कीचड़ में गिरते संभलते स्कूल पहुंचते हैं बच्चे, सैकड़ों गांवों में स्कूल तक पहुंचने के लिए नहीं सड़क

No road to reach school in  gadchiroli villages
कीचड़ में गिरते संभलते स्कूल पहुंचते हैं बच्चे, सैकड़ों गांवों में स्कूल तक पहुंचने के लिए नहीं सड़क
कीचड़ में गिरते संभलते स्कूल पहुंचते हैं बच्चे, सैकड़ों गांवों में स्कूल तक पहुंचने के लिए नहीं सड़क

डिजिटल डेस्क,अहेरी (गड़चिरोली)। देश का भविष्य समझे जाने वाले नौनिहालों को देश का भविष्य बनने के लिए कठिन परीक्षाएं देनी पड़ रही हैं। इसका ताजा उदाहरण अहेरी उपविभाग के जिला परिषद स्कूलों में  पहुंच रहे नौनिहालों को देखकर लगाया जा सकता है। इस उपविभाग के अहेरी, सिरोंचा, भामरागढ़, एटापल्ली और मुलचेरा इन पांच तहसीलों के दुर्गम क्षेत्र के अनेक गांवों में स्थित स्कूलों तक पहुंचने के लिए पक्की सड़कें नहीं बनी है। ऐसे परिस्थिति में क्षेत्र के नौनिहाल गिरते, संभलते जैसे-तैसे स्कूल पहुंचने के लिए मजबूर हैं।  भारी कीचड़ भरे रास्ते होकर बच्चों को स्कूल तक पहुंचना पड़ता है।

उल्लेखनीय है कि इन दिनों  निरंतर वर्षा हो रही है। जिसके कारण कच्ची सड़कें  पूर्णत: कीचड़मय हो गयी है। ऐसे में छात्रों को स्कूल तक पहुंचने के लिए भारी मशक्कत करनी पड़ रही है। इसी तरह अहेरी तहसील के जिमलगट्टा केंद्र अंतर्गत लिंगमपल्ली गांव जो अहेरी तहसील मुख्यालय से 42 किमी दूरी पर बसा है, इस गांव में पक्की सड़कें नहीं बन पायी। जिसके कारण बरसात के दिनों में इस गांव की सड़कें पूर्णत: कीचड़मय हो गयी।  जहां सरकार ने सरकारी स्कूलों की ओर अभिभावक और छात्रों को आकर्षिक करने के लिये स्कूलों में डिजिटल सामग्री तो पहुंचाई है, मगर स्कूलों तक पहुंचने के लिए पक्की सड़कें नहीं बना पायी।

बता दें कि  महाराष्ट्र राज्य के आखिरी छोर पर बसा तथा आदिवासी बहुल, नक्सल प्रभावित, अविकसित और पिछड़े जिले की पहचान रखनेवाले गड़चिरोली जिले की स्थिति अन्य जिलों की तुलना काफी हद तक अलग है। भले ही सरकार द्वारा इस जिले का सर्वांगीण विकास करने के लिए प्रति वर्ष विभिन्न योजनाओं के तहत करोड़ों रुपयों की राशि भेजी जाती है। परंतु स्थानीय स्तर पर प्रशासन  के अधिकारी और जनप्रतिनिधियों में समन्वय के अभाव में जिले का विकास आवश्यकता नुसार होते नहीं दिखाई दे रहा है। विशेषत: जिले में शिक्षा का स्तर बढ़ाने में सरकार और प्रशासन गंभीर नहीं दिखाई देते है। जिसके कारण आज भी जिले के ग्रामीण और दुर्गम क्षेत्र के छात्रों को स्कूल पहुंचने के लिये काफी मशक्कत करनी पड़ रही है। 

 

 

Created On :   16 Aug 2019 11:22 AM IST

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