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Panna News: पोषण पुनर्वास केंद्र बना जीवन संजीवनी, गंभीर कुपोषण से मनीष को मिला नया जीवन
- पोषण पुनर्वास केंद्र बना जीवन संजीवनी
- गंभीर कुपोषण से मनीष को मिला नया जीवन
Panna News: जिला चिकित्सालय के पोषण पुनर्वास केंद्र ने गंभीर कुपोषण से जूझ रहे बच्चों को जीवनदान देने का काम किया है। इसी का एक प्रेरणादायक उदाहरण है डेढ़ वर्षीय मनीष आदिवासी जिसका वजन मात्र 4 किलो था और उसकी स्थिति बेहद गंभीर थी। अब मनीष पूरी तरह स्वस्थ है उसका वजन ०8 किलो से अधिक हो चुका है और वह पहले की तरह खेलकंूद रहा है। मनीष की मां जयंती आदिवासी ने बताया कि बेटे की गंभीर स्थिति के चलते उन्होंने उम्मीद छोड़ दी थी लेकिन आंगनबाड़ी कार्यकर्ता कविता यादव ने मनीष को पोषण पुनर्वास केंद्र पन्ना में भर्ती कराया। यहां कर्मचारियों की लगन और देखभाल से मनीष को इलाज और पोषक भोजन दिया गया। 14 दिनों के उपचार और पोषण के बाद मनीष का स्वास्थ्य तेजी से सुधरा। नियमित फॉलोअप और देखरेख के कारण अब मनीष पूरी तरह तंदुरुस्त है। पोषण प्रशिक्षक रश्मि त्रिपाठी ने बताया कि मनीष को जब केंद्र लाया गया तब उसकी हालत बहुत खराब थी। शरीर में हीमोग्लोबिन का स्तर केवल 1 ग्राम था। तत्काल रक्त की व्यवस्था कराई गई और पोषक आहार शुरू किया गया। केंद्र के कर्मचारी बच्चों की परिवार के सदस्य की तरह देखभाल करते हैं। मनीष का वजन अब 8 किलो से अधिक है और वह पूरी तरह स्वस्थ है।
केंद्र का प्रयास: बच्चों को स्वस्थ जीवन की ओर ले जाना
पोषण पुनर्वास केंद्र में कुपोषित बच्चों को उच्च पोषक भोजन और दवाइयों के माध्यम से स्वस्थ किया जाता है। केंद्र के नियमोंं के अनुसार बच्चों को 14 दिनों तक रखकर इलाज दिया जाता है। बच्चों के साथ रहने वाले परिजनों को 120 रुपये प्रतिदिन मजदूरी के नुकसान के रूप में दिए जाते हैं। साथ ही उन्हें साफ.-सफाई, पोषक आहार बनाने और किचन गार्डन लगाकर सब्जियां उगाने की ट्रेनिंग दी जाती है।
कई परिवारों को मिला सहारा
सिविल सर्जन डॉ. आलोक गुप्ता ने बताया कि मनीष जैसे सैकड़ों बच्चों का केंद्र में इलाज हो चुका है। यहां बच्चों को उच्च पोषक आहार और दवाइयां देकर पूरी तरह स्वस्थ किया जाता है। केंद्र की साफ.-सफाई और कर्मचारियों की लगन के कारण हर निरीक्षण में बाहरी टीम प्रशंसा करती है। मनीष के पिता मजदूरी के लिए दिल्ली गए हुए हैं और मां मजदूरी व लकडियां बेचकर परिवार चलाती हैं। इसके बावजूद पोषण पुनर्वास केंद्र के कर्मचारियों ने उनकी मदद कर मनीष को नया जीवन दिया।
समाज में आ रहे सकारात्मक बदलाव
पोषण पुनर्वास केंद्र पन्ना न केवल बच्चों को स्वस्थ कर रहा है बल्कि समाज में जागरूकता भी बढ़ा रहा है। केंद्र की ओर से दिए गए टिप्स से ग्रामीण अब बच्चों के भोजन में पोषक तत्वों को शामिल कर रहे हैं। किचन गार्डन लगाकर हरी सब्जियों का इस्तेमाल किया जा रहा है। मनीष आदिवासी की कहानी यह साबित करती है कि सही देखभाल और पोषण से कुपोषण को हराया जा सकता है। पोषण पुनर्वास केंद्र पन्ना गंभीर कुपोषण के खिलाफ लड़ाई में एक सशक्त उदाहरण बन चुका है।
Created On :   20 Jan 2025 10:53 AM IST