पुराने ग्राहकों का लोन हो सकता है 1 प्रतिशत तक कम, ब्याज दर को रेपो रेट से जोड़ने से फायदा

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पुराने ग्राहकों का लोन हो सकता है 1 प्रतिशत तक कम, ब्याज दर को रेपो रेट से जोड़ने से फायदा

डिजिटल डेस्क, नागपुर।  भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की सख्ती के बाद ज्यादातर बैंकों ने ब्याज दर को रेपो रेट से जोड़ दिया है। इसका फायदा नये लोन लेने वाले ग्राहकों के साथ पुराने ग्राहकों को भी मिलेगा। इसके चलते पुराने ग्राहकों को ब्याज दरों में एक फीसदी तक कटौती का लाभ मिलने की उम्मीद है। काबिले गौर है कि, ब्याज दर रेपो रेट आधारित होने से हाउसिंग लोन की ब्याज दर आठ फीसदी के आस-पास आ गई है। वहीं, कार लोन के लिए भी नौ फीसदी के आस-पास ही ब्याज देना पड़ेगा। बैंक अधिकारियों के मुताबिक ब्याज दर को रेपो रेट से जोड़ने से सभी लोन की ब्याज दर में कमी आई है। एमसीएलआर आधारित ब्याज दर से रेपो रेट आधारित ब्याज दर में स्विच करने वाले ग्राहकों को भी ब्याज दरों में राहत मिलेगी। रिजर्व बैंक का निर्देश है- रेपो रेट जैसे बाहरी बेंचमार्क के तहत ब्याज दरों में 3 महीने में कम से कम एक बार बदलाव करें बैंक।

बेंचमार्क रेट आधारित
पहले बैंक फंड जुटाने की लागत व अन्य खर्च को जोड़कर कर्ज के लिए बेंचमार्क रेट तय करते थे। हर बैंक की अपनी बेंचमार्क रेट होती थी। बैंक लोन की ब्याज दर को बेंचमार्क रेट के हिसाब से तय करते थे, लेकिन बैंकों की बेंचमार्क रेट अलग-अलग होने से कर्ज की ब्याज दर में काफी अंतर हो जाता था। बेंचमार्क रेट तय करने का तरीका ज्यादा पारदर्शी नहीं था। बैंकों में कई पुराने लोन की ब्याज दरें आज भी बेंचमार्क रेट से जुड़ी हैं।

एमसीएलआर आधारित
बैंकों की ब्याज दरों में अंतर कम करने तथा इनको पारदर्शी बनाने के लिए मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड बेस्ड लेंडिंग रेट यानी एमसीएलआर आधारित ब्याज दरें लागू की गई थीं। एमसीएलआर आधारित ब्याज दर एक से तीन साल के लिए तय होती है। तय अवधि के बाद ब्याज दर को संशोधित कराया जा सकता है, लेकिन एमसीएलआर आधारित ब्याज दर पर लोन लेने वाले ग्राहकों को रिजर्व बैंक की ओर से रेपो रेट में कमी का पूरा लाभ पूरा नहीं मिल पा रहा है।

रेपो रेट से लिंक
रिजर्व बैंक की ओर से वाणिज्यिक बैंकों को जिस ब्याज दर पर कर्ज दिया जाता है, उसको रेपो रेट कहा जाता है। रिजर्व बैंक हर दो माह में रेपो रेट की समीक्षा और महंगाई दर के हिसाब से इसमें कमी व बढ़ोतरी करता है। रिजर्व बैंक ने सभी बैंकों को एक अक्टूबर से ब्याज दरों को रेपो रेट से लिंक करने का निर्देश दिया है। इससे ब्याज दरें ज्यादा पारदर्शी हो गई हैं। यानी रेपो रेट में कमी पर ब्याज दर उसी अनुपात में कम या बढ़ने पर उसी अनुपात में बढ़ेगी।

क्योंकि फायदा होगा
रिजर्व बैंक वर्ष 2019 के दौरान रेपो रेट में 1.10 फीसदी की कटौती कर चुका है। अभी रेपो रेट 5.40 फीसदी है। इसके मद्देनजर लोन की ब्याज दर को रेपो रेट से लिंक करने से पुराने हाउसिंग लोन की ब्याज दर में एक फीसदी तक की कमी संभव होगी। एसबीआई के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि, लोन की ब्याज दर को रेपो रेट से लिंक कराने के लिए 5,000 रुपए शुल्क व 18 फीसदी जीएसटी लगेगा।

पीएनबी में लोन की ब्याज दर को रेपो रेट से लिंक करने के लिए पुराने ग्राहकों को अनुबंध को संशोधित करने के लिए 500 रुपए का स्टाम्प देना होगा। बकाया कर्ज पर 0.50 फीसदी शुल्क देना होगा। शहर के वरिष्ठ सीए और नागपुर चेंबर ऑफ कॉमर्स के पूर्व अध्यक्ष कैलाश जोगानी ने बताया कि, बैंक के रेट अलग होते हैं और रेपो रेट अलग होते हैं। क्रेडिट पॉलिसी के तहत रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया रेपो रेट कम कर देता है। इसका फायदा ग्राहकों को नहीं मिल पाता था, लेकिन अब लोन की ब्याज दर को रेपो रेट से लिंक कराने से फायदा सीधे लोगों को मिलने लगेगा। नागपुर चेंबर ऑफर कॉमर्स कई वर्षों से इस मांग को उठाता रहा है।  
 

Created On :   15 Nov 2019 7:39 AM GMT

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