आश्रम स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की सुरक्षा को लेकर सरकार ने क्या कदम उठाए- हाईकोर्ट

Steps take to protect the children studying in ashram schools
आश्रम स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की सुरक्षा को लेकर सरकार ने क्या कदम उठाए- हाईकोर्ट
आश्रम स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की सुरक्षा को लेकर सरकार ने क्या कदम उठाए- हाईकोर्ट

डिजिटल डेस्क,मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा है कि आदिवासी इलाकों में स्थित आश्रम स्कूलों में बुनियादि सुविधाएं व रिक्त पदों को भरने के लिए राज्य सरकार बजट में अलग से प्रवाधान करे। राज्य भर में सरकार के नियंत्रण में 506 आश्रम स्कूल है जो महाराष्ट्र के नाशिक,अमरावती,नागपुर व ठाणे जिले में स्थित है। आश्रमस्कूलों की कमियों व खामियों को लेकर टाटा इंस्टीट्यूट आफ सोशल साइंस(टिस) ने हाईकोर्ट में एक रिपोर्ट सौपी है। जिसमें दर्शाया गया है कि आश्रम स्कूलों में शौचालय,पीने के पानी, प्रकाश की व्यवस्था व बुनियादी मेडिकल सुविधाओं का अभाव है। इसके साथ ही आश्रम स्कूलों में फिमेल वार्डन (महिला संरक्षक) के पद भी रिक्त है। 

न्यायमूर्ति एससी धर्माधिकारी व न्यायमूर्ति गौतम पटेल की खंडपीठ ने कहा कि राज्य का वित्त विभाग की रिपोर्ट में दर्शायी गई कमियों व खामियों पर गौर करे। खंडपीठ ने कहा कि आश्रम स्कूलों के ढांचे व वहां पर पढ़नेवाले बच्चों की सुरक्षा का आडिट किए जाने की जरुरत है। इस बीच खंडपीठ ने मामले को लेकर आदिवासी विभाग की सचिव मनीषा वर्मा की ओर से आठ अगस्त 2017 को दायर हलफनामे पर गौर करने के बाद पाया कि राज्य भर में 506 आश्रम स्कूल है जो सरकार के नियंत्रण में है। खंडपीठ ने पाया कि नाशिक इलाके में 221 आश्रम स्कूल है। यहां पर अब तक 81 फिमेल वार्डन की नियुक्ति की गई है। जबकि 113 की नियुक्ति प्रक्रिया जारी है। इस लिहाज से नाशिक में महिला संरक्षक के 27 पद रिक्त है।

खंडपीठ को बताया गया कि आश्रम स्कूलों के लिए जरुरी बुनियादी सुविधाएं व संसाधन उपलब्ध कराने के लिए निर्देश जारी किए गए हैं। इस बीच याचिकाकर्ता के वकील उदय वारुंजेकर ने खंडपीठ को बताया गया कि पुणे की एक आश्रम स्कूल में शौचालय का अभाव है। जिससे वहां पर पढ़नेवाली लड़कियों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। सचिव व अन्य सरकारी अधिकारी की ओर से दायर किए गए हलफनामे से असंतुष्ट खंडपीठ ने याचिकाकर्ता के वकील को टिस की रिपोर्ट का अध्ययन करके अगली सुनवाई के दौरान जरुरी सुझाव देने को कहा जबकि सरकार को आश्रम स्कूलों में पढ़नेवाले बच्चों की सुरक्षा  व अन्य मुद्दों को लेकर उठाए गए कदमों की जानकारी हलफनामे में देने का निर्देश दिया। खंडपीठ ने कहा कि सरकार आश्रम स्कूलों के लिए बजट में अलग से प्रावधान करे ताकि यहां पर रिक्त पदों को भरा जा सके। खंडपीठ ने फिलहाल मामले की सुनवाई 11 अक्टूबर तक के लिए स्थगित कर दी है।  

Created On :   19 Sept 2019 7:04 PM IST

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