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Panna News: जिले में संचालित हो रही है मात्र ६६ ऑन रोड स्कूल बसें, आटो टैक्सी पर निर्भर अभिभावक
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- जिले में संचालित हो रही है मात्र ६६ ऑन रोड स्कूल बसें, आटो टैक्सी पर निर्भर अभिभावक
- बच्चों को स्कूल पहुंचाने वाली आटो में विद्यार्थियो की सुरक्षा हांसिये पर, सडक़ में छोडते हैं बच्चे
- सख्त नियमों के चलते निजी स्कूलों की बसें धीरे-धीरे हो रही बंद
Panna News: विद्यालयों में बेहतर शिक्षा के साथ ही निजी स्कूलों के प्रबंधन द्वारा अपने विद्यार्थियो से निर्धारित बस शुल्क प्राप्त करते हुए स्कूल बस की सेवा भी उपलब्ध कराई जाती है। पन्ना शहर सहित जिले के नामी विद्यालयों में विद्यालय प्रबंधन की ओर से बसों का संचालन किया जाता रहा है किन्तु स्कूल बसों के संचालन को लेकर शासन की सख्त गाइड लाइन और इसके पालन को लेकर न्यायालय के निर्णय के चलते स्कूल संचालक स्कूल बस चलाने से गुरेज करने लगे है। पन्ना शहर स्थित अशासकीय लिस्यु आनंद विद्यालय जो कि शहर का काफी पुराना प्रतिष्ठित और अशासकीय विद्यालयों में सर्वाधिक छात्र संख्या वाला विद्यालय है वर्तमान समय में इस विद्यालय की एक भी बस नहीं चल रही है। पन्ना शहर स्थित अंग्रेजी माध्यम के महर्षि विद्या मंदिर प्रबंधन द्वारा विद्यालय द्वारा चलाई जा रही तीन बसों को करीब डेढ़ साल पहले ही १५ वर्ष की गाइड लाइन के अनुक्रम में राइट ऑफ करते हुए कबाड़ में बेच दिया गया है और वर्तमान में तीन बसें ही महर्षि विद्यालय द्वारा अपने विद्यालय के विद्यार्थियो के लिए चलाई जा रही है।
पन्ना शहर के ही ऐसे कुछ और अन्य स्कूल है जिनकी बसें पूर्व में चलती थी जो कि अब बंद है जिले में स्कूलो की बसों के पंजीयन को लेकर जब आरटीओ विभाग से जानकारी जुटाई गई तो पता चला कि पूरे जिले में मात्र ६६ स्कूल बसों का ही संचालन हो रहा है। जिले के किसी भी स्कूल में एक भी ऐसी बस नहीं है जो कि १२ साल अथवा उससे अधिक पुरानी हो चुकी है। हाई कोर्ट द्वारा परिवहन विभाग को इस बात के आदेश दिए गए है कि १२ साल से अधिक पुरानी सभी स्कूल बसों को ऑफ रोड कर दिया जाये। स्कूल बसों के संचालन को लेकर शासन की कडी गाइड लाइन व न्यायालय के निर्णय के चलते स्कूल संचालन बस के संचालन से परहेज कर रहे हैं और स्कूल की ओर से बस नहीं चलने के चलते अभिभावक स्कूल वैन व आटो पर निर्भर होकर अपने बच्चों को स्कूल भेज रहे हैं। जिससे बच्चों की सुरक्षा को खतरा और अधिक बढ गया है। आटो और वेन चलाने वाले चालक अथवा संचालक बनी गाइड लाइन का पालन करना तो दूर है बल्कि स्थिति यह है कि स्कूलों के सामने ही बच्चों को सडक़ में छोड देते है और इससे दुर्घटनाओ का खतरा बना हुआ है।
संचालन में बढ़ती लागत और १२ वर्ष की सीमा से विद्याालय प्रबंधन परेशान
हाईकोर्ट के फैसले के अनुसार शिक्षण संस्थाओं में १२ साल से अधिक पुरानी बसें अब नहीं चलाई जा सकती इसके साथ ही बसों को क्रय करने की लागत लगातार बढती जा रही है। मौजूदा समय में एक बस कम से कम जिसका मूल्य २५ लाख रूपए से कम नहीं है। यह संस्थानों के लिए अधिक लागत है और विद्यालयों के लिए बस क्रय करने के लिए वित्तीय प्रबंधन कर पाना चुनौती बन गया है। बस संचालन को लेकर बसों में पैनिक बटन का लगाया जाना अनिवार्य है। पैनिक बटन प्रदाय करने वाली पार्ट एजेंसी जिले में ही नहीं है जिसकी व्यवस्था को लेकर भी विद्यालय प्रबंधन परेशान हो रहे है।
यह है स्कूल बस संचालन की गाइड लाइन
