निशाना: कभी पवित्र मंदिर रही मातोश्री अब उदास हवेली बन गई , ठाकरे पर शिंदे का निशाना

कभी पवित्र मंदिर रही मातोश्री अब उदास हवेली बन गई , ठाकरे पर शिंदे का निशाना
  • मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का उद्धव ठाकरे पर चौतरफा हमला, खोल कर रख दिए कई राज
  • पार्टी हाथ से जाने के बाद मांगे थे 50 करोड़
  • प्रधानमंत्री से मिलने के बाद छूटे थे पसीने

डिजिटल डेस्क, पुणे। कोल्हापुर के महासैनिक दरबार मैदान में शिवसेना के दो दिवसीय राज्यव्यापी अधिवेशन का शनिवार को मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के संबोधन से समापन हुआ। अपने करीबन डेढ़ घंटे के भाषण में मुख्यमंत्री ने कार्यकर्ताओं को आगामी लोकसभा चुनाव के लिए '45 पार' का नारा देते हुए जहाँ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफों में पुल बांधे वहीँ उद्धव ठाकरे पर चौरतफा हमला किया। बालासाहेब ठाकरे के समय में मातोश्री एक पवित्र मंदिर था, अब उदास हवेली बन गई है। जहां पहले शेर की दहाड़ थी, वहां अब रोने की आवाज आ रही है।

शिंदे ने ठाकरे को लेकर कई राज भी आज खोलकर रख दिए। जब शिवसेना और पार्टी चुनाव चिन्ह उनके हाथ से चला गया तब पार्टी के अकाउंट में रहे 50 करोड़ रुपए उनसे मांगे थे। उन्हें पार्टी या बालासाहेब के विचारों से कोई लेना देना नहीं था उन्हें सिर्फ पैसों से मतलब था और अब हम पर 50 खोखे का आरोप लगा रहे हैं। पार्टी हमारे पास आयी तो उन्हें संपत्ति की चिंता सताने लगी, लेकिन हमें उनकी संपत्ति से कोई सरोकार नहीं, बालासाहेब के विचारों की संपत्ति हमारे पास हैं।

2019 में उन्होंने एक के साथ शादी की, दूसरे के साथ घर बसाया और तीसरे के साथ हनीमून मनाया। उन्होंने शिवसेना, भाजपा और नरेंद्र मोदी को धोखा दिया, उनके साथ बेईमानी की। जब उनके और परिवार द्वारा अतीत में किये कुकृत्यों के बाहर आने का डर सताने लगा तब उन्होंने मोदी से मुलाकात की। उनके साथ रहे अजीत पवार और अशोक चव्हाण को बाहर रुकाया और खुद मोदी से मिलने गए। वहां से बाहर निकलने के बाद वे पसीने से तरबतर थे पहले दो ग्लास पानी पिया। यह बात खुद चव्हाण और पवार ने मुझे बताई। यह राजफाश करते हुए मुख्यमंत्री ने उद्धव ठाकरे की आलोचना करते हुए कहा, उनहोंने एक नहीं दो दो बार मोदी और भाजपा को धोखा दिया और अब हमें गद्दार, बेईमान कह रहे हैं। उत्तराधिकारी बताने से पहले आईने में देखना चाहिए। कितने मुखौटे घूमेंगे? बालासाहेब का उत्तराधिकारी बताने की ताकत मुंह में नहीं बल्कि कलाई में होनी चाहिए। हमारी शिव सेना में ऐसे रत्न हैं जिन्हें संसद पुरस्कार मिलते हैं। हम जल्द ही अयोध्या जायेंगे। इस सम्मेलन से पूरा कोल्हापुर भगवामय हो गया है। बालासाहब भी करवीर नगर में महालक्ष्मी के दर्शन करके ही प्रत्येक कार्य प्रारम्भ करते थे।

