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मरता तो शरीर है: गणाचार्य विराग सागर जी
डिजिटल डेस्क, पन्ना। राष्ट्रसंत गणाचार्य श्री 108 विराग सागर जी महामणिराज ससंघ 30 साधुओं के मंगल सानिध्य में गुरुवर की शिष्या श्रमणी आयिका विमोहिता श्री माताजी की सल्लेखना समाधि निर्विघ्नं रूप से चल रही है। पूज्य गुरुदेव ने माताजी को आत्म संबोधन देते हुए कहा मृत्यु इस संसार का अकाटय् एवं अटल सत्य है जिसे कोई नहीं टाल सकता। यद्यपि मरता प्रत्येक प्राणी है किंतु धन्य है वह प्राणी जो अपनी मृत्यु को मृत्यु महोत्सव बना लेते हैं। मीडिया प्रभारी भरत सेठ ने जानकारी देते हुए बतलाया कि सल्लेखना समाधि मृत्यु की वह कला है जिसे परम परमात्मा ही कर पाते हैं इस संसार में अनेकों ऐसे प्राणी हैं जो पानी और भोजन मांगते-मांगते ही प्राणों का विसर्जन करते है किंतु ऐसी प्राणी विरले ही है जो मृत्यु को निकट जान घर, परिवार तो क्या शरीर से ममता का भी त्याग कर अन्न-जल को छोडक़र आत्म कल्याण के लिए सल्लेखना समाधि का सुखदाई मार्ग चुनते हैं।
अब तक जितने भी महापुरुष हुए उन्होंने मरण के समय इसी विधि को अपनाकर शास्वत सुख प्रदायी मोक्ष को प्राप्त किया। पूज्य गणाचार्य श्री ने बताया कि श्रेयांश गिरी तीर्थ क्षेत्र में पहले के चातुर्मास काल में भी अनेक समाधिया हुई हैं अत: तीर्थ क्षेत्र श्रेयांश गिरी अतिशय क्षेत्र की सार्थकता को प्राप्त करता है। यहां पर विराजमान चैतन्य चमत्कारी बड़े बाबा श्री आदिनाथ भगवान आगंतुक सभी प्राणियों की मनोकामना पूर्ण करने वाले हैं। यही कारण है कि वर्षों से समाधि की भावना भाने वाली ब्रह्मचारिणी क्रांति की मनोभावना श्रेयांश गिरी तीर्थ में आकर पूर्ण हुई। दिनांक १6 जुलाई को पूज्य गुरुदेव का रविवारीय विशेष प्रवचन हुआ। इस अवसर पर जागृति महिला मंडल नागौर को पूज्य गुरुवर की विशेष पूजन, छपक श्रमणी विमोहिता श्री माताजी के परिवार जन को पाद प्रक्षालन एवं आरिका सर्वश्री, शुभ श्री माताजी परिवार देवेंद्रनगर वालों को शास्त्र भेंट करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।
Created On :   17 July 2023 3:22 PM IST