गरीब परिवारों को अस्पताल से घर तक शव ले जाने करनी पड़ती है मशक्कत

Poor families have to carry the dead body from hospital to home
गरीब परिवारों को अस्पताल से घर तक शव ले जाने करनी पड़ती है मशक्कत
अनूपपुर, उमरिया में शव वाहन को लेकर बेहतर व्यवस्था गरीब परिवारों को अस्पताल से घर तक शव ले जाने करनी पड़ती है मशक्कत

डिजिटल डेस्क,शहडोल। एक सांसद और शहडोल जिले के तीन विधायकों वाले शहडोल संभाग में शव वाहन की सुविधा को लेकर तीनों जिलों की कहानी अलग है। अनूपपुर व उमरिया जिला अस्पताल में रोगी कल्याण समिति की मदद से शव को सम्मान के साथ शव वाहन से गांव तक पहुंचाने की सुविधा है। ऐसी सुविधा संभागीय मुख्यालय शहडोल के जिला अस्पताल में नहीं है। यहां रोगी कल्याण समिति एंबुलेंस में घायल मरीज को शहर से बाहर ले जाने में तो मदद करती है, लेकिन शव वाहन के मामले में हाथ खींच लेती है। इसका खामियाजा गरीब परिवारों को भुगतना पड़ता है। जरुरत पडऩे पर शव वाहन के लिए मशक्कत करनी पड़ती है, या फिर अपने साधन जैसे दोपहिया व साइकल से घर तक शव ले जाने विवश होते हैं। इस बीच शहडोल मेडिकल कॉलेज में अनूपपुर जिले के गोडारु गांव के जयमति यादव (65) की 30 जुलाई की रात को मौत के बाद 31 जुलाई की सुबह बेटे को मां का शव दोपहिया से घर तक ले जाने और बवाल मचने पर मेडिकल कॉलेज प्रबंधन ने शव वाहन के लिए नंबर जारी किया। जानकर ताज्जुब होगा कि मेडिकल कॉलेज प्रबंधन ने शव वाहन के लिए नगर पालिका शहडोल के जिस कर्मचारी का नंबर जारी किया है, उनका दो टूक कहना है कि यह सुविधा शहर के लिए है। ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि शव वाहन के लिए परेशानी गांव तक जाने के लिए है, ऐसे में शहर तक की सुविधा से जरुरतमंदों की परेशानी कैसे कम होगी।

शहडोल संभाग में एक सांसद जिले में तीन विधायक फिर भी समस्या

भाजपा सांसद हिमाद्री ङ्क्षसह और विधायक जयसिंह मराबी, मनीषा सिंह और शरद कोल के जिले में शव वाहन नहीं मिलने से परेशानी का मुद्दा प्रदेशव्यापी हो गया है। इस पूरे मामले को लेकर एक दिन पहले मानव अधिकार आयोग ने संबंधितों से जवाब मांगा है। इस बीच बड़ी बात यह निकलकर आई है कि शहडोल में शव वाहन चलाने के लिए अस्पताल में प्रावधान नहीं होने के कारण भी दिक्कतें आ रही है। यहां जो वाहन चल रहे हैं उनके ज्यादातर समाजसेवियों के हैं।

अनूपपुर, उमरिया, शहडोल में यह है स्थिति

>> अनूपपुर जिला अस्पताल में तीन शव वाहन हैं। इनके ड्राइवर का वेतन रोगी कल्याण समिति और वाहन का डीजल व मरम्मत रेड क्रास से होता है। 
>> उमरिया जिला अस्पताल में प्रबंधन ही शव वाहन चलवाती है। पाली और नौरोजाबाद अस्पताल में भी सुविधा है। 
>> शहडोल में शहर के लिए नगर पालिका, 20 से 25 किलोमीटर तक के लिए समाजसेवी यह सुविधा उपलब्ध करवा रहे हैं, यहां दूर गांव जाने पर समस्या। 

शव वाहन चाहिए तो हम देने तैयार, प्रावधान के लिए स्वास्थ्य मंत्री से करेंगे बात:
- शहडोल में शव वाहन नहीं मिलने से परेशानी की जानकारी मिली है। अस्पताल में शव वाहन नहीं है तो हम फौरन देने को तैयार हैं। अस्पताल में अगर चलाने के लिए प्रावधान नहीं है तो स्वास्थ्य मंत्री से बात करेंगे।  
-हिमाद्री सिंह सांसद शहडोल

- हमने कलेक्टर से बात की है। किसी की मौत के बाद उसे शव वाहन के लिए भटकना नहीं पड़े, ऐसे व्यवस्था जल्द सुनिश्चित करवाएंगे। 
-जयसिंह मरावी विधायक 

-शव वाहन के लिए चर्चा करते हैं। दूर गांव तक जाने के लिए समाजसेवियों के वाहन है। नगर पालिका का भी वाहन है। किसी को भी जरुरत है तो हमे बताएं, हम व्यवस्था करवाएंगे। 
-वंदना वैद्य कलेक्टर
 

Created On :   3 Aug 2022 5:57 PM IST

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