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Panna News: रासायनिक खाद एवं कीटनाशकों से दूषित हो रहा है पीने का पानी, लोकपाल सागर तालाब की जमीन पर अतिक्रमणकारी कर रहे खेती
- रासायनिक खाद एवं कीटनाशकों से दूषित हो रहा है पीने का पानी
- लोकपाल सागर तालाब की जमीन पर अतिक्रमणकारी कर रहे खेती
- चार साल पूर्व सीमांकन में २८ एकड़ तालाब की जमीन पर मिला था अतिक्रमणकारियों का कब्जा
Panna News: पन्ना शहर स्थित लोकपाल सागर तालाब जो कि शहर का सबसे बडा तालाब है इस तालाब के नाम पर खसरा क्रमांक २०२४ पर १४०.८ हैक्टयर खसरा क्रमांक ३०१२ पर ०.५९ हैक्टयर, खसरा क्रमांक ३१६२ पर ८.४७७ हैक्टयर तथा खसरा क्रमांक २३१/१ पर रकवा ५९.३५५ हैक्टयर तालाब की जमीन दर्ज है। पन्ना शहर स्थित लगभग सौ साल से अधिक पुराने लोकपाल सागर तालाब से वर्तमान समय में करीब आधा दर्जन गांवों को सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध होता है वहीं इस तालाब से पन्ना शहर के लोगों की प्यास बुझती है अर्थात तालाब का पानी शहरवासियो हेतु जल आपूर्ति के लिए सप्लाई होता है किन्तु पन्ना शहरवासियों को जिस तालाब से पानी मिलता है वह उस पानी में फसलो में डाली जाने वाली रासायनिक खादों तथा कीटनाशकों का रसायन भी पहुंच रहा है जो कि सेहत के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। लोकपाल सागर तालाब के शुद्ध जल में रासायनिक खादों के रसायनों की मिलावट और कीटनाशक दवाओं का हानिकारक रसायन घुलने का बडा कारण लोकपाल सागर तालाब खाली रहने वाली जमीन पर अवैध रूप से कब्जा कर खेती करने वाले माफिया है।
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वर्ष २०२० में न्यायालय के आदेश पर जिला प्रशासन द्वारा लोकपाल सागर तालाब का सीमांकन करवाया गया था जिसमें २८ एकड़ से अधिक तालाब की जमीन पर अतिक्रमणकारियों द्वारा अवैध रूप से बोई गई फसल लहलहातें हुईं पाईं गईं थीं और करीब एक दर्जन से अधिक अतिक्रमणकारियों द्वारा किए गए अतिक्रमण को चिन्हांकित करते हुए तत्कालीन तहसीलदार द्वारा फसल को जप्त किए जाने की कार्यवाही की गई थी। तहसीलदार द्वारा अतिक्रमणकारियों द्वारा २८ एकड़ में बोई गई फसल को जप्त करते हुए जल संसाधन विभाग को सौंपे जाने की कार्यवाही करते हुए तालाब की जमीन पूरी तरह से अतिक्रमण मुक्त किए जाने की जानकारी दी गई थी किन्तु इसके बाद जिस जमीन को राजस्व अधिकारियों द्वारा अतिक्रमण से मुक्त किए जाने का दावा किया गया था उस तालाब की जमीन पर पुन: अतिक्रमणकारी काबिज न हो इसके लिए अतिक्रमण की जाने वाली जमीन को सुरक्षित किए जाने को लेकर न तो राजस्व विभाग द्वारा कोई प्रबंधन किए और न ही जल संसाधन विभाग जिसके आधिपत्य में लोकपाल सागर तालाब है उसके द्वारा अतिक्रमणकारियों से तालाब की जमीन को बचाने के लिए कोई प्रबंध नही किए गए जिसका परिणाम यह हुआ है कि जिस तालाब की भूमि पर अवैध रूप से कब्जा कर अतिक्रमणकारी खेती रहे थे उनके द्वारा चालाकी से फिर से धीरे से उस पर कब्जा कर लिया और दोनों रबी तथा खरीफ की सीजन में अतिक्रमणकारी खुलेआम लोकपाल सागर की जमीन में खेती कर रहे है इतना ही नही लोकपाल सागर तालाब का पानी भी मोटर पम्पों के जरिये अवैध रूप से बोई गई फसल व खेत की सिंचाई के लिए कर रहे है जिन्हें भी रोकने की हिम्मत जल संसाधन विभाग की नहीं हैं।
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स्थानीय क्षेत्र के वासी दबंग अतिक्रमणकारियों की शिकायत करने पर अपने आप को असुरक्षित पा रहे है और अतिक्रमणकारियों द्वारा खासकर तालाब के ऊपर क्षेत्र में की जाने वाली खेती के दौरान फसलो में जो कीटनाशक तथा रासायनिक खादें डाली जाती है उनके रसायन बहकर तालाब के पानी को दूषित करते हुए हानिकारक बना रहे है जानकारों का कहना है कि फसलो में जिन कीटनाशकों तथा रासायनिक खादों का प्रयोग किया जाता है उनके रासायन इतने घातक होते है कि यदि यह पानी में घुल जाये तो उपयोग किए जाने वाले पानी से लोगों को घातक बीमारियां भी हो सकती है। इस तरह एक ओर जहंा अतिक्रमणकारी शहर के सबसे बडे तालाब की जमीन में खेती करके फसलो के कीटनाशक तथा फसलों के रसायन के रूप में तालाब के पानी को जहरीला बनाने का काम कर रहे है उस पर ठोस कार्यवाही को लेकर जिम्मेदार प्रशासन कई सालो से चुपचाप बैठा हुआ है।
