यवतमाल के और दो किसानों ने की खुदकुशी

Two more farmers from Yavatmal committed suicide
यवतमाल के और दो किसानों ने की खुदकुशी
फसल चौपट यवतमाल के और दो किसानों ने की खुदकुशी

डिजिटल डेस्क, रालेगांव/आर्णी। किसान आत्महत्याओं का दौर रुकने का नाम नहीं ले रहा है। इस मूसलाधार बारिश के कारण फसलें चौपट होने और कर्ज के बढ़ते बोझ के कारण यवतमाल जिले के दो और किसानों ने खुदकुशी कर ली। नए मामले जिले के रालेगांवव और आर्णी में सामने आए। मृतक किसानों के नाम रालेगांव के ओम नगर निवासी मधुकर चौधरी और आर्णी के मालेगांव निवासी प्रेम पवार हैं। जानकारी के अनुसार इस बार बारिश के मौसम में मूसलाधार बारिश से आयी बाढ़ के कारण फसल चौपट हो गई। मुआवजा अब तक मिला नहीं। इससे फसल के लिए लिया गया कर्ज चुकाने और परिवार के लालन-पालन को लेकर चिंतित इन दोनों किसानों ने आत्महत्या कर ली। पहली घटना रालेगांव शहर की बताई जा रही है। रालेगांव के ओम नगर निवासी किसान मधुकर मुकिंदा चौधरी (45) ने रविवार 16 अक्टूबर की देर रात जहर गटक कर खुदकुशी कर ली।  मधुकर की तहसील के ग्राम सरई परिसर में खेती है। बाढ़ के चलते उनकी पूरी फसल डूब गई थी। चर्चा है कि आर्थिक रूप से परेशान होकर मधुकर ने यह कदम उठाया। मधुकर अपने पीछे पत्नी, बेटा और बेटी छोड़ गया है। एक अन्य घटना आर्णी तहसील के मालेगांव में सोमवार देर रात को सामने आई।  मालेगांव निवासी प्रेम धनु पवार ने ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। प्रेम पवार के पास  4 एकड़़ खेती है। इसी के साथ उस पर जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक शाखा सावली-सदोबा का करीब 2 लाख रुपए का कर्ज है। इस वर्ष अतिवृष्टि के चलते प्रेम पवार की खेती बर्बाद हो गई थी। इधर उसे बैंक से लिया गया कर्ज लौटाने और परिवार का खर्चा चलाने की चिंता खाए जा रही थी। इसी के कारण यह कदम उठाए जाने की चर्चा है।  वह अपने पीछे  पत्नी, 2 बेटे, एक बेटी समेत भरापूरा परिवार छोड़ गए हैं। मालेगांव के पुलिस पटेल कांबले ने घटना की जानकारी मंगलवार को स्थानीय पुलिस थाने को दी। आर्णी पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है।

इस वर्ष जिले के 248 किसान कर चुके हैं आत्महत्या

इस वर्ष ज्यादा बारिश होने से जिले के अनेक किसानों के खेतों की फसलें बर्बाद हो गई है। इस कारण जिले में इस वर्ष की शुरुआत यानी जनवरी 2022 से लेकर अब तक कुल 248 किसान आत्महत्या कर चुके हैं। इनमें से अनेक किसानों पर बैंक और साहूकारों का कर्जा था। जबकि विदर्भ में अब तक 1069 किसान अपनी इहलीला खत्म कर चुके हैं। इन मामलों को किसान नेता किशोर तिवारी ने प्रमुखता के साथ उठाया था। इसके बावजूद किसान आत्महत्या के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। पिछले कई वर्षों का रिकॉर्ड खंगाला जाए तो सबसे ज्यादा आत्महत्याएं विदर्भ के वर्धा और यवतमाल जिले में ही हुईं हैं। इस संबंध में कोई ठोस उपाययोजना करने की मांग की जा रही है।  

Created On :   19 Oct 2022 7:39 PM IST

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