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Panna News: अजयगढ़ के प्रसिद्ध देव पर्वत की नष्ट होती विरासत

- तहसील अजयगढ के अंतर्गत देवगांव के पास
- अजयगढ़ के प्रसिद्ध देव पर्वत की नष्ट होती विरासत
Panna News: तहसील अजयगढ के अंतर्गत देवगांव के पास देव पर्वत नाम का एक रमणीक धार्मिक स्थल है जो की हजारों साल प्राचीन है यहां पर भगवान श्रीराम के आगमन के प्रमाण पर्वत के सबसे ऊपरी शिखर पर मौजूद है यहां पर सीता रसोई नाम से एक कलात्मक मंदिर बना हुआ है जहां पर एक सुंदर पत्थरों से अलंकृत हवन कुंड भी है जिसे भक्तगण सीता रसोई नाम से संबोधित करते हैं यहीं पर सिद्धनाथ बाबा की समाधि भी बनी हुई है सिद्धनाथ बाबा पर क्षेत्रवासी अपार श्रद्धा करते हैं और संकटों से रक्षा के लिए सिद्धनाथ बाबा की दुहाई देते हैं। देव पर्वत के बीच के स्थान पर एक गुफा में राधा कृष्ण जी विराजमान है। यहीं से एक सुरंग भी दिखाई देती है जो वर्तमान में बंद है बताया जाता है कि इस सुरंग का रास्ता पर्वत की ऊपरी शिखर पर जाकर खुलता था लेकिन वर्तमान में यह बंद कर दिया गया है राधा कृष्ण जी की गुफा के पास कुंड भी बने हुए हैं यहां पर एक कुंड में चट्टानों को तरास करके सुंदर कुंड का निर्माण किया गया था और कुंड के दूसरी तरफ भगवान शिव जी की जलहरी भी विराजमान है। भक्तगण कुंड के जल में स्नान करके महादेव जी को जल अर्पित करते हैं।
देवपर्वत की परिक्रमा का रहा है विधान
प्राचीन समय में देव पर्वत की परिक्रमा का विधान रहा है भक्तगण देव पर्वत की परिक्रमा करते थे और भगवान शिव जी को जल अर्पित करते थे जिस तरह चित्रकूट के कामदगिरि पर्वत की परिक्रमा करने का विधान है इस तरह प्राचीन समय में देव पर्वत की परिक्रमा करने का विधान रहा है लेकिन हजारों सालों से पहाड़ के निरंतर कटाव से परिक्रमा पथ अत्यंत कठिन हो गया है। यहीं पर एक चट्टान पर पैरों के निशान भी बने हुए हैं जिन्हें लोग पंजा कहते हैं बताया जाता है कि प्राचीन समय में जब स्वर्ग लोक में राक्षसों का कब्जा हो गया था तब उनसे बचने के लिए देवताओं ने इसी पर्वत में अपना निवास बनाया था एक मान्यता यह भी है कि दैत्य गुरु शुक्राचार्य की पुत्री देवयानी ने यहां पर कठोर तपस्या की थी अजयगढ़ के साहित्यकार स्वर्गीय अंबिका प्रसाद दिव्या ने स्वर्गीय देवी दयाल पाठक ने डॉ. हर नारायण सिंह, सूर्य प्रकाश गोस्वामी ने देव पर्वत की महिमा के बारे में अपने जीवन काल में काफी कुछ लिखा था। देव पर्वत की महिमा अत्यंत प्राचीन है चंदेल राजाओं की एवं बुंदेला राजाओं की तथा आसपास के कई रियासतों के राजाओं की क्षेत्रीय जनता की अपार श्रद्धा देव पर्वत में रही है।
स्वतंत्रता के बाद सत्ताधारी दलों द्वारा यहां के विकास के संबंध में ज्यादा कुछ नहीं किया गया जिसके कारण से देव पर्वत उपेक्षा का शिकार होकर रह गया और यहां की अमूल्य कलाकृतियां अमूल धरोहर हम सब की अमूल्य विरासत नष्ट होने की कगार में पहुंच चुकी है। सीता रसोई नाम से विख्यात मंदिर दिनों दिन खंडहर में बदल रहा है जबकि यह अद्भुत कलाकृति का नमूना है लेकिन यहां पर वर्तमान में पहुंच पाना अत्यंत कठिन है क्योंकि हजारों सालों से पहाड़ के निरंतर कटाव से यहां पहुंच वाले रास्ते अत्यंत कठिन हो गए हैं। अजयगढ़ क्षेत्र विकास संघ के संयोजक श्रीराम पाठक ने देव पर्वत के बारे में देव पर्वत की प्राचीन महत्वता के बारे में एक फोल्डर का प्रकाशन भी लगभग 5 वर्ष पहले किया था जिसमें देव पर्वत के बारे में काफी कुछ लिखा है। उन्होंने शासन प्रशासन व क्षेत्रीय विधायक बृजेंद्र प्रताप सिंह से देव पर्वत के विकास के संबंध में ध्यान देने की अपील की है।
Created On :   28 March 2025 2:10 PM IST