प्रकरणों में अतिक्रमणकारी जुर्माना भरकर बच निकलते हैं
लोकपाल सागर तालाब की जमीन को अतिक्रमणकारियों से मुक्त कराने को लेकर एक बार नहीं बल्कि अनेक बार मामले को प्रमुखता से मीडिया द्वारा उठाये जाने के बाद राजस्व प्रशासन द्वारा जांच कार्यवाही की गई है। जिसमें अतिक्रमणकारियों पर अवैध कब्जे के प्रकरण भी दर्ज किए गए है किन्तु अतिक्रमणकारियों के लिए अवैध कब्जा उनके कब्जे की वैधता का रूप बन गया है राजस्व न्यायालय में प्रकरणों पर सांठगाँठ करते हुए मामूली जुर्माना भरने के बाद अतिक्रमणकारी अपना कब्जा पुन: जमा लेते है इसकी वजह यह है कि प्रशासन की कार्यवाही भी अतिक्रमणकारियों से तालाब की जमीन को मुक्त करने को लेकर दिखावे तक सीमित होती है और बाद में राजनैतिक तथा अन्य तरह के दबावो एवं प्रलोभनों का इस्तेमाल करके अतिक्रमणकारी न केवल अपने आप को बडी कार्यवाही से बचा लेते है अपितु अपना अवैध कब्जा कई सालो से बाराबर कायम करते हुए हर साल लाखो रूपए की फसल उगा रहे हैं।
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अतिक्रमणकारियों से तालाब की जमीन को सुरक्षित करने के लिए स्थाई प्रबंध करने होगें
लोकपाल सागर तालाब जिस भूमि में अवैध रूप से अतिक्रमण कर माफिया खेती कर रहे है उस पर अतिक्रमणकारियों को समय-समय पर बेदखल किए जाने की कार्यवाही कागजी होती रही है। वर्ष २०२० की गई कार्यवाही में तो २८ एकड़ के रकवे में बोई गई फसल भी जप्त की गई थी इसके बाद जमीन को सुरक्षित करने के लिए व्यवस्था बनाये जाने की जरूरत थी परंतु यह काम नहीं किया गया जिसके चलते अतिक्रमणकारी आसानी से फिर उसी जमीन पर काबिज होकर खेती करने लगे। इस तरह की स्थिति निर्मित न हो इसके लिए स्थाई प्रबंध करने की जरूरत है। लोगों का कहना है कि वर्तमान समय में रेलवे विभाग द्वारा रेलवे लाइन से संंबंधित कार्य करवाया जा रहा है जिसके लिए लगने वाली मिट्टी के लिए लोकपाल सागर तालाब से मिट्टी निकाली जा रही है किन्तु तालाब की मिट्टी वहां से निकाली जा रही जहां पर खुदाई की आवश्यकता नहीं हैं प्रशासन को चाहिए कि अतिक्रमणकारियों द्वारा लोकपाल सागर तालाब पर जिस भूमि पर अतिक्रमण करके खेती की जाती है वहां पर वह अतिक्रमण कर खेती न कर सके उसके लिए उसी की जमीन की खुदाई कर रेलवे ठेकेदार मिट्टी ले ऐसा सुनिश्चित प्रशासन को कराना चाहिए इसके पूर्व अतिक्रमण वर्ष २०२० में जो २८ एकड की जमीन में खेती करने अतिक्रण चिहिन्त हुआ था उसकी वर्तमान स्थिति के बाद उसके बाद नवीन अतिक्रमण का चिहान्कंन सीमांकन करवाकर करवाया जाना आवश्यक है और यह कार्य त्वरित रूप से करते हुए तालाब की जमीन पर अवैध अतिक्रमण को पूरी तरह से खत्म किया जाना जरूरी है।
इनका कहना है
तालाब की जमीन में अवैध रूप से अतिक्रमण कर अतिक्रमणकारियों द्वारा खेती किए जाने का मामला संज्ञान में है जिसकी जांच के लिए पटवारी को भेजा जायेगा तथा धारा २४८ के तहत अतिक्रमणकार्ताओं को नोटिस जारी किया जायेगा तथा जो लोग बार-बार कार्यवाही के बाद भी अतिक्रमण कर रहे है ऐसे लोगों के विरूद्ध प्रकरण दर्ज करते हुए सिविल जेल की कार्यवाही की जायेगी। तालाब की जमीन पर अतिक्र मण कर खेती न हो इसके लिए सभी जरूरी कार्यवाही की जायेगी वह स्वयं जाकर इसका निरीक्षण किया जायेगा। जो लोग पम्प इत्यादि से तालाब का पानी ले रहे हैं उसे जप्त किया जायेगा।
अखिलेश प्रजापति, तहसीलदार पन्ना
Created On :   4 Nov 2024 8:20 AM GMT