Nagpur News: डेढ़ साल में अविवाहित माताओं के 124 मामले, मेडिकल के अध्ययन में पुष्टि

डेढ़ साल में अविवाहित माताओं के 124 मामले, मेडिकल के अध्ययन में पुष्टि
  • अविवाहित गर्भधारण व्यक्तिगत ही नहीं, पारिवारिक व सामाजिक समस्या है
  • डर के कारण समय पर जांच व उपचार नहीं करवाने से माताओं व शिशुओं की जान खतरे में आ जाती है।
  • डेढ़ साल में अविवाहित माताओं के 124 मामले सामने आए

Nagpur News. नागपुर जिले में अविवाहित माताओं का बढ़ता प्रमाण चिंता का विषय बन गया है। शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय व अस्पताल (मेडिकल) में इस विषय पर अध्ययन किया गया है। जनवरी 2023 से जून 2024 के बीच मेडिकल की टीम ने अध्ययन किया। 124 में 67 मामलों में 18 साल की कम उम्र की अविवाहित माताओं की जानकारी सामने आई है।

33 फीसदी का गर्भपात, 48 फीसदी की प्रसूति

मेडिकल की अध्ययन टीम में चिकित्सा अधीक्षक डॉ. अविनाश गावंडे, डॉ. पी. बी. राऊत व डॉ. यू. डब्ल्यू. नारलावार शामिल थे। इस अध्ययन के आधार पर श्रीनगर में आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन में चिकित्सा अधीक्षक डॉ. अविनाश गावंडे ने प्रतिनिधित्व किया। उन्होंने अविवाहित माताओं पर मेडिकल का शोध प्रस्तुत किया।

डॉ. गावंडे के अनुसार

  • मेडिकल में डेढ़ साल में कुल 124 मामले सामने आए। इनमें से 67 मामले ऐसे थे, जिनमें अविवाहित माताओं की उम्र 18 साल से कम थी। वहीं 18 से 21 आयु वर्ग के 30 मामले, 22 से 25 आयु वर्ग के 21 मामले और 25 से अधिक आयुवर्ग के 6 मामले सामने आये थे।
  • गर्भधारण के बाद 33 फीसदी ने गर्भपात का विकल्प चुना, जबकि 48 फीसदी में प्रसूति हुई है। 24 सप्ताह से कम अवधि की गर्भावस्था में अधिकतर गर्भपात किया गया है। इससे अधिक अवधि की गर्भावस्था में प्रसूति की गई है।
  • प्रसूति के 75 मामलों में 54 फीसदी नवजातों का वजन सामान्य से कम था। 12 फीसदी नवजातों की मृत्यु हो चुकी है। अध्ययन में 6 अधूरे गर्भपात, 5 घरेलू प्रसूति, 4 मरीजों के अस्पताल से भाग जाने और 3 लिव इन रिलेशनशिप के मामले दर्ज किये गए।
  • इस समस्या पर खुला संवाद जरूरी

डॉ. अविनाश गावंडे, चिकित्सा अधीक्षक, मेडिकल के मुताबिक देश में अविवाहित गर्भधारण व्यक्तिगत ही नहीं, पारिवारिक व सामाजिक समस्या है। डर के कारण समय पर जांच व उपचार नहीं करवाने से माताओं व शिशुओं की जान खतरे में आ जाती है। इसलिए अविवाहित माताओं के लिए विशेष पुनर्वास योजनाएं, जागरूकता अभियान और किशोरावस्था में यौन शिक्षा अत्यंत आवश्यक है। इस समस्या को छुपाने की नहीं, बल्कि खुले संवाद से हल करने की आवश्यकता है।


Created On :   20 April 2025 3:48 PM IST

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