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पुणे में बाढ़ के हालात: भूस्खलन से 1 मौत - 2 लापता, करंट लगने से 3 जानें गई, लवासा में फंसे 3 को रेस्क्यू कर निकाला
- सिंहगढ़ क्षेत्र में नाव से किया रेस्क्यू
- कल से मिल सकती है बारिश से राहत
- खड़कवासला बांध से अभी तक 35,500 क्यूसेक पानी छोड़ा
- बांध का पानी दिन में ही छोड़े जाने के पालकमंत्री अजित पवार ने निर्देश दिए
डिजिटल डेस्क, पुणे। भारी बारिश में एक व्यक्ति की भूस्खलन से मौत हो गई है, जबकि दो अन्य के लापता होने की खबर है। लवासा में तीन लोग पानी में फंसे थे, जिन्हें रेस्क्यू किया गया है। रेस्क्यू करने के 400 से ज्यादा मामले सामने आए हैं। जिसमें एमआईटी के छात्र भी शामिल है। कलेक्टर डॉ. सुभाष दिवसे ने बताया कि तामनीघाट क्षेत्र में भूस्खलन होने से एक व्यक्ति की मौत हो गई है। इस क्षेत्र में रेस्क्यू टीम को पहुंचाया गया है ताकि अन्य कोई हताहत हुआ हो तो उसे मदद दी जा सके। कात्रज लेकटाउन व अष्टभुजा से एक-एक व्यक्ति के लापता होने की सूचना है जिन्हें ढूढ़ा जा रहा है। पुलिस अधिकारी दीपाली भुजबल ने बताया कि अष्टभुजा क्षेत्र में जो व्यक्ति पानी में बहा वह जानबूझकर कूदा। कुछ लोग यहां खड़े होकर पानी का नजारा देख रहे थे, तभी यह व्यक्ति आया और पानी में कूद गया।
सिंहगढ़ क्षेत्र में नाव से किया रेस्क्यू
रेस्क्यू टीम ने सिंहगढ़ में काफी लोगों को बाहर निकाला। इन्हें नाव से रेस्क्यू किया गया। कुछ क्षेत्रों में तो पानी तल मंजिल पर बने मकानों की छतों के करीब तक पहुंच गया था। इससे इन लोगों को दूसरे स्थानों पर शरण लेना पड़ी थी। कुछ लोग ऊपरी मंजिल पर चले गए थे जिन्हें अन्य परिवारों ने रात में अपने पास रखा। रेस्क्यू टीमों ने इन्हें प्रशासन द्वारा तैयार किए गए आश्रय स्थलों पर पहुंचाया।
तीन दिन से हो रही मूसलाधार बारिश
लगातार तीन दिन से हो रही मूसलाधार बारिश ने लोगों को परेशान कर रखा था, लेकिन बुधवार को खड़कवासला बांध ओवरफ्लो होने से बांध का पानी मुठा नदी में छोड़ा जाना मुसीबत साबित हो गया। नदी किनारे और निचले इलाकों के कई घरों में पानी जमा हो गया, जिससे उन्हें जिला प्रशासन द्वारा बनाए गए आश्रय स्थलों की शरण में जाना पड़ा। डेक्कन परिसर में करंट लगने से तीन लोगों की मौत हो गई। ये लोग अपने ठेले को लेने जलजमाव वाले क्षेत्र में चले गए थे, जहां घटना घटी। शहर की स्थिति को लेकर चल रहे राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोपों के बीच राज्य सरकार ने सेना को सहायता के लिए बुलाया है।
सेना के 100 जवान राहत कार्य में जुट गए हैं। इसके साथ ही राज्य सरकार ने पानी को एकसाथ छोड़ने से मना किया है। रात 7 बजे बाद पानी नहीं छोड़े जाने के निर्देश भी दिए गए हैं। इसके अलावा कर्नाटक सरकार से आग्रह किया है कि वह अलमाटी डेम के गेट खोल दें, ताकि महाराष्ट्र से पानी को आगे का रास्ता मिल सके। प्रशासन ने स्कूल-कॉलेजों में छुट्टी घोषित कर दी है। पिछले 24 घंटों में पुणे में 114.1 मिमी (4.48 इंच) पानी बरसा। मौसम विभाग का कहना है कि शुक्रवार से बारिश में राहत मिल सकती है, हालांकि घाट क्षेत्र में रेड अलर्ट जारी रहेगा। जिले में झरने और झील जैसे पर्यटन स्थल सैलानियों के लिए बंद कर दिए गए हैं।
अभी तक 35,500 क्यूसेक पानी छोड़ा गया
खड़कवासला बांध से अभी तक 35,500 क्यूसेक पानी छोड़ा गया है। बुधवार रात को जिन लोगों के घरों में पानी भरा गया उनके लिए प्रशासन ने कुछ स्कूलों व धर्मशालाओं में रहने की व्यवस्था की है। सामाजिक संस्थाओं के माध्यम से इन्हें खाना भी भेजा जा रहा है। मंगलवार को पुणे में बारिश का दौर शुरू हो गया था। दोपहर बाद बारिश की शुरुआत हुई। कुछ स्थानों पर तेज तो कही मध्यम बारिश थी लेकिन बुधवार को इसकी गति कई बार तेज हुई। कल बारिश पूरे पुणे में दिनभर चलती रही। बारिश होने के साथ ही कल खड़कवासला बांध का पानी भी छोड़ना शुरू किया गया। बांध का पानी मुला-मुठा नदी से होते हुए आगे उजनी बांध में पहुंचता है। बांध के पानी का असर भी कुछ क्षेत्रों में हुआ जिसमें नदी किनारे बसा आनंद नगर प्रमुख है। इसके अलावा बारिश के कारण सिंहगढ़ रोड पर स्थित एकतानगर व अन्य कुछ कालोनियों, डेक्कन का नदी परिसर, कात्रज क्षेत्र के कुछ हिस्सों, हड़पसर, वारजे, एरंडवणा प्रमुख क्षेत्र में जलजमाव हो गया। इससे कुछ स्थानों पर वाहन भी बह गए जिसमें कारें, आटो रिक्शा, छोटे टेम्पो आदि भी शामिल हैं। कई घरों में पानी जमा हो गया जिससे उन्हें बाहर आना पड़ा। स्थिति बिगड़ती देख जिला प्रशासन के आग्रह पर राज्य सरकार ने सेना को मदद के लिए बुलाया। सेना के 100 जवान गुरुवार सुबह से ही राहत कार्य में जुट गए। इन जवानों के आने से कई लोगों को राहत भी मिली। कुछ मरीजों को भी सेना के जवानों ने एंबुलेंस से अस्पताल पहुंचाया।
सांसद सुप्रिया सुले का आरोप – प्रशासन की लापरवाही, अजित पवार बोले राजनीति न करें
पूरे मामले को लेकर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद पवार) गुट की सांसद सुप्रिया सुले ने आरोप लगाया है कि प्रशासन की लापरवाही के कारण यह सब कुछ हो रहा है। बांध का पानी छोड़ने से पहले लोगों को समय पर अलर्ट नहीं किया गया। उधर, राज्य के उपमुख्यमंत्री व पालकमंत्री अजित पवार का कहना है यह समय राजनीति करने का नहीं है बल्कि सभी को मिलकर काम करने का है। प्रशासन ने सभी को पानी छोड़ने से पहले अलर्ट कर दिया था। अब पानी एकसाथ छोड़ने के बजाय कुछ समय रूककर छोड़ा जाएगा। रात 7 बजे बाद पानी नहीं छोड़ा जाएगा।
Created On :   25 July 2024 9:04 PM IST