१. स्कूल बसों का रंग पीला हो, स्कूल बस भी लिखा हो।
२. स्कूल का नाम और सम्पर्क नंबर दर्ज हो।
३. एक सीट में एक ही छात्र बैठे।
४. फस्र्ट एड बाक्स एवं अग्निशमन यंत्र हो।
५. आपातकालीन खिडक़ी लगी हो, खिडकी में ग्रिल हो।
६. चालक के पास भारी वाहन चलाने का पांच वर्ष का अनुभव हो
७. छात्राओ के साथ महिला अध्यापक या सहायिका हो।
८. स्पीड गवर्नर में ४० किलोमीटर स्पीड फिक्स हो
९. स्कूल बस जीपीएस एवं सीसीटीव्ही कैमरो से लेस हो।
१०. बीएलडीटी डिवाइस और पेनिक बटन भी अनिर्वाय है।
११. परमिट, फिटनेस और पीयूसी अपडेट हो।
१२. चालक का लायसेंस और पुलिस वैरीफिकेशन हो।
१२. एलपीजी संचालित वाहन का उपयोग न हो।
इनका कहना है
बच्चों की सुरक्षा सर्वाेपरी होनी चाहिए १२ साल से अधिक पुरानी बसें नहीं चले यह हाईकोर्ट का स्वागत योग्य निर्णय है। मेरा बेटा पिछले सत्र में काफी पुरानी बस से अपने स्कूल जाता था स्कूल द्वारा पुरानी बस को बंद कर नई बस का संचालन शुरू कर दिया गया है जिससे बच्चे की सुरक्षा की चिंता समाप्त हो गई है। स्कूल बस संचालन को लेकर जो गाइड लाइन है उसका कडाई के साथ पालन हो।
सतीश पाठक, अभिभावक
स्कूल बसों के लिए जो गाइड लाइन है वह बच्चों की सुरक्षा के लिए बेहद जरूरी है परिवहन विभाग एवं यातायात विभाग को समय-समय पर स्कूल बसों को चेक कर गाइड लाइन का पालन कराना चाहिए। शासन स्कूल बसों के संचालन के लिए विद्यालय प्रबंधन को आर्थिक मदद भी करें जिससे बसों से विद्यार्थी सुरक्षित तरीके से स्कूल पहुंचे। आटो टैक्सियों और वेनों को लेकर स्थिति यह देखी जा रही है कि बच्चों को ठूंस-ठूंसकर स्कूल लाया और छोड जाता है नियमों का भी पालन नही होता।
दीपक तिवारी, अभिभावक
बेटी छोटी है स्कूल में बस नहीं चलती ऐसे में बच्ची को स्वयं ही स्कूल छोडने और लेने जाते है अनेक बार ऐसा होता है कि समय नहीं मिलता अथवा बाहर जाना पडता है जब छोटी सी बच्ची को आटो से स्कूल भेजना पडता है और जब तक बेटी वापिस नहीं आती तब तक सभी लोग चितिंत रहते है। बेहतर होता कि यदि स्कूल बस मिलती जिससे सुरक्षा का अधिक भरोसा रहता है।
वैभव थापक, अभिभावक
विद्यालय में वर्तमान में पुरानी अथवा नई कोई भी बस नहीं है भविष्य में जब भी विद्यालय द्वारा स्कूल बस चलाई जायेगी तो निश्चित रूप से न्यायालय के आदेश का पालन और सरकार की गाइड लाइन का पालन हम अनिर्वाय रूप से करेगें।
फादर डॉ. टाजो लीयोन, प्रबंधक लिस्यु आनंद विद्यालय पन्ना
निजी तौर पर जो आटो अथवा वेन चला रहे है वह बच्चों को स्कूल के बाहर छोड देते है। आटो वेन से जो बच्चे आते है उसमें उनकी सुरक्षा के नियमों का पालन नहीं हो रहा है हमारे शीर्ष प्रबंधन द्वारा शासन की गाइड लाइन का पालन करते हुए डेढ साल पहले तीन पुरानी बसें बंद करते हुए स्क्रेब करके बेच दी है। वर्तमान में विद्यालय में तीन बसों का संचालन शासन की गाइड लाइन का पालन करते हुए किया जा रहा है। स्कूल बस की गाइड लाइन कडी है जो सुरक्षा की दृष्टि से जरूरी भी है।
पी.के.दीक्षित, प्राचार्य महर्षि विद्या मंदिर पन्ना
पन्ना के किसी भी स्कूल में १२ वर्ष से अधिक पुरानी बसें संचालित नहीं हो रही है। स्कूल बसों के संचालन को लेकर हाई कोर्ट के निर्णय आदेश तथा गाइड लाइन का पालन कराया जा रहा है। बस संचालन की गाइड लाइन का पालन सुनिश्चित करने हेतु संचालित स्कूल बसों की आकस्मिक जांच की जायेगी।
सुनील शुक्ला, क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी सागर व प्रभारी आरटीओ पन्ना
Created On :   30 Jan 2025 12:57 PM IST