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Nagpur News: ट्री मैन 80 वर्षीय बाबा देशपांडे : 1973 से ग्रीन मिशन में जुटे

- पेड़ लगाना दो मिनट का काम, लेकिन उसे जिंदा रखना पड़ता है, तब कहीं लोग छांव में लेते हैं चैन की सांस
- बंजर जमीन में पहला पौधा लगाते हुए शुरू हुआ उनका सफर आज हजारों पेड़ों की हरियाली में बदला
Nagpur News रामनगर निवासी 80 वर्षीय ऋतुध्वज देशपांडे, जिन्हें सभी प्यार से ‘बाबा देशपांडे’ कहते हैं, पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में एक मिसाल बन चुके हैं। वर्ष 1973 में गोकुलपेठ क्षेत्र की बंजर जमीन में पहला पौधा लगाते हुए शुरू हुआ उनका सफर आज हजारों पेड़ों की हरियाली में बदल चुका है। उस समय लोगों ने उन्हें ‘पागल’ कहा, लेकिन आज वही लोग उनके लगाए पेड़ों की छांव में चैन की सांस लेते हैं। आज वहां सड़क पर सब्जी-भाजी की दुकान लगाने वाले, राहगीरों को पेड़ की छांव मिलती है। आज -"अर्थ डे है और हर साल प्रदूषण और डिफॉरेस्टेशन से लोगों को जागरूक करने के लिए 22 अप्रैल को यह दिन मनाया जाता है। इस उपलक्ष्य में जाने नागपुर के 'ट्री मैन' के बारे में जो पिछले 1973 से -"ग्रीन मिशन' पर हैं।
लोगों को ‘ट्री गार्डियन’ योजना से जोड़ा : देशपांडे ने समझा कि पेड़ लगाना आसान है, लेकिन उनकी रक्षा करना चुनौतीपूर्ण। उन्होंने ‘ट्री गार्डियन’ योजना का सुझाव दिया, जिसे पूर्व महापौर प्रवीण दटके ने अपनाया और आज भी यह योजना 25-30 क्षेत्रों में सक्रिय है। उस समय के मनपा अधिकारी और अन्य प्रतिष्ठित लोगों ने उन्हें पुराने ट्री गार्ड्स उपलब्ध कराए, जिन्हें देशपांडे ने अपने वर्कशॉप में सुधार कर पुनः उपयोग में लाया।
प्रकृति प्रेम के साथ बहुआयामी व्यक्तित्व : देशपांडे केवल पर्यावरण प्रेमी नहीं बल्कि वन्यजीवों के संरक्षक भी हैं। 90 के दशक में उन्होंने अवैध पक्षी और सांप व्यापार के विरुद्ध वन विभाग के साथ मिलकर कई छापे मारे। उन्होंने नागपुर में देश की पहली अंतरराष्ट्रीय मानकों की स्केटिंग रिंक की स्थापना में भी योगदान दिया, जिसके लिए उन्हें ‘क्रीड़ा भूषण पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया। सीएम देवेंद्र फडणवीस, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और विधायक चंद्रशेखर बावनकुले के हाथों सम्मानित हो चुके हैं।
पेड़ों को पानी देने से सुबह की शुरुआत : देशपांडे ने आर्थिक कठिनाइयों के बावजूद पेड़ लगाने का कार्य नहीं छोड़ा। उन्होंने न सिर्फ खुद गड्ढे खोदकर पौधे लगाए, बल्कि उन्हें वर्षों तक पानी देकर बड़ा भी किया। शुरुआती वर्षों में उन्होंने अपने खर्च से सैकड़ों पौधे लगाए। गोकुल पेठ, रामनगर और सिविल लाइन्स क्षेत्रों की हरियाली आज उन्हीं की देन है। वह कहते हैं कि सुबह की शुरुआत बेटे के साथ इन पौधों को पानी देने से होती है। 15-15 लीटर की दो कैन लेकर निकलते हैं और एक से डेढ़ घंटे में पेड़-पौधों में पानी डालकर घर वापस लौटते हैं।
उन्होंने बताया कि अब तक 12 हजार से अधिक पेड़ लगा चुके हैं। प्रेरणा का स्रोत बने आध्यात्मिक चिंतनबाबा कहते हैं, -"मूलतः ब्रह्मा रूपाय मध्यतो विष्णु रुपिनः अग्रतः शिव रूपाय अश्वव्याय नमो नमः' अर्थात वृक्ष के मूल रूप में ब्रह्मा मध्य में विष्णु और अग्र भाग में शिव का वास होता है और उसको हम नमन करते हैं। पेड़-पौधों को नमन करना, उसे बचाना ये संस्कार मेरी मां ने मुझे बचपन से दिए थे।' मां मंदाकिनी से प्रकृति प्रेम सीखा और बाद में स्वामी विवेकानंद के शिष्य रंगनाथानंद की पुस्तक -"एटरनल वैल्यूज फॉर चेंजिंग सोसाइटी' ने उन्हें समाज के लिए कुछ करने की प्रेरणा दी। 1973 में वीएनआईटी ग्राउंड की हरियाली से प्रेरित होकर उन्होंने तय किया कि वे शहर में ऐसे ही हरे-भरे स्थान बनाएंगे।
पांढराबोडी तालाब प्रोजेक्ट पर काम शुरू पानी की समस्या हर जगह है। नागपुर के तालाब सूख रहे हैं। रामनगर के पास पांढराबोडी तालाब है। जहां एक जमाने में हम तैरा करते थे, अब वो तालाब नष्ट हो गया है। उसी के पास 500 मीटर की दूरी पर लक्ष्मीनारायण इंस्टीयूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एलआईटी) टेकड़ी है। उस टेकड़ी पर अध्ययन हुआ है। वहां 24 करोड़ लीटर पानी बरसात का पड़ता है, जो नाले में चले जाता है। यदि ये पानी इस पांढराबोडी तालाब में डायवर्ट कर दिया तो यह तालाब फिर से भर सकता है। एक्सपर्ट्स के साथ मिलकर एक टेक्निकल रिपोर्ट तैयार कर ली गई है और इसे जल्द से जल्द शुरू करने की कोशिश जारी है।
सुप्त शक्ति का उपयोग हो : एक व्यक्ति 60 वर्ष की उम्र में रिटायर्ड होता है। शहर में कम से कम 1 लाख ऐसे रिटायर्ड लोग होंगे। वह इस उम्र में इतने बूढ़े नहीं होते हैं। उनमें ताकत रहती है घूमने की, बगीचे में टहलने की और दोस्तों से मिलने की। इसी -"सुप्त शक्ति (ऐसी शक्ति जिसका उपयोग आज तक नहीं हुआ है)' ने यदि एक पौधा भी लगाया तो कम से कम 1 लाख पौधे शहर को ग्रीन जोन की ओर ले जाएंगे। रिटायर्ड लोगों को ही यह काम अपने हाथ में लेना चाहिए, उनके पास समय ही समय है। यूथ के पास अपने करियर, सेटल्ड होने की जिम्मेदारी होती है। वह किसी विशेष दिन कार्यक्रम में शामिल होगा, लेकिन पेड़ों को हर दिन संरक्षण की जरूरत है। पेड़ों को लगाना दो मिनट का काम है, लेकिन उसे जिंदा रखना पड़ता है।
Created On :   22 April 2025 12:59 PM IST