शिंदे ने कहा कि वह एक बार फिर मजबूती के साथ शिवसेना का निर्माण कर रहे हैं। शिवसैनिकों में जोश भर रहा है. हमने राम मंदिर और धारा 370 हटाने के लिए प्रधानमंत्री और सहकारी क्षेत्र में आम आदमी को न्याय दिलाने के लिए अमित शाह के अभिनंदन का प्रसताव पारित किया है। अगर बाला साहब ने राम मंदिर का निर्माण और धारा 370 हटते देखा होता तो वे भी मोदी को मुक्त कंठ से बधाई देते। हालाँकि स्वघोषित उत्तराधिकारियों ने एक शब्द भी बोलने की हिम्मत नहीं की। कोई आपके साथ है तो वह अच्छा है, उसके जाते होते ही तुरंत गद्दार कहलाया जाता है। एकनाथ शिंदे ने उद्धव ठाकरे को खरी खोटी सुनाई कि एक दिन यही शिवसैनिक तुम्हें बर्बाद कर देगा। 'हम दो हमारे दो' अब नहीं चलेगा। जब एक आम आदमी मुख्यमंत्री बनता है तो वह आम आदमी की समस्याओं को समझता है। इसलिए यह बताने की जरूरत नहीं है कि किसे आत्मपरीक्षण करने की जरूरत है। ऐसा क्यों है कि मैं जहां भी जाता हूं लोग रुक जाते हैं? अगर हमने गलत काम किया होता तो क्या लोग हमारे लिए घंटों सड़कों पर रुकते? हम बाला साहेब के विचारों को लेकर आगे बढ़ रहे हैं।' शिवसेना का हिंदुत्व सार्वभौमिक है। बालासाहेब ठाकरे, हिंदू हृदय सम्राट कहने में आपकी जीभ क्यों कांपती है?

बाला साहेब ने कहा था, अगर कांग्रेस के साथ जाने की नौबत आयी तो मैं अपनी दुकान बंद कर दूंगा। जब आप उसी कांग्रेस को 2019 में करीब लाए तो हिंदुत्व कहां चला गया? शिवसेना के मुख्यमंत्री शिंदे ने कहा कि धनुष-बाण को बचाने के लिए हमने जो साहस दिखाया, उसे दुनिया ने नोटिस किया है। इंसान हमेशा सत्ता के पास जाता है और सत्ता में ही रहना चाहता है, लेकिन, हमने सत्ता से हटने का फैसला किया। ये फैसला बहुत कठिन और कड़वा था। बाला साहेब के विचारों को बचाने के लिए हमने ये स्टैंड लिया। अगर हमसे गलती होती तो इतनी बड़ी संख्या में कार्यकर्ता नहीं आते, वे भी मुंह मोड़ लेते, लेकिन डेढ़ साल में सरकार ने जो फैसले लिए, वह सबके सामने हैं। एक पार्टी के प्रमुख की सत्ता की चाहत अभी से नहीं बल्कि 2004 से ही कुछ छिपी हुई इच्छाएं थीं।शरद पवार ने पवार से कहा कि आपको मुख्यमंत्री बनना पड़ेगा तो उनका चेहरा रोने जैसा हो गया। फिर मैंने कहा कि आप आगे बढ़ो हम आपके साथ हैं। शिंदे ने दावा किया कि मुख्यमंत्री के उन्होंने खुद ही अपना नाम सुझाने को कहा था। अगर मुझे ये बताया होता तो मैं ऐसा माहौल बना देता। क्योंकि एकनाथ शिंदे को पद प्यार नहीं हैं। वे जैसे दिखते हैं वैसे नहीं हैं, केवल चेहरा ईमानदार है। उनके एक चेहरे के पीछे कई चेहरे हैं।

एक पिता और पति के रूप में असफल : मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे कार्यकर्ताओ को संबोधित करने के दौरान भावुक हो गए। असल में उन्होंने अपने पुत्र सांसद डॉ श्रीकांत शिंदे के कल के भाषण की याद दिलाई, जिसमें उन्होंने परिवार के लिए समय न देने और महाराष्ट्र को अपना परिवार मानने की ओर इंगित किया। यह बताते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, श्रीकांत आपके सामने कोई बात न कहेंगे। मगर एक पिता और पति के रूप में मैं असफल रहा। मैं घर पहुँचता हूँ तब सब सो रहे होते थे, घरवालों से कई महीनों तक नहीं मिल पाता। अपने डॉक्टर बेटे के लिए अस्पताल तक नहीं बनवा सका, इसका मुझे अफ़सोस है। श्रीकांत ने कल कहा कि मुझे अपने पिता पर गर्व है, लेकिन मुझे उन पर गर्व है। हमने शिवसेना को बचाने के लिए बड़ा कदम उठाने का साहस किया था और सत्ता से बाहर आने का फैसला किया। मुख्यमंत्री पद पर रहते उद्धव ठाकरे ने मुझे जेड प्लस सुरक्षा देने से बह मन कर दिया था। क्या मुझे नक्सलियों से मरवाने की आपकी योजना थी? यह सवाल मुख्यमंत्री ने उठाया था।

Created On :   17 Feb 2024 7:23 PM IST

Tags

और पढ़ेंकम पढ़ें
Next Story