पन्ना: बरसात में भसूड़ा ग्राम पंचायत के गेरूआ गांव के लिए वाहनो की आवाजाही हुई बंद

बरसात में भसूड़ा ग्राम पंचायत के गेरूआ गांव के लिए वाहनो की आवाजाही हुई बंद
  • बरसात में भसूड़ा ग्राम पंचायत के गेरूआ गांव के लिए वाहनो की आवाजाही हुई बंद
  • सडक़ नहीे बनने से दो किलोमीटर दूर तक कीचड़
  • रास्ते से आने-जाने के लिए मजबूर है ग्रामीण

डिजिटल डेस्क, पहाडीखेरा नि.प्र.। सरकार द्वारा प्रत्येक गांव को प्रधानमंत्री ग्रामीण सडक़ योजना के माध्यम से पक्की सडक़ से जोडने के लिए पिछले कई सालों से अभियान चलाया जा रहा है किन्तु इसके बावजूद अभी भी जिले में ऐसे कई गांव है जिनका पक्की सडक़ से जुड जाना तो दूर की बात है आवाजाही के लिए सालों साल गुजर जाने के बाद भी कच्ची सडक़ भी नहीं बन पाई है और इसके चलते गांव में रहने वाले लोग कीचड़ युक्त दलदली रास्ते पर पैदल चलने के लिए मजबूर है और इन हालातों के चलते जब गांव में कोई अधिक बीमार हो जाता है तो मुख्य सडक़ तक न तो दो पहिया वाहनों से ले जाया जा सकता है और न ही चार पहिया वाहन से और इसके चलते असमय बीमार व्यक्तियो की उपचार के अभाव में मौत हो जाती है। कुछ इसी तरह का सामना पहाडीखेरा क्षेत्रांचल स्थित भसूडा ग्राम पंचायत के गेरूआ गांव की है। पंचायत के गेरूआ गांव स्थित पंचायत के ही हीरापुर गांव से लगभग दो किलोमीटर दूर है। गेरूआ गांव तक जाने का रास्ता हीरापुर गांव के साथ ही समाप्त हो जाता है और हीरापुर से करीब दो किलोमीटर दूर तक लोगों की आवाजाही से स्वत: ढर्रे के रूप में बनी सडक़ से हो रहा है। गर्मियों व सर्दियों में तो ढर्रा का रास्ता सूखा होने की वजह से गेरूआ गांव तक किसी तरह से दो पहिया व चार पहिया वाहन पहुंच जाते है परंतु जैसे ही बारिश की शुरूआत होती है गेरूआ तक पहुंचने वाला ढर्रे का कच्चे मार्ग कीचड़ और दलदल में तब्दील हो जाता है जो कि इस बार बरसात होने के साथ ही हो चुका है और मार्ग के कीचड़ तथा दलदल में बदल जाने की वजह से गांव तक न तो दो पहिया वाहन पहुंच पा रहे और न ही चार पहिया वाहन। काफी मशक्कत के बाद फिर ट्रैक्टर ही आ जा पा रहे है और वह भी तब बंद हो जाते है मार्ग स्थित नाले में पानी उफान आ जाता है और इस स्थिति में गांव का सम्पर्क पूरी तरह से टूट जाता है। गांव तक पहुंच मार्ग की स्थिति के चलते कक्षा ८वीं के बाद कई बच्चे जो कि किराये का घर लेकर आगे की पढ़ाई करने में समर्थ नहीं हैं अपनी पढ़ाई छोडऩे के लिए मजबूर है वाहन नहंीं पहुंचने से प्रसूता महिलाओ तथा बीमार व्यक्तियों को बडी परेशानी का सामना करना पड रहा है। स्थानीय ग्रामवासियों का कहना है कि सडक़ व नाले में पुल बनवाने के लिए वह कई बार अधिकारियों व नेताओं तक अपनी बात पहुंचा चुके है परंतु कई कोई सुनवाई नहीं हो रही है। पंचायत की स्थिति यह है कि चलने लायक कच्ची सडक़ तक नही बनवा पा रही है।

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रास्ते में पडने वाला नाला भी बना परेशानी का कारण

हीरापुर से लगभग डेढ़ किलोमीटर एवं गेरूआ से आधा किलोमीटर पहले नाला निकला हुआ है बरसात होने के साथ ही नाला में पानी आने के साथ ही नाला चलने लगता है जिससे गुजरकर आनेजाने के लिए पुल-पुलिया का निर्माण नहीं किया गया है ऐसे में गांव तक पहुंचने के लिए लोग नाले को जोखिम उठाते हुए पार करते है और इसके लिए वह भींगने से बचने के लिए पतलून उतारकर नाले के उस पार जाना पड़ता है। गेरूआ से हीरापुर और पहाडीखेरा मुख्य मार्ग तक पहुंचने के दौरान गांव के ग्रामीणों और जो इस गांव तक आवाजाही करते है गुजरना पड रहा है। मार्ग की हालात खराब होने की वजह से गांव में प्राथमिक शाला तक पदस्थ शिक्षकों को बरसात के दौरान पहुंचना भी किसी बडी चुनौती से कम नही है और इसके चलते गांव के बच्चे की शिक्षण व्यवस्था भी बरसात के दौरान बुरी तरह से प्रभावित रहती है।

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एक हजार से भी अधिक आबादी वाला गांव है गेरूआ

पहाडीखेरा क्षेत्रांचल स्थित गेरूआ गांव में करीब २०० से भी अधिक घर है और गांव की आबादी १००० से अधिक होना बताया जा रहा है किन्तु इसके बावजूद इतनी बडी आबादी आवागमन के लिए पक्की सडक़ की सुविधा से दो किलोमीटर दूर है और लोग वर्षाे गुजर जाने के बाद जोखिम भरे रास्ते से परेशानियों का सामना करने के लिए आवाजाही करने के लिए मजबूर है दिन में जद्दोजहद करके किसी तरह लोग आनाजाना कर लेते है परंतु रात जब घनी हो जाती है तो अंधेरे के साथ कीचड व दलदल वाले रास्ते से लोग किसी तरह से गांव पहुंचते होगे इसकी कल्पना की जा सकती है।

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Created On :   14 July 2024 7:35 AM GMT

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