भारत ही नहीं विश्व के कई देशों में हैं श्रीराम से जुड़े मंदिर व ग्रंथ
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डिजिटल डेस्क जबलपुर। केवल भारत में ही नहीं, बल्कि विश्व के अनेक देशों में श्रीराम से संबंधित मंदिर व उनसे जुड़े ग्रंथ मौजूद हैं। बौद्ध धर्म के अनुयायियों के बीच थाईलैंड में रामायण आम है। सब उन्हें राजा राम के नाम से जानते हैं। विश्व शांति के लिए श्रीराम के आदर्शों का अनुसरण आवश्यक है। उक्त विचार तृतीय वल्र्ड रामायण कॉन्फ्रेंस के दौरान आयोजित इंडो-थाई फोरम की बैठक में भारत सरकार द्वारा पद्मश्री से सम्मानित थाईलैंड के चिरापत प्रपन्न विद्या ने अध्यक्षता करते हुए रखे। इस दौरान डॉ. करुणा शर्मा, सुशील धानुक, आचान नितिनात, आचान नरिनात, आचान किट्टिपौड, थाईलैंड संस्कृत अध्ययन केंद्र के निदेशक आचान सोम्बात ने इंडो-थाई रामायण फोरम को और व्यापक करने के विषय में अपने सुझाव दिए। सभी ने कहा िक रामायण में निहत संदेश को जन-जन तक पहुँचाने के प्रयास किए जाने चाहिए, ताकि लोग श्रीराम का अनुसरण कर आचरण में उन्हें उतार सकें। इससे मानव जाति का कल्याण होगा। कार्यक्रम का संचालन अमरेन्द्र नारायण ने किया।
विद्वानों ने रखे विचार
दोपहर में आयोजित विभिन्न सत्रों में पूर्व आईएएस मनोज श्रीवास्तव, डॉ. पुष्पा पांडे, इंजीनियर जीके अग्निहोत्री, डॉ. राजेश श्रीवास्तव, नरेंद्र कौशिक, डॉ. संजय सिन्हा ने रामायण से जुड़े विभिन्न प्रसंगों पर अपने विचार रखे। वहीं प्राइम सेशन में स्विट्जरलैंड के सतीश जोशी एवं ओपी श्रीवास्तव ने रामायण में वेदांत दृष्टि पर विचार व्यक्त किए। इसके बाद प्रो. निलांजना पाठक एवं डॉ. सोमा गुहा दास ने डॉ. अखिलेश गुमास्ता की कृति द हिम्स ऑफ हिमालया की विवेचना की। अंत में साध्वी ज्ञानेश्वरी दीदी ने रामायण के महत्व पर विचार रखे।
समापन सत्र में ये रहे मौजूद
शाम को तीन दिवसीय वल्र्ड रामायण कॉन्फ्रेंस का समापन हुआ। समापन कार्यक्रम की अध्यक्षता केन्द्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल ने की। इस मौके पर राज्यसभा सांसद श्रीमती सुमित्रा बाल्मीकि, आयोजन अध्यक्ष विधायक अजय विश्नोई, पूर्व मंत्री लखन घनघोरिया, पं. अशोक मनोध्याय, पंकज गौर, रवि रंजन, मैत्रेयी दीदी, प्रतिभा विध्येश भापकर उपस्थित रहे। डॉ. अखिलेश गुमास्ता ने देश-विदेश से शामिल हुए सभी अतिथियों का आभार जताया।
Created On :   8 Jan 2023 11:20 PM IST