स्नातक छात्र खुद को कैसे मतदाता के रुप में पंजीकृत करे यह तय करने का अधिकार विश्वविद्यालय के पास

University right to decide how graduate students should register themselves as voters - High Court
 स्नातक छात्र खुद को कैसे मतदाता के रुप में पंजीकृत करे यह तय करने का अधिकार विश्वविद्यालय के पास
हाईकोर्ट  स्नातक छात्र खुद को कैसे मतदाता के रुप में पंजीकृत करे यह तय करने का अधिकार विश्वविद्यालय के पास

ऑनलाइन पंजीयन की सुविधा कोर्ट ने माना अधिक सुविधाजनक
नागपुर व अहमदनगर के विश्वविद्यालय में भी ऑनलाइन पंजीयन

डिजिटल डेस्क, मुंबई। बांबे हाईकोर्ट ने अपने एक आदेश में कहा है कि विश्वविद्यालय के पास यह तय करने का अधिकार है कि स्नातक छात्र  खुद को कैसे मतदाता के रुप में पंजीकृत करे। हाईकोर्ट ने माना कि मोबाइल फोन सहित उपलब्ध नवीनतम तकनीक की मदद से स्नातक छात्र देश के किसी भी कोने से कुशलतापूर्वक  मतदाता के रुप में अपना पंजीयन कर सकते है। मामला मुंबई विश्वविद्यालय के सिनेट के सदस्य के चुनाव से जुड़ा है। विश्वविद्यालय ने स्नाकतक छात्रों को मतदाता के रुप में पंजीयन के लिए सिर्फ ऑनलाइन तारीके का विकल्प दिया था। विश्वविद्यालय की ओर से इस संबंध में जारी अधिसूचना व परिपत्र के खिलाफ 6 छात्रों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका में मांग की गई थी कि स्नातक छात्रों को मतदाता के रुप में पंजीयन के लिए ऑफलाईन (प्रत्यक्ष रुप) की  भी सुविधा प्रदान की जाए। 

न्यायमूर्ति आरडी धानुका व न्यायमूर्ति मिलिंद साठे की खंडपीठ के सामने छात्रों की याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान मुंबई  विश्वविद्यालय की ओर से पैरवी कर रहे वकील आशुतोष कुलकर्णी ने कहा कि अब तक 83 हजार से अधिक स्नातक छात्र ऑनलाइन पंजीयन कर चुके है। 67 हजार छात्रों ने शुल्क का भी भुगतान कर दिया है। राज्य के नागपुर,अहमदनगर,नांदेड़ व कोल्हापुर सहित अन्य विश्वविद्यालयों में पंजीयन के लिए छात्रों को सिर्फ पंजीयन के लिए ऑनलाइन विकल्प दिया गया है। विश्वविद्यालय ने छात्रों को पंजीयन के लिए  उनके परिसर के निकट सुविधा उपलब्ध कराई है। हालांकि छात्रों की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता मिहीर देसाई ने कहा कि दूरदराज के इलाके में रहनेवाले विद्यार्थियों के लिए ऑनलाइन तरीका विद्यार्थियों के लिए सुविधाजनक नहीं है। किंतु खंडपीठ ने इससे असहमहित जाहिर करते हुए कहा कि महाराष्ट्र पबल्कि युनिवर्सिटी अधिनियम में पंजीयन के तरीके का उल्लेख नहीं है। लेकिन विश्वविद्यालय के पास पंजीयन के तरीको को तय करने का अधिकार है। इस तरह खंडपीठ ने छात्रों की ओर से दायर याचिका को खारिज कर दिया और विश्वविद्यालय को पंजीयन की तारीख 31 जनवरी 2022 तक के लिए बढाने का निर्देश दिया। 

Created On :   22 Dec 2022 10:29 PM IST

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