- Home
- /
- राज्य
- /
- मध्य प्रदेश
- /
- पन्ना
- /
- बिना स्वीकृति मशीनों का उपयोग कर...
Panna News: बिना स्वीकृति मशीनों का उपयोग कर किया जा रहा वृक्षारोपण, पर्यावरण संरक्षण के नाम पर वनविभाग द्वारा की जा रही खानापूर्ति
- बिना स्वीकृति मशीनों का उपयोग कर किया जा रहा वृक्षारोपण
- पर्यावरण संरक्षण के नाम पर वनविभाग द्वारा की जा रही खानापूर्ति
Panna News: जिले में वन संरक्षण एवं विकास के नाम पर करोड़ों रूपये वृक्षारोपण पर खर्च किए जा रहे हैं। कैम्पा सहित विभिन्न रोपणी विकास कार्य इन दिनों वन क्षेत्र में तेजी से चल रहे हैं। पर्यावरण संतुलन के लिए विकास योजनाओं के नाम पर दी जाने वाली वृक्षों की बलि की प्रतिपूर्ति के लिए वन विभाग को करोड़ों रूपये वृक्षारोपण के लिए उपलब्ध कराए जाते हैं लेकिन इस राशि का उपयोग पर्यावरण संरक्षण पर नहीं हो रहा है। रोपणी विकास के नाम पर आए रूपयों को किसी तरह ठिकाने लगाने वन विभाग के अधिकारी खानापूर्ति में लगे हैं। ताजा मामला उत्तर वन मंडल अंतर्गत आने वाली देवेन्द्रनगर वन परिक्षेत्र का है। यहां पहाड़ीखेरा क्षेत्र में लुहरहाई बीट के पास कालिंजर-सतना मुख्य मार्ग पर वन क्षेत्र में रोपणी लगाने का काम चल रहा है। इस दौरान यहां स्थानीय श्रमिकों से वृक्षारोपण के गढ्ढे खुदवाने की बजाय काम को तुरंत निपटाने के चलते ट्रेक्टर ड्रिल मशीन का उपयोग हो रहा है।
यह मशीन सिर्फ ऊपरी सतह पर ही होल करने में सक्षम है। ऐसे में मौके पर कहीं 3 तो कहीं 6 इंच के होल देखे जा सकते हैं। जानकारों की मानें तो वृक्षारोपण के लिए कम से कम एक फिट गहराई के गढ्ढों की जरूरत होती है लेकिन वन अधिकारियों द्वारा प्राप्त राशि को तुरंत ठिकाने लगाने के लिए मशीनों का मनमाना उपयोग किया जा रहा है। बताया जाता है कि वन विभाग में पथरीली जमीन पर मशीनों से काम कराने के लिए बकायदा वरिष्ट अधिकारियों द्वारा स्वीकृति प्रदान की जाती है। ऐसे स्थानों पर हाईड्रोलिक ड्रिल मशीनों का उपयोग होता है लेकिन यहां बिना किसी स्वीकृति से मनमाने ढ़ंग से कम खर्च में अधिक पैसा बनाने के लिए ट्रेक्टर ड्रिल कराए जा रहे हैं जो पूरी तरह से अनुचित है। इस संबंध में वन परिक्षेत्राधिकारी देवेन्द्रनगर शुभम तिवारी का कहना है कि शासन द्वारा उन्हें अनुमति दी गई है हालाकि अनुमति के संबंध में कोई स्वीकृति पत्र उनके द्वारा मीडिया को साझा नहीं किया गया। बताया जाता है कि पन्ना में कहीं भी इस तरह की अनुमति नहीं होने की बात सामने आ रही है। अधिकारी अपनी गलती छिपाने के लिए कुछ भी कहने को तैयार है। वरिष्ट अधिकारियों की अनदेखी सुदूर इलाकों में मनमाने ढ़ंग से कार्य कर शासकीय राशि को ठिकाने लगाने का प्रयास हो रहा है।
जिससे वरिष्ठ अधिकारी अनभिज्ञ है। यही कारण है कि इस तरह की मनमानी पर कोई अंकुश नहीं लग पा रहा है। जिले के अंतिम छोर में हो रहे वृक्षारोपण का निरीक्षण भी नहीं होता इसी बात का फायदा उठाकर मनमाने ढ़ंग से कार्य किया जा रहा है। जिले के वरिष्ट अधिकारियों को इस ओर ध्यान देने की आवश्यकता है। नियमित निरीक्षण हो तो इस तरह की मनमानी पर अंकुश लगाया जा सकता है। साइट सिलेक्शन पर भी सवाल बताया जाता है कि रोपणी का विकास ऐसे क्षेत्रों में किया जाता है जहां वृक्ष न हों। बंजर पहाड़ी या ऐसे इलाके जहां पहले से वृक्ष नहीं है वहां जंगल का विकास करने के लिए करोड़ों रूपये खर्च होते हैं लेकिन लुहरहाई बीट में जहां रोपणी बनाई जा रही है वहां आसपास पर्याप्त पेड़ मौजूद हैं। बावजूद इसके इस स्थान का चयन रोपणी के लिए किया गया। जानकारों की मानें तो एक हेक्टयर पर 40 से अधिक पेड़ होने पर रोपणी नहीं लगाई जाती जबकि इस क्षेत्र में पेड़ों का घनत्व मानक स्तर से कहीं ज्यादा है। कुल मिलकर इस क्षेत्र का चयन सिर्फ इसी आधार पर जान पड़ता है कि यह क्षेत्र जिले की सीमा के अंतिम छोर पर है। ऐसे में यहां होने वाली मनमानी नजर नहीं आयेगी। साइट सिलेक्शन को लेकर भी अधिकारी कुछ कहने को तैयार नहीं है।
इनका कहना है
मशीन का उपयोग वनक्षेत्र में हो सकता है, इसके लिए हमें स्वीकृति मिली है तभी काम हो रहा है।
शिवम तिवारी, वन परिक्षेत्राधिकारी देवेन्द्रनगर
Created On :   13 Jan 2025 2:20 PM IST