे भिखारियों के लिए स्वतंत्र प्रशिक्षण और रोजगार केंद्र खोला। पुणे के बिबवेवाड़ी में गुड़ी पड़वा पर इसका शुभारंभ किया गया।

यह दंपति, "डॉक्टर फॉर बेगर्स" के नाम से मशहूर है। भिखारियों को चिकित्सा सेवाएं प्रदान कर उन्हें काम देकर भिखारियों को समाज की मुख्यधारा में लाने की कोशिश यह दंपति कर रही है। ये दंपति भिखारी बच्चों को गोद ले रहे हैं और भावी पीढ़ी को संवारने का काम कर रहे हैं। वे सड़कों पर पड़े बूढ़े लोगों की मदद कर उन्हें आश्रय केंद्रों में रखते हैं। अनुमान के मुताबिक वर्तमान में पुणे शहर में 3500 भिखारी हैं। इनमें से 300 से अधिक लोगों ने "डॉक्टर फॉर बेगर्स" के माध्यम से व्यवसाय शुरू किए हैं। पिछले दस वर्षों से किसी ने भी इस डॉक्टर दंपत्ति को ऐसा प्रशिक्षण और रोजगार केंद्र शुरू करने के लिए जगह नहीं दी, क्योंकि हम अपने दरवाजे पर भिखारी नहीं चाहते हैं, ऐसी स्थिति में, संघार कंपनी के मालिक दानिश शाह ने बिबवेवाड़ी के एक आवासीय क्षेत्र में अपनी 2500 वर्ग फीट जमीन इस दंपत्ति को मुफ्त में दान दे दी। इतना ही नहीं, उन्होंने अपने खर्च पर प्रशिक्षण और रोजगार केंद्र के लिए आवश्यक सब कुछ प्रदान किया और परोपकार में एक नया मील का पत्थर साबित होगा। इसके लिए जरूरी सभी मशीनरी नीलेश लिमये के सहयोग से सेंचुरी एन्का प्राइवेट लिमिटेड द्वारा प्रदान की गई है। परियोजना के लिए आवश्यक अन्य सभी खर्च बिग बक्स फाइनेंशियल सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड, के विपुल शाह द्वारा वहन किए गए हैं। इन सभी मामलों से प्राप्त सभी धनराशि रोजगार केंद्र में काम करने वाले लोगों को वेतन के रूप में दी जाएगी। इसके लिए, मेहता सोप कंपनी और डॉ. भारती पांडुरंग सोनवणे ने इस परियोजना को अपनी तकनीक और कौशल मुफ्त में प्रदान किया है।

डॉ. अभिजीत सोनवणे ने दाताओं के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि "प्रशिक्षण और रोजगार केंद्र" का सपना आज सच हो रहा है। मुझे नहीं पता था कि इन गरीबों के लिए इतने हाथ आगे आएंगे। मैं जीवन भर उनका ऋणी रहूंगा। इस रोजगार केंद्र में, धार्मिक स्थानों में पड़ी और एकत्र की गई फूलों से प्राकृतिक रंग बनाए जाएंगे। भिखारी समुदाय द्वारा इस फूल की बर्बादी को उठाने से, उन्हें एक किलो की कीमत पर इस बर्बादी के लिए पैसे मिलेंगे। रोजगार केंद्र में, बुजुर्ग माता-पिता और दादा-दादी इन फूलों का प्राकृतिक, जैविक पाउडर तैयार करेंगे और विभिन्न फार्मा कंपनियों को बेचेंगे। साथ ही, इस रोजगार केंद्र में कपड़े के थैले सिलने, सजावटी सामान बनाने और तरल धुलाई बनाने जैसी अन्य गतिविधियां भी हैं। इससे प्राप्त धन सभी लोगों को वेतन के रूप में दिया जाएगा। इस परियोजना के माध्यम से, धार्मिक स्थानों में जमा होनेवाले फूल को नदी में नहीं डालने दिया जाएगा। सड़क का कचरा उठाया जाएगा। इससे नदियां प्रदूषित नहीं होंगी। इससे फूल का उपयोग भी हो सकेगा और इससे पैदा होनेवाली लक्ष्मी से सड़क पर के कई भिखारियों के चूल्हे जलेंगी।

डॉ. मनीषा सोनवणे ने राय व्यक्त की कि समाज को सड़क पर भीख मांगना बंद कर देना चाहिए और इस भिखारी समुदाय को अपने पैरों पर खड़ा होने में मदद करनी चाहिए। यदि सही दिशा दी जाए, तो भिखारी समुदाय देश की बेहतरी के लिए अपनी शक्ति का ठीक से उपयोग कर सकेगा।

Created On :   30 March 2025 10:20 PM IST

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